नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में हुए दंगे ने शिव विहार के रहने वाले निजामुद्दीन के परिवार को जीवनभर का दर्द दे दिया. भीड़ ने न केवल उनके घर में लूटपाट की, बल्कि उनके भाई की हत्या भी कर दी थी. दंगे में निजामुद्दीन पर भी जानलेवा हमला किया, लेकिन उनकी जान बच गई. निजामुद्दीन ने बताया कि वह अपने बड़े भाई की बेटी की शादी में गांव गये थे.
26 फरवरी को उसके पड़ोसियों ने फोन पर लूटपाट की जानकारी दी. 27 फरवरी को वह अपने भाई जमालुद्दीन के साथ घर के लिए निकले. शिव विहार की पुलिया के पास भीड़ ने उन्हें घेर लिया और दोनों पर हमला किया. उसे मरा समझकर नाले में फेंक दिया.
निजामुद्दीन ने बताया कि गंभीर रूप से घायल हालत में वह किसी तरीके से नाले से निकला और पुलिसकर्मियों के पास पहुंचा. पुलिस ने उसे जीटीवी अस्पताल में दाखिल कराया, जहां उसने पुलिसकर्मियों को बताया कि उसके भाई के साथ भी मारपीट हुई है. उसे नाले में फेंक दिया गया है. पुलिसकर्मी बताए हुए जगह पर पहुंचे और उसके भाई को भी जीटीवी अस्पताल में दाखिल कराया. जहां 3 मार्च को इलाज के दौरान जमालुद्दीन की मौत हो गई.
निजामुद्दीन ने बताया कि उसके भाई के परिवार में उसकी पत्नी के अलावा चार छोटे-छोटे बच्चे हैं. भाई की पत्नी बच्चों को लेकर अपने माता-पिता के साथ गाजियाबाद में रहती हैं. दिल्ली सरकार की तरफ से उसके भाई के परिवार को 10 लाख का मुआवजा मिला है. जिससे किसी तरह परिवार का पालन-पोषण हो रहा है.
निजामुद्दीन ने कहा कि उसके घर में दंगाइयों ने लूटपाट-तोड़फोड़ की, उसके भाई की बेकरी को नुकसान पहुंचाया गया, लेकिन सरकार की तरफ से उसे कोई मदद नहीं पहुंचाई गई है. कुछ सामाजिक संस्था की तरफ से उन्हें मदद दी गई है.
कई गाड़ियों को लगा दी गई थी आग, नहीं मिला मुआवजा
भीड़ ने शिव विहार तिराहे स्थित दो बैंक्वेट हॉल और उसके पार्किंग में खड़ी गाड़ियों में आग लगा दी थी. इस आग में 80 से ज्यादा गाड़ियां जलकर राख हो गईं. बैंक्वेट हॉल को भी काफी नुकसान पहुंचा, लेकिन 1 साल बाद भी सरकार की तरफ से पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिला.
बैंक्वेट हॉल के संचालक नीरज ने सुनाया दुखड़ा
बैंक्वेट हॉल के संचालक नीरज ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि 24 फरवरी दोपहर भीड़ बैंक्वेट हॉल पहुंची और आग लगा दी. इस आग में बैंक्वेट हॉल मैं खड़ी 54 गाड़ियां जलकर खाक हो गई. साथ ही बैंक्वेट हॉल को भी नुकसान पहुंचा. नीरज ने बताया कि इसके अलावा उनके बैंक्वेट हॉल के बगल में दूसरे बैंक्वेट हॉल को भी नुकसान पहुंचाया. वहां खड़ी 30 से ज्यादा गाड़ियां जला दी गईं.
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नीरज ने बताया कि जिन गाड़ियों के इंश्योरेंस थे, उन गाड़ियों के पैसे तो मिल गए, लेकिन जिन गाड़ियों का इंश्योरेंस नहीं था, उसका सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली. उनके बैंक्वेट हॉल को भी नुकसान पहुंचा, जिसका भी मुआवजा उन्हें अब तक नहीं मिल पाया है.