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MP में कितनी सुरक्षित 'सांसें' : ईटीवी भारत का रियलिटी चेक

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Published : Apr 22, 2021, 8:46 PM IST

बाकी राज्यों की तरह मध्यप्रदेश में भी अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए मारामारी मची हुई है. सरकार दावा करती है कि ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है. क्या ये सच है ? अस्पतालों तक कैसे पहुंचाई जा रही है ऑक्सीजन. ईटीवी भारत ने रियलिटी चेक में जानी अस्पतालों की हकीकत.

ऑक्सीजन सिलेंडर
ऑक्सीजन सिलेंडर

भोपाल/ग्वालियर/जबलपुर : आजकल देश में सबसे ज्यादा चर्चित विषय बन गया है ऑक्सीजन. कोरोना की महामारी ने ऐसा कहर ढाया है कि लोगों को उधार की सांसों की जरूरत पड़ गई है. ऐसे 10-20 मरीज नहीं, लाखों मरीज हैं जो अस्पताल में सिर्फ क्लीनिकल ऑक्सीजन पर जिंदा हैं. इसकी मांग इतनी बढ़ गई है कि लोग मुंहमांगे दामों पर इसे खरीदने को तैयार हैं. कई जगह ऑक्सीजन के लिए मार-पिटाई तक हो गई है. कहीं लोग ऑक्सीजन सिलिंडर को ही लोग लूट ले गए.

लाखों मरीजों का सहारा बना ये सिलेंडर

दूसरे राज्यों की तरह मध्य प्रदेश भी अन्य राज्यों से ऑक्सीजन के टैंकर मंगवा रहा है, ताकि कोरोना मरीजों की सांसें चलती रहें. हाल ही में नासिक में गैस रिसाव की घटना से करीब 22 मरीजों की जान चली गई थी. ऐसे में ऑक्सीजन फिलिंग करना भी एक बड़ी चुनौती है.

ऑक्सीजन प्लांट का रियलिटी चेक

भोपाल के सबसे बड़े अस्पताल हमीदिया अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई का ईटीवी भारत ने रियलिटी चेक किया. यहां करीब 27 kl यानि 27 हजार लीटर ऑक्सीजन उपलब्ध है. अस्पताल में पाइप लाइन के जरिए मरीजों तक पहुंचती है.ऑक्सीजन प्लांट में फिलिंग को लेकर काफी एहतियात बरता जाता है. ताकि किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही के चलते दुर्घटना ना हो जाए. हाल ही में नासिक में ऑक्सीजन फिलिंग के दौरान लीकेज के चलते कई मरीजों की जान चली गई थी. भोपाल के बड़े अस्पतालों में फिलिंग के दौरान एहतिहात बरतने के निर्देश भी दिए गए हैं.

जबलपुर में बंदूक के साए में 'सांसें'

जबलपुर में संगीनों के साए ऑक्सीजन सप्लाई

जबलपुर में ऑक्सीजन के तीन प्लांट हैं. यहां से जबलपुर के अलावा आसपास के कई जिलों को ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही है. ऑक्सीजन को लेकर मची लूटमार को देखते हुए संभागीय कमिश्नर ने इसकी निगरानी के लिए एक प्रशासनिक अधिकारी और बंदूकधारी जवानों को तैनात किया है.

जबलपुर में क्या है ऑक्सीजन सप्लाई का हाल ?

जबलपुर के प्लांट्स से रोजाना करीब 2500 बड़े और 500 छोटे अस्पतालों को ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है. यहां ऑक्सीजन के तीन प्लांट हैं. इनमें से दो प्लांट रिछाई में और एक प्लांट पनागर में है. इन्हीं तीनों प्लांटों से जबलपुर, छिंदवाड़ा-नरसिंहपुर-कटनी-डिंडोरी सहित आसपास के जिलो में ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही है. करीब 1000 से 1200 सिलेंडर यहां से रोजाना सप्लाई किए जा रहे है.

ग्वालियर में सालों से बंद है ऑक्सीजन प्लांट

ग्वालियर के हालात भी ज्यादा अच्छे नहीं हैं. ईटीवी भारत की टीम को यह जानकारी लगी कि अंचल के सबसे बड़े उद्योग क्षेत्र मालनपुर इंडस्ट्रीज में एक ऐसा बड़ा ऑक्सीजन का प्लांट है, जो सालों से बंद पड़ा हुआ है.

ग्वालियर के हाल भी अच्छे नहीं

यह ऑक्सीजन प्लांट एशिया की सबसे बड़ी स्टील कंपनी एमपी आयरन में मौजूद है. लेकिन ये 1998 से बंद पड़ा हुआ है.उस समय प्लांट फैक्ट्री को रोज 90 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई करता था. जब एमपी आयरन फैक्ट्री बंद हो गई, उसके बाद यह ऑक्सीजन का प्लांट भी बंद हो गया. अगर इस प्लांट को फिर से चालू हो जाए, तो कई मरीजों की सांसें टूटने से बचाई जा सकती हैं.

रेलवे देगा मध्यप्रदेश को 'संजीवनी'

कोरोना वायरस संक्रमण की बढ़ती रफ्तार और देश के विभिन्न राज्यों की बिगड़ती हालत को देखते हुए रेल मंत्रालय ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन चला रहा है. मंत्रालय ने फैसला लिया है कि राज्यों की मांग के मुताबिक ये ट्रेनें चलेंगी. कोरोना संक्रमित मरीजों की जान बचाने के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन चलाई जा रही है. मध्य प्रदेश सरकार ने भी रेलवे से ऑक्सीजन एक्सप्रेस चलाने की मांग की है.

रेलवे की एक्सप्रेस ट्रेन

रेल मंत्रालय ने हाल ही में ऑक्‍सीजन टैंकरों को जल्‍द पहुंचाने के लिए रो-रो सेवा शुरू की है. इसमें ट्रेनों में टैंकरों को लादकर एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान तक पहुंचाया जाता है. सड़क मार्ग से जो ऑक्सीजन टैंकर 24 घंटे में पहुंचते हैं, उन्हें रो-रो सेवा के जरिए सिर्फ 12 घंटों में गंतव्य स्थान तक पहुंचाया जा सकता है. सबसे पहली ऑक्‍सीजन एक्‍सप्रेस यानी रो-रो सेवा महाराष्‍ट्र में शुरू की जा चुकी है.

भोपाल/ग्वालियर/जबलपुर : आजकल देश में सबसे ज्यादा चर्चित विषय बन गया है ऑक्सीजन. कोरोना की महामारी ने ऐसा कहर ढाया है कि लोगों को उधार की सांसों की जरूरत पड़ गई है. ऐसे 10-20 मरीज नहीं, लाखों मरीज हैं जो अस्पताल में सिर्फ क्लीनिकल ऑक्सीजन पर जिंदा हैं. इसकी मांग इतनी बढ़ गई है कि लोग मुंहमांगे दामों पर इसे खरीदने को तैयार हैं. कई जगह ऑक्सीजन के लिए मार-पिटाई तक हो गई है. कहीं लोग ऑक्सीजन सिलिंडर को ही लोग लूट ले गए.

लाखों मरीजों का सहारा बना ये सिलेंडर

दूसरे राज्यों की तरह मध्य प्रदेश भी अन्य राज्यों से ऑक्सीजन के टैंकर मंगवा रहा है, ताकि कोरोना मरीजों की सांसें चलती रहें. हाल ही में नासिक में गैस रिसाव की घटना से करीब 22 मरीजों की जान चली गई थी. ऐसे में ऑक्सीजन फिलिंग करना भी एक बड़ी चुनौती है.

ऑक्सीजन प्लांट का रियलिटी चेक

भोपाल के सबसे बड़े अस्पताल हमीदिया अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई का ईटीवी भारत ने रियलिटी चेक किया. यहां करीब 27 kl यानि 27 हजार लीटर ऑक्सीजन उपलब्ध है. अस्पताल में पाइप लाइन के जरिए मरीजों तक पहुंचती है.ऑक्सीजन प्लांट में फिलिंग को लेकर काफी एहतियात बरता जाता है. ताकि किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही के चलते दुर्घटना ना हो जाए. हाल ही में नासिक में ऑक्सीजन फिलिंग के दौरान लीकेज के चलते कई मरीजों की जान चली गई थी. भोपाल के बड़े अस्पतालों में फिलिंग के दौरान एहतिहात बरतने के निर्देश भी दिए गए हैं.

जबलपुर में बंदूक के साए में 'सांसें'

जबलपुर में संगीनों के साए ऑक्सीजन सप्लाई

जबलपुर में ऑक्सीजन के तीन प्लांट हैं. यहां से जबलपुर के अलावा आसपास के कई जिलों को ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही है. ऑक्सीजन को लेकर मची लूटमार को देखते हुए संभागीय कमिश्नर ने इसकी निगरानी के लिए एक प्रशासनिक अधिकारी और बंदूकधारी जवानों को तैनात किया है.

जबलपुर में क्या है ऑक्सीजन सप्लाई का हाल ?

जबलपुर के प्लांट्स से रोजाना करीब 2500 बड़े और 500 छोटे अस्पतालों को ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है. यहां ऑक्सीजन के तीन प्लांट हैं. इनमें से दो प्लांट रिछाई में और एक प्लांट पनागर में है. इन्हीं तीनों प्लांटों से जबलपुर, छिंदवाड़ा-नरसिंहपुर-कटनी-डिंडोरी सहित आसपास के जिलो में ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही है. करीब 1000 से 1200 सिलेंडर यहां से रोजाना सप्लाई किए जा रहे है.

ग्वालियर में सालों से बंद है ऑक्सीजन प्लांट

ग्वालियर के हालात भी ज्यादा अच्छे नहीं हैं. ईटीवी भारत की टीम को यह जानकारी लगी कि अंचल के सबसे बड़े उद्योग क्षेत्र मालनपुर इंडस्ट्रीज में एक ऐसा बड़ा ऑक्सीजन का प्लांट है, जो सालों से बंद पड़ा हुआ है.

ग्वालियर के हाल भी अच्छे नहीं

यह ऑक्सीजन प्लांट एशिया की सबसे बड़ी स्टील कंपनी एमपी आयरन में मौजूद है. लेकिन ये 1998 से बंद पड़ा हुआ है.उस समय प्लांट फैक्ट्री को रोज 90 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई करता था. जब एमपी आयरन फैक्ट्री बंद हो गई, उसके बाद यह ऑक्सीजन का प्लांट भी बंद हो गया. अगर इस प्लांट को फिर से चालू हो जाए, तो कई मरीजों की सांसें टूटने से बचाई जा सकती हैं.

रेलवे देगा मध्यप्रदेश को 'संजीवनी'

कोरोना वायरस संक्रमण की बढ़ती रफ्तार और देश के विभिन्न राज्यों की बिगड़ती हालत को देखते हुए रेल मंत्रालय ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन चला रहा है. मंत्रालय ने फैसला लिया है कि राज्यों की मांग के मुताबिक ये ट्रेनें चलेंगी. कोरोना संक्रमित मरीजों की जान बचाने के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन चलाई जा रही है. मध्य प्रदेश सरकार ने भी रेलवे से ऑक्सीजन एक्सप्रेस चलाने की मांग की है.

रेलवे की एक्सप्रेस ट्रेन

रेल मंत्रालय ने हाल ही में ऑक्‍सीजन टैंकरों को जल्‍द पहुंचाने के लिए रो-रो सेवा शुरू की है. इसमें ट्रेनों में टैंकरों को लादकर एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान तक पहुंचाया जाता है. सड़क मार्ग से जो ऑक्सीजन टैंकर 24 घंटे में पहुंचते हैं, उन्हें रो-रो सेवा के जरिए सिर्फ 12 घंटों में गंतव्य स्थान तक पहुंचाया जा सकता है. सबसे पहली ऑक्‍सीजन एक्‍सप्रेस यानी रो-रो सेवा महाराष्‍ट्र में शुरू की जा चुकी है.

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