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भारत छोड़ो आंदोलन की 79वीं वर्षगांठ पर सीपीएम ने दिया 'मोदी छोड़ो देश-बचाओ' का नारा

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने महासचिव सीताराम येचुरी (Sitaram Yechury) ने 'मोदी छोड़ो-देश बचाओ' का आवाह्न किया है. येचुरी ने सोमवार को दिल्ली में मीडिया से बातचीत में कहा कि इस सरकार में किसान से ले कर कामगार तक परेशान हैं. देश में आज तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग के साथ किसान आंदोलनरत हैं, तो दूसरी तरफ नये श्रम कानूनों को भी रद्द करने की मांग के साथ कामगार लोग आंदोलन कर रहे हैं.

सीताराम येचुरी
सीताराम येचुरी
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Published : Aug 9, 2021, 11:16 PM IST

Updated : Aug 9, 2021, 11:50 PM IST

नई दिल्ली : अंग्रेजो के खिलाफ शुरू किये गए 'भारत छोड़ो आंदोलन' (Quite India Movement) के 79वीं वर्षगांठ पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने महासचिव सीताराम येचुरी (Sitaram Yechury) ने 'मोदी छोड़ो-देश बचाओ' का आवाह्न किया है.

पार्टी के दो दिवसीय केंद्रीय कमिटी की बैठक के बाद येचुरी ने सोमवार को दिल्ली में मीडिया से बातचीत में कहा कि इस सरकार में किसान से ले कर कामगार तक परेशान हैं. देश में आज तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग के साथ किसान आंदोलनरत हैं, तो दूसरी तरफ नये श्रम कानूनों को भी रद्द करने की मांग के साथ कामगार लोग आंदोलन कर रहे हैं.

सीपीएम ने सरकार से मांग की है कि वह तत्काल तीन कृषि कानूनों को वपास ले कर किसानों को एमएसपी पर फसल खरीद की गारंटी वाला कानून बनाए. एमएसपी पर कानून में यह भी प्रावधान हो कि एमएसपी C2+50% के फॉर्मूला से तय किया जाए.

येचुरी ने आगे कहा कि सीपीएम के केंद्रीय कमिटी की बैठक में हाल में हुए विधानसभा चुनावों पर भी चर्चा हुई, जिसमें बीजेपी को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा. असम के अलावा बंगाल, तमिलनाडु और केरल में भाजपा का प्रदर्शन तमाम हथकंडों के बावजूद खराब ही रहा.

सीताराम येचुरी का बयान

वहीं, सीपीएम महासचिव ने बंगाल चुनाव में लेफ्ट पार्टियों के प्रदर्शन पर भी निराशा जताते हुए कहा कि लोगों को तृणमूल कांग्रेस में भाजपा को हराने की क्षमता दिखी और इसलिये उन्होंने तृणमूल को चुना, लेकिन लेफ्ट के गठबंधन के लिये यह चुनाव निराशाजनक रहा क्योंकि पहली बार ऐसा हुआ है कि हम बंगाल में एक भी सीट नहीं जीत सके.

साथ ही सीताराम येचुरी ने सभी सेक्युलर विपक्षी दलों को एकजुट हो कर पूरी ताकत से इस सरकार के विरोध में प्रदर्शन करने का आवाह्न किया है.

पेगासस मामले पर येचुरी ने कहा कि सरकार इस पर चर्चा नहीं करना चाहती जबकि फ्रांस, मैक्सिको और खुद इजराइल इस मामले में जांच गठित कर चुका है. हमारा सीधा सवाल है कि क्या भारत सरकार या उसकी किसी भी एजेंसी ने इजराइल की कंपनी NSO से कोई करार किया? इसका जबाब न देने का मतलब है कि सरकार ने ऐसा किया है.

पढ़ें - एनआरसी आवेदकों का बायोमेट्रिक डाटा लॉक करने का मुद्दा केंद्र के समक्ष उठाया : हिमंत

जब ये तीन कृषि कानून अध्यादेश के रूप में लाए गए थे तभी CPM ने इनका विरोध किया था. तब किसान आंदोलन शुरू भी नहीं हुआ था लेकिन सरकार ने किसी की नहीं सुनी और आज देश भर के किसान आंदोलित हैं. इनमें से किसी भी मुद्दे पर सरकार संसद में चर्चा नहीं करना चाहती है. किसनों के मुद्दे पर चर्चा के लिये तैयार भी होती है तो मंत्री कहते हैं कि तीन कानून रद्द नहीं करेंगे. उन्हें समझना चाहिये कि कानून को रद्द करना ही पहली माँग है और उसके बिना चर्चा नहीं हो सकती.

नई दिल्ली : अंग्रेजो के खिलाफ शुरू किये गए 'भारत छोड़ो आंदोलन' (Quite India Movement) के 79वीं वर्षगांठ पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने महासचिव सीताराम येचुरी (Sitaram Yechury) ने 'मोदी छोड़ो-देश बचाओ' का आवाह्न किया है.

पार्टी के दो दिवसीय केंद्रीय कमिटी की बैठक के बाद येचुरी ने सोमवार को दिल्ली में मीडिया से बातचीत में कहा कि इस सरकार में किसान से ले कर कामगार तक परेशान हैं. देश में आज तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग के साथ किसान आंदोलनरत हैं, तो दूसरी तरफ नये श्रम कानूनों को भी रद्द करने की मांग के साथ कामगार लोग आंदोलन कर रहे हैं.

सीपीएम ने सरकार से मांग की है कि वह तत्काल तीन कृषि कानूनों को वपास ले कर किसानों को एमएसपी पर फसल खरीद की गारंटी वाला कानून बनाए. एमएसपी पर कानून में यह भी प्रावधान हो कि एमएसपी C2+50% के फॉर्मूला से तय किया जाए.

येचुरी ने आगे कहा कि सीपीएम के केंद्रीय कमिटी की बैठक में हाल में हुए विधानसभा चुनावों पर भी चर्चा हुई, जिसमें बीजेपी को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा. असम के अलावा बंगाल, तमिलनाडु और केरल में भाजपा का प्रदर्शन तमाम हथकंडों के बावजूद खराब ही रहा.

सीताराम येचुरी का बयान

वहीं, सीपीएम महासचिव ने बंगाल चुनाव में लेफ्ट पार्टियों के प्रदर्शन पर भी निराशा जताते हुए कहा कि लोगों को तृणमूल कांग्रेस में भाजपा को हराने की क्षमता दिखी और इसलिये उन्होंने तृणमूल को चुना, लेकिन लेफ्ट के गठबंधन के लिये यह चुनाव निराशाजनक रहा क्योंकि पहली बार ऐसा हुआ है कि हम बंगाल में एक भी सीट नहीं जीत सके.

साथ ही सीताराम येचुरी ने सभी सेक्युलर विपक्षी दलों को एकजुट हो कर पूरी ताकत से इस सरकार के विरोध में प्रदर्शन करने का आवाह्न किया है.

पेगासस मामले पर येचुरी ने कहा कि सरकार इस पर चर्चा नहीं करना चाहती जबकि फ्रांस, मैक्सिको और खुद इजराइल इस मामले में जांच गठित कर चुका है. हमारा सीधा सवाल है कि क्या भारत सरकार या उसकी किसी भी एजेंसी ने इजराइल की कंपनी NSO से कोई करार किया? इसका जबाब न देने का मतलब है कि सरकार ने ऐसा किया है.

पढ़ें - एनआरसी आवेदकों का बायोमेट्रिक डाटा लॉक करने का मुद्दा केंद्र के समक्ष उठाया : हिमंत

जब ये तीन कृषि कानून अध्यादेश के रूप में लाए गए थे तभी CPM ने इनका विरोध किया था. तब किसान आंदोलन शुरू भी नहीं हुआ था लेकिन सरकार ने किसी की नहीं सुनी और आज देश भर के किसान आंदोलित हैं. इनमें से किसी भी मुद्दे पर सरकार संसद में चर्चा नहीं करना चाहती है. किसनों के मुद्दे पर चर्चा के लिये तैयार भी होती है तो मंत्री कहते हैं कि तीन कानून रद्द नहीं करेंगे. उन्हें समझना चाहिये कि कानून को रद्द करना ही पहली माँग है और उसके बिना चर्चा नहीं हो सकती.

Last Updated : Aug 9, 2021, 11:50 PM IST
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