नई दिल्ली : संसद के बजट सत्र से पहले दोनों सदनों को राष्ट्रपति द्वारा किए जाने वाले संबोधन में इस बार केवल सत्ता पक्ष की पार्टियों के ही सांसद सदस्य मौजूद होंगे. देश की कुल 16 विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति के संबोधन कार्यक्रम का बहिष्कार करने की बात कही है. विपक्षी पार्टियों का यह निर्णय कृषि कानूनों के विरोध में सामने आया है.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी ने 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा और लाल किले पर तिरंगे झंडे के साथ फहराए गए झंडे और तोड़फोड़ की घटना को एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा बताया है. येचुरी ने कहा कि ज्यादातर किसान तय रूट पर ही परेड में ट्रैक्टरों के साथ चल रहे थे और केवल कुछ किसानों को अलग रूट से जाने दिया गया और उपद्रव फैलाने की छूट दी गई. ट्रैक्टर रैली का रूट पुलिस के साथ मिल कर तय हुआ था. उसी रूट पर लाखों किसान ट्रैक्टरों के साथ शांतिपूर्ण तरीके से चल रहे थे. इस बात की जांच की जरूरत है कि कुछ किसानों को कैसे यह अनुमति मिली कि वे तय रूट से अलग हटकर दिल्ली के अंदर पहुंचे. फिर लाल किले तक पहुंचकर तिरंगे के पास कोई अन्य झंडा फहरा दिया.
किसानों के साथ दमनकारी कार्रवाई
येचुरी ने कहा कि लाल किले के अंदर की सुरक्षा से हम सभी वाकिफ हैं और उस स्थान तक पहुंचना संभव नहीं था. पूरे मामले में मुख्य आरोपी पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू के भाजपा से संबंध हैं, बावजूद इसके दमन की कार्रवाई किसानों के साथ की जा रही है. 25 एफआईआर किए गए हैं. उन किसानों के खिलाफ जो सरकार के साथ वार्ता में शामिल थे. उनमें से पांच नेताओं के अलावा सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दिया गया है. सरकार की यह आदत बन गई है.
सरकार जनविरोधी काम कर रही है
उन्होंने कहा कि संविधान और जनवादी अधिकारों को ध्वस्त करने का कार्य सरकार कर रही है जो कि स्वीकार नहीं है. 26 जनवरी को घटित एक घटना के आधार पर जो षड्यंत्र के तहत हुआ उसको कारण बता कर असली मांग को नजरअंदाज करने का काम सरकार कर रही है. तीनों कृषि कानून रद्द होने चाहिए. संसद सत्र में इसके लिए आवाज उठाएंगे कि यह तीन कृषि कानून रद्द किए जाएं. राष्ट्रपति के भाषण में इस बार केवल सत्ता पक्ष के लोग ही शामिल होंगे.
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माकपा के महासचिव ने कहा है कि उनकी पार्टी ने अन्य दलों से भी अनुरोध किया है कि वे संसद सत्र में किसानों की आवाज को मजबूती से उठाएं और इसी सत्र में इन तीन कृषि कानूनों को रद्द किया जाए.