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सिंह संक्रांति पर्व आज, सूर्य के राशि परिवर्तन के दौरान ये उपाय बदलेंगे आपकी किस्मत

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Published : Aug 17, 2022, 6:59 AM IST

ज्योतिषों की मानें तो सूर्य देव महीने में एक बार अपना राशि परिवर्तन करते हैं और इस बार सिंह संक्रांति पर सूर्य देव बुधवार को राशि परिवर्तन करेंगे. इसका व्यापक असर देखने को मिलेगा.

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singh sankranti puja time

वाराणसी: सनातन धर्म एक ऐसा धर्म है जिसमें हर महीने हर दिन हर घंटे कोई न कोई त्यौहार और तिथि महत्व रखती है. जब सूर्य का राशि परिवर्तन होता है तो उस पल को भी महत्वपूर्ण माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य के राशि परिवर्तन को अलग-अलग रूप में देखा जाता है और इस दिन सिंह संक्रांति के रूप में मनाया जा रहा है. ज्योतिष के जानकारों की माने तो सूर्य देव महीने में एक बार अपना राशि परिवर्तन करते हैं और इस बार सिंह संक्रांति पर सूर्य देव आद राशि परिवर्तन करेंगे. इसका व्यापक असर देखने को मिलेगा. इस राशि परिवर्तन के दौरान श्री हरि विष्णु और भगवान नरसिंह की पूजा करने के साथ ही कुछ ऐसी चीजें भी करनी है जिससे आपको सुख संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होगी.

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श्री हरि विष्णु और भगवान नरसिंह की होती है पूजा
इस बारे में श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के सदस्य और प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित प्रसाद दीक्षित ने बताया कि सनातन धर्म में सूर्य देव को साक्षात देव के रूप में पूजा जाता है और सिंह संक्रांति के मौके पर सूर्य देव की पूजा और उन्हें जल अर्पित करने से आरोग्य और सुख वैभव की प्राप्ति होती है. 17 अगस्त यानी बुधवार को सिंह संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा. 17 अगस्त की दोपहर 12:17 पर इसकी शुरुआत होगी और भगवान भास्कर कर्क राशि से निकलकर अपनी स्वराशि यानी सिंह में प्रवेश करेंगे सिंह संक्रांति के मौके पर स्नान दान और सूर्यदेव को अर्घ्य देने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

पंडित प्रसाद दीक्षित का कहना है कि सिंह संक्रांति के दिन किसी नदी सरोवर या तालाब में स्नान करने के बाद बहते हुए जल में सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए, यदि यह संभव नहीं होता तो घर में ही नदी के जल से सूर्य को अर्घ्य देकर उन्हें नमन करना चाहिए. उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के उपरांत सूर्य देवता को नमन कर के कम से कम 5 फेरी अपने स्थान पर खड़े होकर ही लेनी चाहिए.


सूर्य को अर्घ देते वक्त ॐ आदित्याय नमः, ॐ घृणि सूर्याय नमः के मंत्र का उच्चारण करना चाहिए और यह ध्यान देना चाहिए कि मंत्र लगातार चलता रहे और सूर्य को दिए जाने वाले अर्ध की धारा भी बनी रहे. सूर्य देव की उपासना करने के बाद भगवान श्री हरि विष्णु को तुलसी पत्र अर्पित करके उनकी आरती करके प्रसाद ग्रहण करना चाहिए.
ये भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, किसी भी महिला कर्मी को मातृत्व अवकाश से वंचित नहीं किया जा सकता


पंडित प्रसाद दीक्षित का कहना है कि सिंह संक्रांति के मौके पर गाय का शुद्ध घी का सेवन करें अति उत्तम बताया गया है. गाय के घी के सेवन से बहुत से फायदे होते हैं. इसलिए इसका सेवन फायदे के साथ ही सौभाग्य की प्राप्ति भी कराता है. इसके अतिरिक्त जिनकी कुंडली में राहु केतु का शुभ प्रभाव है वह भी गाय के घी के सेवन से कम होता है.

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वाराणसी: सनातन धर्म एक ऐसा धर्म है जिसमें हर महीने हर दिन हर घंटे कोई न कोई त्यौहार और तिथि महत्व रखती है. जब सूर्य का राशि परिवर्तन होता है तो उस पल को भी महत्वपूर्ण माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य के राशि परिवर्तन को अलग-अलग रूप में देखा जाता है और इस दिन सिंह संक्रांति के रूप में मनाया जा रहा है. ज्योतिष के जानकारों की माने तो सूर्य देव महीने में एक बार अपना राशि परिवर्तन करते हैं और इस बार सिंह संक्रांति पर सूर्य देव आद राशि परिवर्तन करेंगे. इसका व्यापक असर देखने को मिलेगा. इस राशि परिवर्तन के दौरान श्री हरि विष्णु और भगवान नरसिंह की पूजा करने के साथ ही कुछ ऐसी चीजें भी करनी है जिससे आपको सुख संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होगी.

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इस बारे में श्री काशी विश्वनाथ न्यास परिषद के सदस्य और प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित प्रसाद दीक्षित ने बताया कि सनातन धर्म में सूर्य देव को साक्षात देव के रूप में पूजा जाता है और सिंह संक्रांति के मौके पर सूर्य देव की पूजा और उन्हें जल अर्पित करने से आरोग्य और सुख वैभव की प्राप्ति होती है. 17 अगस्त यानी बुधवार को सिंह संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा. 17 अगस्त की दोपहर 12:17 पर इसकी शुरुआत होगी और भगवान भास्कर कर्क राशि से निकलकर अपनी स्वराशि यानी सिंह में प्रवेश करेंगे सिंह संक्रांति के मौके पर स्नान दान और सूर्यदेव को अर्घ्य देने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

पंडित प्रसाद दीक्षित का कहना है कि सिंह संक्रांति के दिन किसी नदी सरोवर या तालाब में स्नान करने के बाद बहते हुए जल में सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए, यदि यह संभव नहीं होता तो घर में ही नदी के जल से सूर्य को अर्घ्य देकर उन्हें नमन करना चाहिए. उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के उपरांत सूर्य देवता को नमन कर के कम से कम 5 फेरी अपने स्थान पर खड़े होकर ही लेनी चाहिए.


सूर्य को अर्घ देते वक्त ॐ आदित्याय नमः, ॐ घृणि सूर्याय नमः के मंत्र का उच्चारण करना चाहिए और यह ध्यान देना चाहिए कि मंत्र लगातार चलता रहे और सूर्य को दिए जाने वाले अर्ध की धारा भी बनी रहे. सूर्य देव की उपासना करने के बाद भगवान श्री हरि विष्णु को तुलसी पत्र अर्पित करके उनकी आरती करके प्रसाद ग्रहण करना चाहिए.
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पंडित प्रसाद दीक्षित का कहना है कि सिंह संक्रांति के मौके पर गाय का शुद्ध घी का सेवन करें अति उत्तम बताया गया है. गाय के घी के सेवन से बहुत से फायदे होते हैं. इसलिए इसका सेवन फायदे के साथ ही सौभाग्य की प्राप्ति भी कराता है. इसके अतिरिक्त जिनकी कुंडली में राहु केतु का शुभ प्रभाव है वह भी गाय के घी के सेवन से कम होता है.

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