देहरादून (उत्तराखंड): आईएमए के दिसंबर 1998 बैच के 103 नियमित, 86 तकनीकी और 07 यूईएस पाठ्यक्रम के अधिकारी पास आउट हुए थे. पास आउट होने के बाद ये सैन्य अफसर देश की विभिन्न सीमाओं और सैन्य स्टेशनों पर अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. इनके पास आउट होने के रजत जयंती वर्ष यानी 25 साल पूरे होने पर आईएमए देहरादून में भव्य समारोह आयोजित किया गया.
आईएमए 1998 बैच के अफसरों का रजत जयंती पुनर्मिलन: सैन्य अधिकारियों का रजत जयंती पुनर्मिलन समारोह भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में संपन्न हुआ. इस कार्यक्रम में भाग लेने आए पूर्व छात्रों ने राष्ट्र के लिए दी गई अपनी 25 साल की सेवा का जमकर जश्न मनाया. सभी सैन्य अफसरों ने आईएमए को धन्यवाद दिया. साथ ही उस दौरान उन्हें प्रशिक्षण देने वाले अफसरों का भी उन्होंने शुक्रिया अदा किया. बताते चलें कि दिसंबर 1998 में 103 नियमित, 86 तकनीकी और 07 यूईएस पाठ्यक्रम के कुल 475 जेंटलमैन कैडेट्स ने भारतीय सैन्य अकादमी से स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी.
दो दिवसीय रजत जयंती पुनर्मिलन में शामिल हुए सैन्य अफसर: दो दिवसीय समारोह भारतीय सैन्य अकादमी युद्ध स्मारक पर अधिकारियों द्वारा अपने शहीद साथियों को याद करने और श्रद्धांजलि देने के साथ शुरू हुआ था. इस अवसर पर देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले अधिकारियों के रिश्तेदारों को भी आमंत्रित किया गया था. इसके बाद उनके अल्मा मेटर (आईएमए) में प्रशिक्षण के दिनों को याद करने के लिए अकादमी के चारों ओर एक विंडशील्ड दौरा किया गया. देश के कोने-कोने से आए अधिकारियों ने अकादमी में बिताए अपने यादगार दिनों को याद किया. कुछ अधिकारियों ने समय से पहले सेवानिवृत्ति ले ली है. अब वो अधिकारी उद्यमी बन गए हैं. कुछ अन्य अफसर अब सेना से रिटायरमेंट लेकर कॉर्पोरेट जगत में शामिल हो गए हैं.
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1932 में हुई आईएमए की स्थापना: आईएमए यानी इंडियन मिलिट्री अकादमी की स्थापना 10 दिसंबर 1932 में हुई थी. भारतीय सैन्य अकादमी का औपचारिक उद्घाटन तत्कालीन फील्ड मार्शल सर फिलिप डब्ल्यू चैटवुड ने किया था. चैटवुड के नाम पर आईएमए की प्रमुख बिल्डिंग को चैटवुड बिल्डिंग कहा जाता है. 1947 में देश की आजादी के बाद पहली बार किसी भारतीय ने सैन्य अकादमी की कमान संभाली थी. 1947 में ब्रिगेडियर ठाकुर महादेव सिंह इसके पहले कमांडेंट बने थे. 1949 में इसे सुरक्षा बल अकादमी का नाम दिया गया. इसकी एक विंग क्लेमेंटाउन में खोली गयी. बाद में इसका नाम नेशनल डिफेंस अकादमी रखा गया.