मोहाली: सिख कैदियों की रिहाई की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के चंडीगढ़ स्थित आवास की ओर बढ़ने से रोकने के लिए पानी की बौछार (वाटर कैनन) किए जाने के बाद बुधवार को उनकी (प्रदर्शनकारियों की) पुलिस से झड़प हो गई. प्रदर्शनकारियों को मुख्यमंत्री आवास की ओर बढ़ने से रोकने के लिए पुलिस ने चंडीगढ़-मोहाली सीमा के पास बाड़ लगा दिए थे.
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#WATCH | Protesters belonging to the Quami Insaaf Morcha clashed with Chandigarh Police after the police stopped them from entering the city
— ANI (@ANI) February 8, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
The Morcha is demanding the release of Sikh prisoners who were convicted of various crimes during the period of militancy in Punjab pic.twitter.com/LCaZNChfw1
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— ANI (@ANI) February 8, 2023
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— ANI (@ANI) February 8, 2023
The Morcha is demanding the release of Sikh prisoners who were convicted of various crimes during the period of militancy in Punjab pic.twitter.com/LCaZNChfw1
जब प्रदर्शनकारियों ने बाड़ तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश की, तो चंडीगढ़ पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछार शुरू कर दी. प्रदर्शनकारियों ने एक पानी की बौछार करने वाली गाड़ी, एक 'वज्र' (दंगा नियंत्रण वाहन), दो पुलिस की गाड़ी, एक अग्निशमन वाहन और कुछ अन्य वाहनों को तलवारों और लाठियों से क्षतिग्रस्त कर दिया. पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तीखी बहस और हाथापाई हुई और पत्थर भी फेंके गए.
कौमी इंसाफ मोर्चा के बैनर तले प्रदर्शनकारी अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री आवास जाना चाहते थे. मांगों में सिख कैदियों की रिहाई भी शामिल है. प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि सजा पूरी होने के बावजूद वे विभिन्न जेलों में बंद हैं. पंजाब के विभिन्न हिस्सों से लोग सात जनवरी से चंडीगढ़-मोहाली सीमा के पास वाईपीएस चौक पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके अलावा इस झड़प में पुलिस कर्मियों के घायल होने की भी खबर है.
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गौरतलब है कि मोहाली-चंडीगढ़ बॉर्डर पर बंदी सिंहों की रिहाई के लिए नेशनल जस्टिस फ्रंट की ओर से अभियान चल रहा है. मार्च में शामिल लोगों ने कहा है कि जब तक सरकार कोई फैसला लेकर बंदी सिंहों को रिहा नहीं करती, तब तक यह मार्च इसी तरह जारी रहेगा. संगत ने सरकार से इस मामले का अविलंब समाधान करने का अनुरोध भी किया है. मोर्चा के नेताओं ने कहा कि अगर सरकार बलात्कारियों, हत्यारों और ईशनिंदा करने वालों के आरोपियों को पैरोल और जमानत दिला सकती है, तो सजा पूरी कर चुके कैदियों की रिहाई को लेकर सरकार हर बार चुप क्यों है.