अयोध्याः रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले अयोध्या पूरी तरह से राममय हो चुकी है. यहां आपको पग-पग पर राम और रामायण से जुड़े पात्र याद आते रहेंगे. इसके लिए पूरी अयोध्या नगरी को खास तरह से डिजाइन किया गया है.
अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन पर आपका स्वागत है...
अयोध्या रेलवे स्टेशन का नाम अब अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन कर दिया गया है. यहां से उतरते ही यात्रियों को राम जन्म धरा से जोड़ने की शुरुआत हो जाएगी. अयोध्या नाम चूंकि रामायण कालानी है इसलिए यहां स्टेशन को कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया है कि भक्तों को रामायण काल का अहसास होने लगे.
महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट भी रामायण की याद दिलाएगा
संस्कृत रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के नाम से अयोध्या का एयरपोर्ट अब दुनिया में जाना जा रहा है. हवाई यात्रा करने वालों को एक तरह से यह राम और रामायण से जोड़ने की पहल है.
माता शबरी के नाम पर अवधपुरी में भोजनालय
रामायण में माता शबरी और उनके जूठे बेर खाने वाले राम लक्ष्मण के अनन्य प्रेम को आखिर कौन भूल सकता है. सीएम योगी ने बीते दिनों बैठक कर अफसरों को निर्देश दिए हैं कि अयोध्या में माता शबरी के नाम पर भोजनालाय बनाया जाए ताकि माता शबरी से भक्तों का जुड़ाव बना रहे.
निषादराज गुहा के नाम पर रात्रि विश्रामालय
रामायण में निषादराज गुहा द्वारा राम चरण पखारना और गंगा पार ले जाने का प्रसंग भक्त और भगवान के प्रेम का अनुपम उदाहरण है. अयोध्या नगरी में निषादराज गुहा के नाम पर रात्रि विश्रामालय तैयार करने की रणनीति बन चुकी है. इसके लिए सीएम योगी ने बीते दिनों अफसरों को निर्देश दे दिए थे.
कुबेर टीला पर जटायू प्रतिमा विराजमान
जब आप अयोध्या जाएं तो कुबेर टीला जरूर जाएं. पौराणिक कथाओं में कुबेर को रावण का छोटा भाई कहा जाता है. रावण की जो सोने की लंका थी वह दरअसल कुबेर की ही बनाई हुई थी जिसे रावण ने ले लिया था. इसके अलावा माता सीता की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले जटायू को आखिर कौन भूल सकता है. अयोध्या में जहां कुबेर के नाम पर टीला है तो वहीं उस टीले पर जटायू की प्रतिमा लगाई गई है ताकि भक्त इनसे खुद को जुड़ा महसूस कर सकें.
राम कथा कुंज में राम कथा के सजीव दर्शन
भक्तों को पूरी रामायण का आनंद देने के लिए रामकथा कुंज तैयार किया गया है. यहां रामायण पर आधारित 100 प्रतिमाओं को तैयार किया जा रहा है. इनमें राम जन्म से लेकर रावण वध तक के प्रसंग को इन प्रतिमाओं के जरिए दिखाया जाएगा. ये प्रतिमाएं भक्तों को राम और रामायण से जोड़े रहेंगी.
राम जन्मभूमि पथ, भक्ति पथ, राम पथ
भक्त जिस मार्ग से रामलला के दर्शन के लिए जाएंगे उस मार्ग का नाम राम जन्मभूमि पथ रख गया है. इसके अलावा भक्ति पथ और राम पथ भी भक्तों के लिए तैयार किए गए हैं. ये सभी नाम भी भक्तो को राम से जोड़े रखेंगे.
सुग्रीव किला से भक्तों को मिलेगा प्रवेश
राम लला के दर्शन करने आने वालों को सुग्रीव किला के रास्ते प्रवेश दिया जाएगा. इसके बाद वे रामलला के दर्शन के लिए गर्भग्रह की ओर बढ़ेंगे. सुग्रीव भगवान राम के परम मित्रों में एक है इसलिए उन्हें भी अयोध्या में स्थान दिया गया है.
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