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SIA ने दक्षिण कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी की और संपत्तियां कुर्क कीं

एसआईए ने दक्षिण कश्मीर के विभिन्न स्थानों पर जमात ए इस्लामी से जुड़ी संपत्तियों को कुर्क कर लिया. इस संबंध में किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है. हालांकि मामला दर्ज कर लिया गया है.

More properties of Jamaat-e-Islami attached
जमात-ए-इस्लामी की और संपत्तियां कुर्क
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Published : Jan 7, 2023, 4:00 PM IST

एक रिपोर्ट

बिजबेहरा : राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने शनिवार को दक्षिण कश्मीर में विभिन्न स्थानों पर प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) से संबंधित और संपत्तियों को कुर्क किया है. बताया जाता है कि एसआईए ने अनंतनाग जिले के बिजबेहरा के सिरहामा, विड्डी श्रीगुफवारा, अरवानी और मुख्य शहर कुलगाम में संपत्तियों को कुर्क किया है.

अधिकारियों ने बताया कि कुर्क की गई संपत्तियों में एक दोमंजिला मकान, 7 मरला जमीन, 56 कनाल कृषि भूमि, 02 कनाल 7 मरला जमीन, 3 कनाल 4 मरला जमीन और 1.5 कनाल जमीन शामिल है. राज्य जांच एजेंसी के मुताबिक, यह संपत्ति जमात-ए-इस्लामी ने खरीदी है. जम्मू-कश्मीर में कथित रूप से अलगाववाद का समर्थन करने के लिए अधिकारियों ने 2017 में संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया था. एसआईए की टीम ने एक मामले की जांच के दौरान संपत्ति को सील कर दिया है. सूत्रों ने बताया कि इस मामले में अभी किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है लेकिन इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया गया है.

इससे पहले एनआईए और एसआईए द्वारा कश्मीर घाटी में विभिन्न स्थानों पर छापे मारे गए थे जिसमें अलगाववादी नेताओं और जमात-ए-इस्लामी की संपत्तियां जब्त की गई थीं. वहीं दिसंबर के अंतिम सप्ताह में अलगाववादी नेता दिवंगत सैयद अली गिलानी के नाम पर पंजीकृत कुछ संपत्तियों सहित कुल 20 संपत्तियों को कुर्क किया गया था. जमात-ए-इस्लामी 1953 में स्थापित जम्मू और कश्मीर में एक विशाल कैडर आधारित संगठन है.

अधिकारियों का कहना है कि जमात कश्मीर में अलगाववाद के बीज बोने के लिए जिम्मेदार है. इसके कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया और केंद्र शासित प्रदेश के बाहर जेल भेज दिया गया. संगठन को 2017 में जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के साथ प्रतिबंधित कर दिया गया था. बता दें कि 5 अगस्त, 2019 को जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने के बाद इस संगठन पर प्रतिबंध लगाया गया था. जमात, जिसने जम्मू और कश्मीर के पूर्ववर्ती राज्य में चुनावी राजनीति में भी भाग लिया है, को 1975 में दिवंगत शेख मुहम्मद अब्दुल्ला के शासन के दौरान प्रतिबंधित कर दिया गया था. इस दौरान इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया था. वहीं 1975 की तरह इस बार भी फलाह-ए-आम ट्रस्ट के तहत जमात द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों की शृंखला को बंद कर दिया गया है.

ये भी पढ़ें - Jamat Islami Property Attached : श्रीनगर में गिलानी के नाम पर जमात-ए-इस्लामी की संपत्ति कुर्क

एक रिपोर्ट

बिजबेहरा : राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने शनिवार को दक्षिण कश्मीर में विभिन्न स्थानों पर प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) से संबंधित और संपत्तियों को कुर्क किया है. बताया जाता है कि एसआईए ने अनंतनाग जिले के बिजबेहरा के सिरहामा, विड्डी श्रीगुफवारा, अरवानी और मुख्य शहर कुलगाम में संपत्तियों को कुर्क किया है.

अधिकारियों ने बताया कि कुर्क की गई संपत्तियों में एक दोमंजिला मकान, 7 मरला जमीन, 56 कनाल कृषि भूमि, 02 कनाल 7 मरला जमीन, 3 कनाल 4 मरला जमीन और 1.5 कनाल जमीन शामिल है. राज्य जांच एजेंसी के मुताबिक, यह संपत्ति जमात-ए-इस्लामी ने खरीदी है. जम्मू-कश्मीर में कथित रूप से अलगाववाद का समर्थन करने के लिए अधिकारियों ने 2017 में संगठन पर प्रतिबंध लगा दिया था. एसआईए की टीम ने एक मामले की जांच के दौरान संपत्ति को सील कर दिया है. सूत्रों ने बताया कि इस मामले में अभी किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है लेकिन इस संबंध में मामला दर्ज कर लिया गया है.

इससे पहले एनआईए और एसआईए द्वारा कश्मीर घाटी में विभिन्न स्थानों पर छापे मारे गए थे जिसमें अलगाववादी नेताओं और जमात-ए-इस्लामी की संपत्तियां जब्त की गई थीं. वहीं दिसंबर के अंतिम सप्ताह में अलगाववादी नेता दिवंगत सैयद अली गिलानी के नाम पर पंजीकृत कुछ संपत्तियों सहित कुल 20 संपत्तियों को कुर्क किया गया था. जमात-ए-इस्लामी 1953 में स्थापित जम्मू और कश्मीर में एक विशाल कैडर आधारित संगठन है.

अधिकारियों का कहना है कि जमात कश्मीर में अलगाववाद के बीज बोने के लिए जिम्मेदार है. इसके कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया और केंद्र शासित प्रदेश के बाहर जेल भेज दिया गया. संगठन को 2017 में जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के साथ प्रतिबंधित कर दिया गया था. बता दें कि 5 अगस्त, 2019 को जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने के बाद इस संगठन पर प्रतिबंध लगाया गया था. जमात, जिसने जम्मू और कश्मीर के पूर्ववर्ती राज्य में चुनावी राजनीति में भी भाग लिया है, को 1975 में दिवंगत शेख मुहम्मद अब्दुल्ला के शासन के दौरान प्रतिबंधित कर दिया गया था. इस दौरान इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया था. वहीं 1975 की तरह इस बार भी फलाह-ए-आम ट्रस्ट के तहत जमात द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों की शृंखला को बंद कर दिया गया है.

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