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श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद, सुनवाई में नहीं शामिल हुआ प्रतिवादी पक्ष, अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को - मथुरा समाचार हिंदी में

मथुरा की जिला अदालत में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद को लेकर मथुरा जिला अदालत में अब 3 अक्टूबर को सुनवाई होगी.

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shri krishna janmabhoomi shahi idgah dispute hearing in mathura
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Published : Sep 13, 2022, 6:39 AM IST

Updated : Sep 13, 2022, 5:07 PM IST

मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही ईदगाह मस्जिद प्रकरण की सुनवाई मंगलवार को मथुरा की जिला अदालत में हुई. इस मामले में वादी महेंद्र प्रताप सिंह ने जिला जज की कोर्ट में रिवीजन याचिका दाखिल की थी. सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड और शाही ईदगाह मस्जिद के अधिवक्ता कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए. सुन्नी वक्फ बोर्ड और शाही ईदगाह मस्जिद की ओर से कोर्ट में दस्तावेज दाखिल नहीं किए गए. इस केस सुनवाई में अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बहस की. इस केस की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी.

शाही ईदगाह मस्जिद के अधिवक्ता तनवीर अहमद ने बताया सुन्नी वक्फ बोर्ड ने जिला जज की कोर्ट में अपनी पैरवी दाखिल नहीं की. जबकि महेंद्र प्रताप सिंह के द्वारा डाली गई रिवीजन में सभी लोगों को पैरवी करनी चाहिए. न्यायालय के सामने हमने तर्क रखा है, सुन्नी वक्फ बोर्ड को समय दिया जाए. इस मामले की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी.

वहीं, वादी पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया जिला जज की कोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि प्रकरण को लेकर महत्वपूर्ण सुनवाई हुई थी. कोर्ट में महेंद्र प्रताप सिंह ने बहस की, लेकिन कई बार से सुन्नी वक्फ बोर्ड और शाही ईदगाह मस्जिद के अधिवक्ता इस मामले में हाजिर नहीं हो रहे हैं. दूसरे पक्ष के लोग इस मामले को अनदेखा कर रहे हैं.

गौरतलब है कि जुलाई के माह में वादी महेंद्र प्रताप सिंह ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही ईदगाह मस्जिद प्रकरण को लेकर जिला जज की कोर्ट में रिवीजन दाखिल किया गया था. जिसमें मांग की गई थी, कि शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे कराने और कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति की जाए. साथ ही मौजूदा स्थिति की रिपोर्ट में पेश की जाए. रिविजन के मामले में जिला न्यायालय में मामले की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी. इस मामले की सुनवाई के दौरान जिला जज की कोर्ट मे दाखिल किए गए रिवीजन में 2 विपक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड और शाही ईदगाह मस्जिद के अधिवक्ता उपस्थित नहीं हुए.

अब तक 12 से अधिक याचिकाएं न्यायालय में विचाराधीन
पिछले दो वर्ष पूर्व सिविल जज सीनियर डिविजन और जिला जज की कोर्ट में अखिल भारत हिंदू महासभा, हिंदू आर्मी चीफ मनीष यादव, महेंद्र प्रताप सिंह गोपाल गिरी अनिल त्रिपाठी कृष्ण भक्त रंजना अग्निहोत्री ने याचिका दाखिल की थी. जिसमें कहा गया था कि मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिरो को तोड़कर अवैध मस्जिद का निर्माण किया था.

अवैध रूप से बनाई गईं इन मस्जिदों में एक मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद भी एक है. न्यायालय इस मामले का संज्ञान लेकर मस्जिद हटवाए. मांग की गई थी कि मस्जिद के स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण का भव्य मंदिर बनाया जाए. अखिल भारत हिंदू महासभा ने प्रार्थना पत्र में कहा था कि शाही ईदगाह मस्जिद के नीचे भगवान श्रीकृष्ण का मूल विग्रह मंदिर है. न्यायालय वरिष्ठ कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करके वहां की मौजूदा स्थिति की रिपोर्ट न्यायालय मे पेश करवाए.

ये भी पढ़ें- शंकराचार्य को लेकर विवाद होते रहे हैं, जानें कैसे चुने जाते हैं शंकराचार्य के उत्तराधिकारी

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में कब क्या हुआ: मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर विवाद है. 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व की मांग को लेकर मथुरा कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका में पूरी जमीन लेने और श्री कृष्ण जन्मभूमि के बराबर में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई है.

याचिकाकर्ता ने विवादित स्थल की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराने की भी मांग की थी. निचली अदालत में ये मामला लंबित है. लगातार देरी होने के चलते याचिकाकर्ता मनीष यादव ने हाईकोर्ट का रूख किया. मनीष ने हाईकोर्ट में भी यही मांग की. इसके बाद कोर्ट ने निचली अदालत से आख्या मांगी. इसी मामले में हाईकोर्ट में 29 अगस्त को सुनवाई हुई. कोर्ट ने मंदिर पक्ष की ओर से निचली अदालत में दाखिल अर्जी पर चार महीने में सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया है.

ऐसा कहा जाता है कि औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्म स्थली पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को नष्ट करके उसी जगह 1669-70 में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था. 1770 में गोवर्धन में मुगलों और मराठाओं में जंग हुई. इसमें मराठा जीते. जीत के बाद मराठाओं ने फिर से मंदिर का निर्माण कराया. 1935 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 13.37 एकड़ की भूमि बनारस के राजा कृष्ण दास को आवंटित कर दी. 1951 में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने ये भूमि अधिग्रहीत कर ली.

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12 अक्टूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ एक समझौता किया. समझौते में 13.37 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों के बने रहने की बात है. पूरा विवाद इसी 13.37 एकड़ जमीन को लेकर है. इस जमीन में से 10.9 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मस्थान और 2.5 एकड़ जमीन शाही ईदगाह मस्जिद के पास है. इस समझौते में मुस्लिम पक्ष ने मंदिर के लिए अपने कब्जे की कुछ जगह छोड़ी और मुस्लिम पक्ष को बदले में पास में ही कुछ जगह दी गई थी. अब हिन्दू पक्ष पूरी 13.37 एकड़ जमीन पर कब्जे की मांग कर रहा है.

ये भी पढ़ें- ज्ञानवापी केस में कोर्ट का फैसला, जारी रहेगी श्रृंगार गौरी पूजा मामले की सुनवाई

मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही ईदगाह मस्जिद प्रकरण की सुनवाई मंगलवार को मथुरा की जिला अदालत में हुई. इस मामले में वादी महेंद्र प्रताप सिंह ने जिला जज की कोर्ट में रिवीजन याचिका दाखिल की थी. सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड और शाही ईदगाह मस्जिद के अधिवक्ता कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए. सुन्नी वक्फ बोर्ड और शाही ईदगाह मस्जिद की ओर से कोर्ट में दस्तावेज दाखिल नहीं किए गए. इस केस सुनवाई में अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बहस की. इस केस की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी.

शाही ईदगाह मस्जिद के अधिवक्ता तनवीर अहमद ने बताया सुन्नी वक्फ बोर्ड ने जिला जज की कोर्ट में अपनी पैरवी दाखिल नहीं की. जबकि महेंद्र प्रताप सिंह के द्वारा डाली गई रिवीजन में सभी लोगों को पैरवी करनी चाहिए. न्यायालय के सामने हमने तर्क रखा है, सुन्नी वक्फ बोर्ड को समय दिया जाए. इस मामले की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी.

वहीं, वादी पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया जिला जज की कोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि प्रकरण को लेकर महत्वपूर्ण सुनवाई हुई थी. कोर्ट में महेंद्र प्रताप सिंह ने बहस की, लेकिन कई बार से सुन्नी वक्फ बोर्ड और शाही ईदगाह मस्जिद के अधिवक्ता इस मामले में हाजिर नहीं हो रहे हैं. दूसरे पक्ष के लोग इस मामले को अनदेखा कर रहे हैं.

गौरतलब है कि जुलाई के माह में वादी महेंद्र प्रताप सिंह ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनाम शाही ईदगाह मस्जिद प्रकरण को लेकर जिला जज की कोर्ट में रिवीजन दाखिल किया गया था. जिसमें मांग की गई थी, कि शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे कराने और कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति की जाए. साथ ही मौजूदा स्थिति की रिपोर्ट में पेश की जाए. रिविजन के मामले में जिला न्यायालय में मामले की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को होगी. इस मामले की सुनवाई के दौरान जिला जज की कोर्ट मे दाखिल किए गए रिवीजन में 2 विपक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड और शाही ईदगाह मस्जिद के अधिवक्ता उपस्थित नहीं हुए.

अब तक 12 से अधिक याचिकाएं न्यायालय में विचाराधीन
पिछले दो वर्ष पूर्व सिविल जज सीनियर डिविजन और जिला जज की कोर्ट में अखिल भारत हिंदू महासभा, हिंदू आर्मी चीफ मनीष यादव, महेंद्र प्रताप सिंह गोपाल गिरी अनिल त्रिपाठी कृष्ण भक्त रंजना अग्निहोत्री ने याचिका दाखिल की थी. जिसमें कहा गया था कि मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिरो को तोड़कर अवैध मस्जिद का निर्माण किया था.

अवैध रूप से बनाई गईं इन मस्जिदों में एक मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद भी एक है. न्यायालय इस मामले का संज्ञान लेकर मस्जिद हटवाए. मांग की गई थी कि मस्जिद के स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण का भव्य मंदिर बनाया जाए. अखिल भारत हिंदू महासभा ने प्रार्थना पत्र में कहा था कि शाही ईदगाह मस्जिद के नीचे भगवान श्रीकृष्ण का मूल विग्रह मंदिर है. न्यायालय वरिष्ठ कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करके वहां की मौजूदा स्थिति की रिपोर्ट न्यायालय मे पेश करवाए.

ये भी पढ़ें- शंकराचार्य को लेकर विवाद होते रहे हैं, जानें कैसे चुने जाते हैं शंकराचार्य के उत्तराधिकारी

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में कब क्या हुआ: मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर विवाद है. 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व की मांग को लेकर मथुरा कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका में पूरी जमीन लेने और श्री कृष्ण जन्मभूमि के बराबर में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई है.

याचिकाकर्ता ने विवादित स्थल की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराने की भी मांग की थी. निचली अदालत में ये मामला लंबित है. लगातार देरी होने के चलते याचिकाकर्ता मनीष यादव ने हाईकोर्ट का रूख किया. मनीष ने हाईकोर्ट में भी यही मांग की. इसके बाद कोर्ट ने निचली अदालत से आख्या मांगी. इसी मामले में हाईकोर्ट में 29 अगस्त को सुनवाई हुई. कोर्ट ने मंदिर पक्ष की ओर से निचली अदालत में दाखिल अर्जी पर चार महीने में सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया है.

ऐसा कहा जाता है कि औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्म स्थली पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को नष्ट करके उसी जगह 1669-70 में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था. 1770 में गोवर्धन में मुगलों और मराठाओं में जंग हुई. इसमें मराठा जीते. जीत के बाद मराठाओं ने फिर से मंदिर का निर्माण कराया. 1935 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 13.37 एकड़ की भूमि बनारस के राजा कृष्ण दास को आवंटित कर दी. 1951 में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने ये भूमि अधिग्रहीत कर ली.

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12 अक्टूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ एक समझौता किया. समझौते में 13.37 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों के बने रहने की बात है. पूरा विवाद इसी 13.37 एकड़ जमीन को लेकर है. इस जमीन में से 10.9 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मस्थान और 2.5 एकड़ जमीन शाही ईदगाह मस्जिद के पास है. इस समझौते में मुस्लिम पक्ष ने मंदिर के लिए अपने कब्जे की कुछ जगह छोड़ी और मुस्लिम पक्ष को बदले में पास में ही कुछ जगह दी गई थी. अब हिन्दू पक्ष पूरी 13.37 एकड़ जमीन पर कब्जे की मांग कर रहा है.

ये भी पढ़ें- ज्ञानवापी केस में कोर्ट का फैसला, जारी रहेगी श्रृंगार गौरी पूजा मामले की सुनवाई

Last Updated : Sep 13, 2022, 5:07 PM IST
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