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राजस्थान में ऐसा मंदिर जहां कृष्ण के साथ राधा की नहीं मीरा की होती है पूजा - 30 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

30 अगस्त को देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी. यूं तो देश में कृष्ण और राधा के लाखों मंदिर हैं, लेकिन जयपुर में एक ऐसा मंदिर भी हैं जहां श्रीकृष्ण और मीरा की मूर्ति है और इन्हीं की पूजा भी की जाती है. आइए जानते हैं इस अनोखे और विश्व के एकमात्र कृष्ण और मीरा के मंदिर के बारे में...

कृष्ण के साथ राधा की नहीं मीरा की होती है पूजा
कृष्ण के साथ राधा की नहीं मीरा की होती है पूजा
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Published : Aug 30, 2021, 1:33 AM IST

जयपुर. यूं तो भगवान श्री कृष्ण के असंख्य भक्त हैं, लेकिन मीरा जैसी उनकी ना कोई भक्त हुई, ना कोई होगी. मीरा ने भगवान श्री कृष्ण की जिस प्रतिमा की उपासना की, उसी प्रतिमा को जयपुर के जगत शिरोमणि मंदिर में विराजमान कराया गया. खास बात यह है कि यहां भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा के साथ राधा या रुकमणी नहीं बल्कि मीरा पूजी जाती हैं. कृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं.

पढ़ेंः Janmashtami 2021 : इस तरह करें भगवान श्री कृष्ण की पूजा, जानिए पूरी विधि

मथुरा वृंदावन में प्रसिद्ध भगवान कृष्ण मंदिर में राधा की प्रतिमा विराजमान है. इसी तरह देश में भगवान कृष्ण के कई मंदिर है, लेकिन आमेर के जगत शिरोमणि मंदिर की अलग ही खासियत है. जगत शिरोमणि मंदिर में कृष्ण और मीरा के साथ भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है. मंदिर का निर्माण हिंदू वास्तुशिल्प के आधार पर करवाया गया था.

कृष्ण के साथ राधा की नहीं मीरा की होती है पूजा

इस मंदिर में दूरदराज से अपनी मनोकामनाएं लिए भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं. जगत शिरोमणि मंदिर पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र रहता है. जगत शिरोमणि मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है, जो कि भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन है.

राजा मानसिंह ने करवाया था मंदिर का निर्माण

आमेर स्थित जगत शिरोमणि मंदिर का निर्माण महाराजा मानसिंह प्रथम ने पत्नी महारानी कनकवती के कहने पर करवाया गया था. राजा ने अपने पुत्र जगत सिंह की याद में मंदिर बनवाया था. महारानी की इच्छा थी कि उनके पुत्र को इस मंदिर के माध्यम से सदियों तक याद किया जाए. इसी वजह से मंदिर का नाम जगत शिरोमणि रखा गया. मंदिर का निर्माण कार्य 1599 ईस्वी में शुरू हुआ था और 1608 में मंदिर बनकर तैयार हुआ था. जगत शिरोमणि मंदिर को लेकर कहा जाता है कि इस मंदिर में वही कृष्ण की मूर्ति स्थापित है, जिसकी मीरा पूजा करती थी.

कृष्ण के साथ राधा की नहीं मीरा की होती है पूजा
कृष्ण के साथ राधा की नहीं मीरा की होती है पूजा

भक्तों की मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण

जगत शिरोमणि मंदिर में देश-विदेश से भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं इस मंदिर की मान्यता है कि यहां पर आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसीलिए लोग यहां पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं. दिन भर भक्तों का आना जाना लगा रहता है. यहां आने वाले भक्तों मंदिर में अपने फोटोग्राफ से भी लेते हैं. इन खूबसूरत पलों की यादों को संजोकर अपने साथ ले जाते हैं.

मंदिर की बनावट और सुंदरता काफी अद्भुत

जगत शिरोमणि मंदिर की बनावट और सुंदरता काफी अद्भुत है, जो कि पर्यटकों के लिए भी काफी आकर्षण का केंद्र हैं. यह मंदिर आमेर किले के पास में स्थित है आमेर किले के ऊपर से भी मंदिर दिखाई देता है. वहीं, मंदिर से आमेर का किला भी बहुत खूबसूरत नजर आता है. जगत शिरोमणि मंदिर का निर्माण सफेद संगमरमर और काले पत्थर से किया गया है. मंदिर में ऊंचाई पर हाथी-घोड़े और पुराणों के दृश्य का कलात्मक चित्रण है.

कृष्ण के साथ राधा की नहीं मीरा की होती है पूजा
कृष्ण के साथ राधा की नहीं मीरा की होती है पूजा

इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत ने बताया कि मीराबाई की ओर से पूजित विग्रह चित्तौड़ में था, जिसको राजा मानसिंह चित्तौड़ विजय के उपरांत आमेर में लेकर आए. क्योंकि भगवान कृष्ण का विग्रह वहां पर अकेला हो गया था. विग्रह की स्थिति को ताजा रखने के लिए मंदिर बनवाने की बात कही गई थी. राजा मानसिंह की पत्नी कनकावत ने पुत्र जगत सिंह के नाम से मंदिर बनवाया. मंदिर का नाम जगत शिरोमणि रखा गया.

मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के साथ राधा का विग्रह भी है. यह वही विग्रह जिसकी मीराबाई पूजा किया करती थी. यहां एक मंडप है जिसमें भगवान श्री कृष्ण का मीराबाई के साथ विवाह करवाया गया था. यह मंदिर करीब 20 फीट नीचे चबूतरे पर बना हुआ है. मंदिर का एक तोरण द्वार है, जो कि विश्व में एकमात्र है. भगवान श्री कृष्ण के सामने गरुड़ की प्रतिमा स्थापित की गई है. इस मंदिर की खास विशेषता यह है कि मीराबाई श्री कृष्ण की प्रधान भक्त मानी जाती थी, उसका सबसे बड़ा नमूना इस मंदिर में है.

कृष्ण के साथ राधा की नहीं मीरा की होती है पूजा
कृष्ण के साथ राधा की नहीं मीरा की होती है पूजा

मंदिर पुजारी गौरव शर्मा ने बताया कि जगत शिरोमणि मंदिर मीरा के गिरधर गोपाल का मंदिर है। इस मंदिर में भगवान कृष्ण की वही मूर्ति है जिसकी मीराबाई पूजा किया करती थी। ऊपर की तरफ भगवान विष्णु की प्रतिमा है और नीचे कृष्ण मीरा की प्रतिमा विराजमान है. 16 वीं सदी में मंदिर बना था. भगवान कृष्ण के देश में कई मंदिर हैं. जिनमें कृष्ण भगवान के साथ राधा या रुकमणी की प्रतिमा होती हैं, लेकिन इस मंदिर में यह खासियत है कि यहां पर भगवान कृष्ण के साथ मीराबाई विराजमान है. पूरे विश्व में इस मंदिर की अलग ही पहचान है. मंदिर में भक्तों की काफी आस्था है. यहां पर आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

पढ़ेंः Ground report : श्रीकृष्ण जन्माष्टी उत्सव पर एक बार फिर भक्त और भगवान के बीच आ गई कोरोना की दीवार...

टूरिस्ट गाइड महेश शर्मा ने बताया कि आमेर का जगत शिरोमणि मंदिर काफी प्राचीन है. मंदिर का निर्माण राजा मानसिंह ने करवाया था. राजा ने अपने पुत्र जगत सिंह की याद में मंदिर बनवाया था, जिसका नाम जगत शिरोमणि मंदिर रखा गया. मंदिर को तीन भागों में बनाया गया था. मंदिर के लिए सन 1599 में रखी गई थी और 1608 में मंदिर बनकर तैयार हुआ था. उस जमाने में मंदिर का गर्भ ग्रह वाला हिस्सा करीब 9.72 लाख रुपये की लागत से बना था. दूसरा गरुड़ छतरी के निर्माण में 1.25 लाख रुपये का खर्चा हुआ था. तीसरा मंदिर का तोरण द्वार के निर्माण में करीब 80 हजार रुपये का खर्चा आया था.

कृष्ण और मीरा की प्रतिमा क्यों की गई थी स्थापित

टूरिस्ट गाइड महेश शर्मा ने बताया कि मंदिर का निर्माण राजा मान सिंह ने उनकी पत्नी के कहने पर अपने पुत्र जगत सिंह की याद में करवाया था. सबसे पहले मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित की गई थी, लेकिन जब राजा की पत्नी ने मंदिर को देखा तो वह नाराज हो गई उन्होंने कहा कि महाराज इस मंदिर में ऐसा क्या खास है जो सदियों तक याद रखा जाए क्योंकि भगवान विष्णु के हिंदुस्तान में और भी कई बड़े मंदिर हैं.

इसके बाद राजा मानसिंह चित्तौड़ से भगवान कृष्ण की उस मूर्ति को लेकर आए जिसकी मीराबाई आराधना किया करती थी. फिर भगवान कृष्ण की मूर्ति मीराबाई के साथ जगत शिरोमणि मंदिर में स्थापित की गई थी. पूरे विश्व में मीराबाई और कृष्ण की मूर्ति जगत शिरोमणि मंदिर में ही देखने को मिलेगी. जिस पालकी में कृष्ण और मीरा बाई की प्रतिमा लाई गई थी, वह भी मंदिर में मौजूद है. जलझूलनी एकादशी के अवसर पर आज भी भगवान कृष्ण को उसी पालकी में विराजमान करवाकर नजदीकी सरोवर में ले जाकर स्नान करवाया जाता है.

अपनी भक्त मीरा के साथ विराजमान है भगवान कृष्ण

मंदिर में मूर्ति राधा कृष्ण की नहीं है, ना हीं रुक्मणी कृष्ण की है, बल्कि मीरा और कृष्ण की मूर्ति है. मीरा के गिरधर गोपाल यहां पर विराजमान है. इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां भगवान कृष्ण अपने भक्त के साथ विराजमान है.

मंदिर में बॉलीवुड फिल्मों की हो चुकी शूटिंग

मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. कई सेलिब्रिटीज भी इस मंदिर में आ चुके हैं. यहां पर कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है. फिल्म धड़क, लम्हें, तलाश, हमराज, भूल भुलैया समेत कई फिल्मों की जगत शिरोमणि मंदिर में शूटिंग हो चुकी है. इसके अलावा कई डॉक्यूमेंट्री भी यहां बन चुकी है.

विश्व का एकमात्र मंदिर है जगत शिरोमणि मंदिर

देश में जितने भी मंदिर है उनमें कृष्ण के साथ राधा या रुक्मणी की प्रतिमा होती है. कृष्ण का नाम भी हर किसी की जुबान पर आता है तो राधा कृष्ण का ही जिक्र होता है, लेकिन जयपुर के आमेर में स्थित जगत शिरोमणि मंदिर विश्व में एकमात्र मंदिर है, जहां मीराबाई के साथ भगवान कृष्ण विराजे हुए हैं.

उस जमाने में 11.70 लाख रुपए की आई थी लागत

मंदिर के निर्माण में उस समय करीब 11.70 लाख रुपए की लागत आई थी. जिसमे मंदिर निर्माण में 9.72 लाख रुपए, गरुड़ की प्रतिमा पर 1.25 लाख रुपए और तोरण द्वार पर 80 हजार रुपए खर्च किए गए थे. मंदिर के मुख्य उपासना गृह मीरा गिरधर गोपाल और विष्णु की प्रतिमाए हैं. भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ की विशाल मूर्ति मुख्य कक्ष के सामने ही हाथ जोड़े हुए विराजमान है.

जयपुर. यूं तो भगवान श्री कृष्ण के असंख्य भक्त हैं, लेकिन मीरा जैसी उनकी ना कोई भक्त हुई, ना कोई होगी. मीरा ने भगवान श्री कृष्ण की जिस प्रतिमा की उपासना की, उसी प्रतिमा को जयपुर के जगत शिरोमणि मंदिर में विराजमान कराया गया. खास बात यह है कि यहां भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा के साथ राधा या रुकमणी नहीं बल्कि मीरा पूजी जाती हैं. कृष्ण जन्मोत्सव के अवसर पर दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं.

पढ़ेंः Janmashtami 2021 : इस तरह करें भगवान श्री कृष्ण की पूजा, जानिए पूरी विधि

मथुरा वृंदावन में प्रसिद्ध भगवान कृष्ण मंदिर में राधा की प्रतिमा विराजमान है. इसी तरह देश में भगवान कृष्ण के कई मंदिर है, लेकिन आमेर के जगत शिरोमणि मंदिर की अलग ही खासियत है. जगत शिरोमणि मंदिर में कृष्ण और मीरा के साथ भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है. मंदिर का निर्माण हिंदू वास्तुशिल्प के आधार पर करवाया गया था.

कृष्ण के साथ राधा की नहीं मीरा की होती है पूजा

इस मंदिर में दूरदराज से अपनी मनोकामनाएं लिए भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं. जगत शिरोमणि मंदिर पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र रहता है. जगत शिरोमणि मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है, जो कि भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन है.

राजा मानसिंह ने करवाया था मंदिर का निर्माण

आमेर स्थित जगत शिरोमणि मंदिर का निर्माण महाराजा मानसिंह प्रथम ने पत्नी महारानी कनकवती के कहने पर करवाया गया था. राजा ने अपने पुत्र जगत सिंह की याद में मंदिर बनवाया था. महारानी की इच्छा थी कि उनके पुत्र को इस मंदिर के माध्यम से सदियों तक याद किया जाए. इसी वजह से मंदिर का नाम जगत शिरोमणि रखा गया. मंदिर का निर्माण कार्य 1599 ईस्वी में शुरू हुआ था और 1608 में मंदिर बनकर तैयार हुआ था. जगत शिरोमणि मंदिर को लेकर कहा जाता है कि इस मंदिर में वही कृष्ण की मूर्ति स्थापित है, जिसकी मीरा पूजा करती थी.

कृष्ण के साथ राधा की नहीं मीरा की होती है पूजा
कृष्ण के साथ राधा की नहीं मीरा की होती है पूजा

भक्तों की मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण

जगत शिरोमणि मंदिर में देश-विदेश से भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं इस मंदिर की मान्यता है कि यहां पर आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसीलिए लोग यहां पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं. दिन भर भक्तों का आना जाना लगा रहता है. यहां आने वाले भक्तों मंदिर में अपने फोटोग्राफ से भी लेते हैं. इन खूबसूरत पलों की यादों को संजोकर अपने साथ ले जाते हैं.

मंदिर की बनावट और सुंदरता काफी अद्भुत

जगत शिरोमणि मंदिर की बनावट और सुंदरता काफी अद्भुत है, जो कि पर्यटकों के लिए भी काफी आकर्षण का केंद्र हैं. यह मंदिर आमेर किले के पास में स्थित है आमेर किले के ऊपर से भी मंदिर दिखाई देता है. वहीं, मंदिर से आमेर का किला भी बहुत खूबसूरत नजर आता है. जगत शिरोमणि मंदिर का निर्माण सफेद संगमरमर और काले पत्थर से किया गया है. मंदिर में ऊंचाई पर हाथी-घोड़े और पुराणों के दृश्य का कलात्मक चित्रण है.

कृष्ण के साथ राधा की नहीं मीरा की होती है पूजा
कृष्ण के साथ राधा की नहीं मीरा की होती है पूजा

इतिहासकार देवेंद्र कुमार भगत ने बताया कि मीराबाई की ओर से पूजित विग्रह चित्तौड़ में था, जिसको राजा मानसिंह चित्तौड़ विजय के उपरांत आमेर में लेकर आए. क्योंकि भगवान कृष्ण का विग्रह वहां पर अकेला हो गया था. विग्रह की स्थिति को ताजा रखने के लिए मंदिर बनवाने की बात कही गई थी. राजा मानसिंह की पत्नी कनकावत ने पुत्र जगत सिंह के नाम से मंदिर बनवाया. मंदिर का नाम जगत शिरोमणि रखा गया.

मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के साथ राधा का विग्रह भी है. यह वही विग्रह जिसकी मीराबाई पूजा किया करती थी. यहां एक मंडप है जिसमें भगवान श्री कृष्ण का मीराबाई के साथ विवाह करवाया गया था. यह मंदिर करीब 20 फीट नीचे चबूतरे पर बना हुआ है. मंदिर का एक तोरण द्वार है, जो कि विश्व में एकमात्र है. भगवान श्री कृष्ण के सामने गरुड़ की प्रतिमा स्थापित की गई है. इस मंदिर की खास विशेषता यह है कि मीराबाई श्री कृष्ण की प्रधान भक्त मानी जाती थी, उसका सबसे बड़ा नमूना इस मंदिर में है.

कृष्ण के साथ राधा की नहीं मीरा की होती है पूजा
कृष्ण के साथ राधा की नहीं मीरा की होती है पूजा

मंदिर पुजारी गौरव शर्मा ने बताया कि जगत शिरोमणि मंदिर मीरा के गिरधर गोपाल का मंदिर है। इस मंदिर में भगवान कृष्ण की वही मूर्ति है जिसकी मीराबाई पूजा किया करती थी। ऊपर की तरफ भगवान विष्णु की प्रतिमा है और नीचे कृष्ण मीरा की प्रतिमा विराजमान है. 16 वीं सदी में मंदिर बना था. भगवान कृष्ण के देश में कई मंदिर हैं. जिनमें कृष्ण भगवान के साथ राधा या रुकमणी की प्रतिमा होती हैं, लेकिन इस मंदिर में यह खासियत है कि यहां पर भगवान कृष्ण के साथ मीराबाई विराजमान है. पूरे विश्व में इस मंदिर की अलग ही पहचान है. मंदिर में भक्तों की काफी आस्था है. यहां पर आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

पढ़ेंः Ground report : श्रीकृष्ण जन्माष्टी उत्सव पर एक बार फिर भक्त और भगवान के बीच आ गई कोरोना की दीवार...

टूरिस्ट गाइड महेश शर्मा ने बताया कि आमेर का जगत शिरोमणि मंदिर काफी प्राचीन है. मंदिर का निर्माण राजा मानसिंह ने करवाया था. राजा ने अपने पुत्र जगत सिंह की याद में मंदिर बनवाया था, जिसका नाम जगत शिरोमणि मंदिर रखा गया. मंदिर को तीन भागों में बनाया गया था. मंदिर के लिए सन 1599 में रखी गई थी और 1608 में मंदिर बनकर तैयार हुआ था. उस जमाने में मंदिर का गर्भ ग्रह वाला हिस्सा करीब 9.72 लाख रुपये की लागत से बना था. दूसरा गरुड़ छतरी के निर्माण में 1.25 लाख रुपये का खर्चा हुआ था. तीसरा मंदिर का तोरण द्वार के निर्माण में करीब 80 हजार रुपये का खर्चा आया था.

कृष्ण और मीरा की प्रतिमा क्यों की गई थी स्थापित

टूरिस्ट गाइड महेश शर्मा ने बताया कि मंदिर का निर्माण राजा मान सिंह ने उनकी पत्नी के कहने पर अपने पुत्र जगत सिंह की याद में करवाया था. सबसे पहले मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित की गई थी, लेकिन जब राजा की पत्नी ने मंदिर को देखा तो वह नाराज हो गई उन्होंने कहा कि महाराज इस मंदिर में ऐसा क्या खास है जो सदियों तक याद रखा जाए क्योंकि भगवान विष्णु के हिंदुस्तान में और भी कई बड़े मंदिर हैं.

इसके बाद राजा मानसिंह चित्तौड़ से भगवान कृष्ण की उस मूर्ति को लेकर आए जिसकी मीराबाई आराधना किया करती थी. फिर भगवान कृष्ण की मूर्ति मीराबाई के साथ जगत शिरोमणि मंदिर में स्थापित की गई थी. पूरे विश्व में मीराबाई और कृष्ण की मूर्ति जगत शिरोमणि मंदिर में ही देखने को मिलेगी. जिस पालकी में कृष्ण और मीरा बाई की प्रतिमा लाई गई थी, वह भी मंदिर में मौजूद है. जलझूलनी एकादशी के अवसर पर आज भी भगवान कृष्ण को उसी पालकी में विराजमान करवाकर नजदीकी सरोवर में ले जाकर स्नान करवाया जाता है.

अपनी भक्त मीरा के साथ विराजमान है भगवान कृष्ण

मंदिर में मूर्ति राधा कृष्ण की नहीं है, ना हीं रुक्मणी कृष्ण की है, बल्कि मीरा और कृष्ण की मूर्ति है. मीरा के गिरधर गोपाल यहां पर विराजमान है. इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां भगवान कृष्ण अपने भक्त के साथ विराजमान है.

मंदिर में बॉलीवुड फिल्मों की हो चुकी शूटिंग

मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. कई सेलिब्रिटीज भी इस मंदिर में आ चुके हैं. यहां पर कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है. फिल्म धड़क, लम्हें, तलाश, हमराज, भूल भुलैया समेत कई फिल्मों की जगत शिरोमणि मंदिर में शूटिंग हो चुकी है. इसके अलावा कई डॉक्यूमेंट्री भी यहां बन चुकी है.

विश्व का एकमात्र मंदिर है जगत शिरोमणि मंदिर

देश में जितने भी मंदिर है उनमें कृष्ण के साथ राधा या रुक्मणी की प्रतिमा होती है. कृष्ण का नाम भी हर किसी की जुबान पर आता है तो राधा कृष्ण का ही जिक्र होता है, लेकिन जयपुर के आमेर में स्थित जगत शिरोमणि मंदिर विश्व में एकमात्र मंदिर है, जहां मीराबाई के साथ भगवान कृष्ण विराजे हुए हैं.

उस जमाने में 11.70 लाख रुपए की आई थी लागत

मंदिर के निर्माण में उस समय करीब 11.70 लाख रुपए की लागत आई थी. जिसमे मंदिर निर्माण में 9.72 लाख रुपए, गरुड़ की प्रतिमा पर 1.25 लाख रुपए और तोरण द्वार पर 80 हजार रुपए खर्च किए गए थे. मंदिर के मुख्य उपासना गृह मीरा गिरधर गोपाल और विष्णु की प्रतिमाए हैं. भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ की विशाल मूर्ति मुख्य कक्ष के सामने ही हाथ जोड़े हुए विराजमान है.

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