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क्या भारत में ई-सिगरेट और वैपिंग की अनुमति देनी चाहिए !

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Published : Jun 1, 2022, 2:10 PM IST

क्या वैपिंग नियमित सिगरेट पीने से कम हानिकारक है? क्या ई-सिगरेट धूम्रपान छोड़ने में मददगार हो सकता है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो देश में तंबाकू नियमन के भविष्य के रोडमैप पर चर्चा के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में स्वास्थ्य विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं ने उठाये.

Should India allow less harmful methods such as e-cigarettes and vaping
क्या भारत में ई-सिगरेट और वैपिंग की अनुमति देनी चाहिए !

नई दिल्ली : राज्यसभा के पूर्व सदस्य और कांग्रेस नेता राजीव गौड़ा जैसे लोग सोचते हैं कि 2019 का इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध कानून अधिक कठोर है क्योंकि यह कम हानिकारक ई-सिगरेट के दरवाजे को पूरी तरह से बंद कर देता है. वहीं, अन्य स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना ​​है कि ई-सिगरेट और वैपिंग वास्तव में धूम्रपान की ओर ले जाता है और लोगों को सिगरेट की लत छोड़ने में मदद नहीं करता है.

इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम: सितंबर 2019 में केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध (उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन) अधिनियम 2019 लागू किया जो जेयूयूएल (JUUL) जैसे इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के लिए दरवाजे बंद कर देता है.

राजीव गौड़ा मानते हैं कि इन निकोटीन उत्पादों के पीछे के विज्ञान को पूरी तरह से समझा नहीं गया है, लेकिन कहते हैं कि लोगों को धूम्रपान से दूर करने के लिए कम हानिकारक तरीकों की अनुमति देने की आवश्यकता है. गौड़ा का कहना है कि 2019 में भी उन्होंने पूर्ण प्रतिबंध लगाने के खिलाफ सुझाव दिया क्योंकि इससे भूमिगत गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा.

गौड़ा ने नई दिल्ली में पॉलिसी सर्कल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, 'यह जरूरी है कि तंबाकू से होने वाले नुकसान को कम करने, लोगों को पर्याप्त जानकारी प्रदान करने् जैसे प्रयासों को बढ़ाने के लिए नियमों को विकसित किया जाए. इससे लोगों को इन एडिक्शनों से दूर करने में मदद मिलेगा. आपको वैकल्पिक तरीकों की आवश्यकता है जो लोगों को एक समयावधि में इन एडिक्शनों को दूर करने में मदद करेगा.

इस विषय पर एक पॉलिसी पेपर पर काम कर रहे पूर्व राज्यसभा सदस्य ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि हम एक ऐसे भविष्य की ओर बढ़ेंगे जो बहुत अधिक तर्कसंगत हो और लोगों को अपनी अनैच्छिक लत से दूर जाने की अनुमति देगा. हालांकि, कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस सुझाव से पूरी तरह असहमत हैं कि ई-सिगरेट या इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) के उपयोग को तंबाकू नियंत्रण उपाय के रूप में अपनाया जाना चाहिए.

ICMR विशेषज्ञ पैनल ने पूर्ण प्रतिबंध की सिफारिश की: प्रसिद्ध सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ के श्रीनाथ रेड्डी ने ई-सिगरेट पर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के विशेषज्ञ समूह की अध्यक्षता की थी. उन्होंने मई 2019 में देश में ई-सिगरेट की अनुमति के खिलाफ वकालत की थी. रेड्डी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था, 'इस समय ईएनडीएस (ENDS) या ई सिगरेट जैसे उत्पाद का विपणन, अप्रमाणित लाभ, लत और स्वास्थ्य जोखिमों से संभावित नुकसान के साथ तंबाकू नियंत्रण उपायों के लिए नुकसानदेह है. इसपर सरकार सितंबर 2019 में देश में ई-सिगरेट पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के लिए अध्यादेश जारी की.

धूम्रपान छोड़ने में मददगार नहीं ई-सिगरेट: कार्यक्रम में मौजूद कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने तर्क दिया कि किसी भी अध्ययन ने यह सुझाव नहीं दिया कि यह ई-सिगरेट के उपयोग से सिगरेट पीने वालों में कमी आयी. नई दिल्ली के पीएसआरआई अस्पताल में पल्मोनोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ गोपी चंद खिलनानी का कहना है कि ये ई-सिगरेट लोगों को एक उपकरण के माध्यम से निकोटीन को सांस लेने में मदद करते हैं जो उन्हें यह महसूस कराते हैं कि वे धूम्रपान कर रहे हैं.

डॉ गोपी चंद खिलनानी ने कहा, 'जिन लोगों ने धूम्रपान के विकल्प के रूप में वैपिंग का सहारा लिया उन्होंने धूम्रपान नहीं छोड़ा, उन्होंने धूम्रपान के साथ-साथ वेपिंग भी की.' डॉ के श्रीनाथ रेड्डी के साथ ई-सिगरेट पर आईसीएमआर विशेषज्ञ समिति की सह-अध्यक्षता करने वाले डॉ खिलनानी ने कहा, 'आखिरकार, समिति ने सोचा कि वैपिंग सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है.'

ये भी पढ़ें- स्मृति ईरानी ने साधा निशाना, कहा- केजरीवाल ने भ्रष्ट व्यक्ति को क्लीन चिट दी

संवैधानिक प्रावधान: दिल्ली के वकील ललित भसीन ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 के तहत जीवन स्तर को ऊपर उठाना और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करना राज्य का कर्तव्य है. अनुच्छेद 47 जो राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों का हिस्सा है, कहता है, 'राज्य नशीले पेय और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक दवाओं के औषधीय प्रयोजनों को छोड़कर अन्य उपभोग पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास करेगा.'

मुरारी तिवारी ने कहा समस्या की जड़ पर प्रहार करें: दिल्ली बार काउंसिल के अध्यक्ष मुरारी तिवारी ने सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए देश में तंबाकू उत्पादों के उत्पादन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की. उनका कहना है कि सभी प्रकार के तंबाकू उत्पादों के उत्पादन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध समस्या के मूल कारण पर प्रहार करेगा.

तिवारी ने कहा, 'जब यह स्थापित हो जाता है कि यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है तो इसका निर्माण क्यों किया जाता है? इसका एकमात्र मकसद राजस्व एकत्र करना है और फिर हम इसके उपयोग को रोकने के लिए कानून बनाते हैं. यह समाज में भ्रम पैदा करता है कि सरकार इसे नियंत्रित करने के लिए कुछ कर रही है.

नई दिल्ली : राज्यसभा के पूर्व सदस्य और कांग्रेस नेता राजीव गौड़ा जैसे लोग सोचते हैं कि 2019 का इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध कानून अधिक कठोर है क्योंकि यह कम हानिकारक ई-सिगरेट के दरवाजे को पूरी तरह से बंद कर देता है. वहीं, अन्य स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना ​​है कि ई-सिगरेट और वैपिंग वास्तव में धूम्रपान की ओर ले जाता है और लोगों को सिगरेट की लत छोड़ने में मदद नहीं करता है.

इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम: सितंबर 2019 में केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध (उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री, वितरण, भंडारण और विज्ञापन) अधिनियम 2019 लागू किया जो जेयूयूएल (JUUL) जैसे इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के लिए दरवाजे बंद कर देता है.

राजीव गौड़ा मानते हैं कि इन निकोटीन उत्पादों के पीछे के विज्ञान को पूरी तरह से समझा नहीं गया है, लेकिन कहते हैं कि लोगों को धूम्रपान से दूर करने के लिए कम हानिकारक तरीकों की अनुमति देने की आवश्यकता है. गौड़ा का कहना है कि 2019 में भी उन्होंने पूर्ण प्रतिबंध लगाने के खिलाफ सुझाव दिया क्योंकि इससे भूमिगत गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा.

गौड़ा ने नई दिल्ली में पॉलिसी सर्कल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, 'यह जरूरी है कि तंबाकू से होने वाले नुकसान को कम करने, लोगों को पर्याप्त जानकारी प्रदान करने् जैसे प्रयासों को बढ़ाने के लिए नियमों को विकसित किया जाए. इससे लोगों को इन एडिक्शनों से दूर करने में मदद मिलेगा. आपको वैकल्पिक तरीकों की आवश्यकता है जो लोगों को एक समयावधि में इन एडिक्शनों को दूर करने में मदद करेगा.

इस विषय पर एक पॉलिसी पेपर पर काम कर रहे पूर्व राज्यसभा सदस्य ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि हम एक ऐसे भविष्य की ओर बढ़ेंगे जो बहुत अधिक तर्कसंगत हो और लोगों को अपनी अनैच्छिक लत से दूर जाने की अनुमति देगा. हालांकि, कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस सुझाव से पूरी तरह असहमत हैं कि ई-सिगरेट या इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) के उपयोग को तंबाकू नियंत्रण उपाय के रूप में अपनाया जाना चाहिए.

ICMR विशेषज्ञ पैनल ने पूर्ण प्रतिबंध की सिफारिश की: प्रसिद्ध सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ के श्रीनाथ रेड्डी ने ई-सिगरेट पर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के विशेषज्ञ समूह की अध्यक्षता की थी. उन्होंने मई 2019 में देश में ई-सिगरेट की अनुमति के खिलाफ वकालत की थी. रेड्डी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था, 'इस समय ईएनडीएस (ENDS) या ई सिगरेट जैसे उत्पाद का विपणन, अप्रमाणित लाभ, लत और स्वास्थ्य जोखिमों से संभावित नुकसान के साथ तंबाकू नियंत्रण उपायों के लिए नुकसानदेह है. इसपर सरकार सितंबर 2019 में देश में ई-सिगरेट पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के लिए अध्यादेश जारी की.

धूम्रपान छोड़ने में मददगार नहीं ई-सिगरेट: कार्यक्रम में मौजूद कुछ स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने तर्क दिया कि किसी भी अध्ययन ने यह सुझाव नहीं दिया कि यह ई-सिगरेट के उपयोग से सिगरेट पीने वालों में कमी आयी. नई दिल्ली के पीएसआरआई अस्पताल में पल्मोनोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ गोपी चंद खिलनानी का कहना है कि ये ई-सिगरेट लोगों को एक उपकरण के माध्यम से निकोटीन को सांस लेने में मदद करते हैं जो उन्हें यह महसूस कराते हैं कि वे धूम्रपान कर रहे हैं.

डॉ गोपी चंद खिलनानी ने कहा, 'जिन लोगों ने धूम्रपान के विकल्प के रूप में वैपिंग का सहारा लिया उन्होंने धूम्रपान नहीं छोड़ा, उन्होंने धूम्रपान के साथ-साथ वेपिंग भी की.' डॉ के श्रीनाथ रेड्डी के साथ ई-सिगरेट पर आईसीएमआर विशेषज्ञ समिति की सह-अध्यक्षता करने वाले डॉ खिलनानी ने कहा, 'आखिरकार, समिति ने सोचा कि वैपिंग सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है.'

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संवैधानिक प्रावधान: दिल्ली के वकील ललित भसीन ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 47 के तहत जीवन स्तर को ऊपर उठाना और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करना राज्य का कर्तव्य है. अनुच्छेद 47 जो राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों का हिस्सा है, कहता है, 'राज्य नशीले पेय और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक दवाओं के औषधीय प्रयोजनों को छोड़कर अन्य उपभोग पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास करेगा.'

मुरारी तिवारी ने कहा समस्या की जड़ पर प्रहार करें: दिल्ली बार काउंसिल के अध्यक्ष मुरारी तिवारी ने सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए देश में तंबाकू उत्पादों के उत्पादन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की. उनका कहना है कि सभी प्रकार के तंबाकू उत्पादों के उत्पादन और बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध समस्या के मूल कारण पर प्रहार करेगा.

तिवारी ने कहा, 'जब यह स्थापित हो जाता है कि यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है तो इसका निर्माण क्यों किया जाता है? इसका एकमात्र मकसद राजस्व एकत्र करना है और फिर हम इसके उपयोग को रोकने के लिए कानून बनाते हैं. यह समाज में भ्रम पैदा करता है कि सरकार इसे नियंत्रित करने के लिए कुछ कर रही है.

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