नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री नारायण राणे की बीजेपी जन आशीर्वाद रैली के दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लेकर दिए गए बयान से बवाल इतना बढ़ा कि यह दिन महाराष्ट्र की राजनीति के इतिहास में दर्ज हो गया. राज्य सरकार द्वारा केंद्रीय मंत्री की गिरफ्तारी को बीजेपी के आला नेता महाराष्ट्र सरकार की बदले की कार्रवाई बता रहे हैं और बंगाल के साथ महाराष्ट्र की तुलना करते हुए शिवसेना पर कांग्रेसीकरण का भी आरोप लगा रहे हैं.
बीजेपी और शिवसेना के बीच की खटास वैसे तो 2017 से ही शुरू हो चुकी थी, मगर इस घटना ने उसे और भी बढ़ा दिया है.वैसे तो नारायण राणे और शिवसेना के रिश्ते पहले से ही जगजाहिर हैं. इसी वजह से इस लड़ाई में भी दो एंगल नजर आए.
जहां एक ओर बीजेपी और शिवसेना की तकरार दिखी, तो वहीं दूसरी तरफ नारायण राणे बनाम शिवसेना की लड़ाई भी हावी रही, क्योंकि नारायण राणे काफी पहले से शिवसेना विरोधी रूख के नेता माने जाते रहे हैं. राणे की गिरफ्तारी के बाद अलग-अलग नेताओं की आई टिप्पणी ने कहीं न कहीं नेताओं के बीच की आपसी खटास को भी उजागर कर दिया है.
वहीं इस मामले में महाअघाड़ी सरकार की तीनों पार्टियां शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं ने घटना की आलोचना तो की मगर अपने-अपने अंदाज में, जहां महाराष्ट्र के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने प्रतिक्रिया देते हुए कह दिया कि वह नारायण राणे को इतनी तवज्जो ही नहीं देना चाहते, दूसरी तरफ महाराष्ट्र की राज्य सरकार ने मामले को इतनी ज्यादा तवज्जो दे दी कि राणे गिरफ्तार हो गए.
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस घटना की कड़ी निंदा की, वहीं भारतीय जनता पार्टी के महाराष्ट्र के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपनी पार्टी के नेता पर टिप्पणी करते हुए यह कह दिया कि नारायण राणे को संयम बरतना चाहिए था, हालांकि उन्होंने गिरफ्तारी की भी निंदा की.
राणे एपिसोड को बीजेपी पूरी तरह से बदले की राजनीति करार देने की कोशिश कर रही है. वैसे तो बीजेपी और शिवसेना का विवाद कोई नया नहीं है, मगर 2017 के बाद से यह खटास दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है. एक समय था कि यह दोनों ही पार्टियां साथ मिलकर चुनाव लड़ा करती थीं, लेकिन अघाड़ी सरकार में तीन अलग अलग विचारधारा वाली पार्टियों ने जिस तरह का एक्सपेरिमेंट किया वह अपने आप में कल्पना से भी परे था और तभी से बीजेपी इस ताक में है कि वह किसी भी तरह महाराष्ट्र में वापसी कर ले.
अगले साल होने वाले महानगर के चुनाव में बीजेपी की कोशिश है कि वह अपना कब्जा जमा सके. ऐसे में पार्टी लगातार यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि शिवसेना ने महाराष्ट्र में एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर गलती की है. यही वजह है कि नारायण राणे एपिसोड के बाद शिवसेना पर यही आरोप लगाया गया कि शिवसेना भी अब कांग्रेस वाली राजनीति करने लगी है और उस पर कांग्रेस का प्रभाव बढ़ रहा है और उसी का नतीजा है कि यह बदले की कार्रवाई की गई है.
इस मामले को भारतीय जनता पार्टी ने अब इस मामले को तूल तो दे दिया है. साथ ही इसे बोलने की आजादी का हनन भी बता रही है. पार्टी के वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों ने अपने बयान में कहा कि राहुल गांधी ने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई बार अपशब्द बोले, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की, जैसे कि महाराष्ट्र की अघाड़ी सरकार ने नारायण राणे को गिरफ्तार करवा कर की है.
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इस मुद्दे पर निर्दलीय सांसद नवनीत कौर राणा ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि शिव सेना पर आरोप लगाया है कि जिस तरह से केंद्रीय मंत्री के खिलाफ बदले की कार्रवाई की गई है और उन्हें गिरफ्तार किया गया और उन्हें जमानत लेनी पड़ी यह अपने आप में निंदनीय है.
उन्होंने कहा कि खाने की थाली हाथ में होने के बावजूद पुलिस जिस तरह उन पर अटैक करके ले गई. इससे कहीं ना कहीं बदले की भावना नजर आती है.
सांसद नवनीत राणा का कहना है कि सिर्फ सीएम के खिलाफ एक टिप्पणी के ऊपर केंद्रीय मंत्री को यदि गिरफ्तार किया जाता है, तो मुझे लगता है कि पिछले सालों से शिव सेना के नेताओं ने सोनिया गांधी के खिलाफ मंच से लाखों लोगों के बीच में टिप्पणी की थी, तो क्या उस पर भी कोई कार्यवाही होगी.
यदि एक सीनियर सिटीजन, एक केंद्रीय मंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री जिसके हाथ में खाने की थाली है और उन्हें इस तरह से गिरफ्तार किया जाता है, तो क्या महाराष्ट्र की आम जनता सरकार पर भरोसा कर पाएगी, जबकि महाराष्ट्र में सत्ताधारी पार्टी की तरफ से उनके कार्यकर्ताओं की तरफ से भी महिलाओं के ऊपर भी कई बार अत्याचार हुए हैं ,क्या उनके ऊपर भी मुकदमे दाखिल किए जाएंगे?