मुंबई : अमेरिका में सत्ता बदल चुकी है. बिहार में सत्ता हस्तांतरण आखिरी पायदान पर है. अमेरिका में ट्रंप ने भले ही कितना भी तांडव मचाया हो, फिर भी डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडन धमाकेदार वोटों की बढ़ोतरी के साथ राष्ट्राध्यक्ष पद का चुनाव जीत गए हैं. उसी समय बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की स्पष्ट रूप से हार होती दिख रही है.
सामना के जरिए शिवसेना ने कहा कि ट्रंप राष्ट्राध्यक्ष पद के लायक कभी नहीं थे. अमेरिका की जनता उनकी फरेब में आ गई, लेकिन उसी ट्रंप के बारे में की गई गलती को अमेरिकी जनता ने सिर्फ चार सालों में सुधार दिया. इसके लिए वहां की जनता का जितना अभिनंदन किया जाए, उतना कम है. ट्रंप ने सत्ता में आने के लिए लफ्फाजियों की बरसात कर डाली. वे एक भी आश्वासन और वचन पूरा नहीं कर पाए. अमेरिका में बेरोजगारी, महामारी कोरोना से भी कहीं ज्यादा है, लेकिन उसका रास्ता खोजने की बजाय ट्रंप फालतू के कामों को ही महत्व देते रहे.
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आखिरकार, लोगों ने उन्हें घर भेज दिया. ऐसे इंसान के हाथ में अमेरिका का नेतृत्व चार साल रहा और हिंदुस्तान के भाजपाई नेता और सत्ताधीश 'नमस्ते ट्रंप' के लिए करोड़ों रुपये उड़ाए थे. कोरोना काल में ट्रंप को गुजरात में निमंत्रित करके सरकारी खर्च से प्रचार किया गया और उसी से कोरोना का संक्रमण फैला, इसे नाकारा नहीं जा सकता. अब अमेरिका के लोगों ने ट्रंप का संक्रमण ही हमेशा के लिए खत्म कर दिया है.
शिवसेना ने सामना में लिखा है कि बिहार में भी इसी प्रकार का सत्ता हस्तांतरण होने के स्पष्ट लक्षण दिख रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी सहित नीतीश कुमार आदि नेता युवा तेजस्वी यादव के सामने नहीं टिक पाए. झूठ के गुब्बारे हवा में छोड़े गए, वो हवा में ही गायब हो गए. लोगों ने बिहार के चुनाव को अपने हाथों में ले लिया. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और नीतीश कुमार के आगे घुटने नहीं टेके. तेजस्वी की सभाओं में जनसागर उमड़ रहा था और प्रधानमंत्री मोदी तथा नीतीश कुमार जैसे नेता निर्जीव मटकों के समक्ष गला फाड़ रहे थे, ऐसी तस्वीर देश ने देखी है. बिहार में फिर से जंगलराज आएगा, ऐसा डर दिखाया गया, लेकिन लोगों ने मानों स्पष्ट कह दिया, पहले तुम जाओ, जंगलराज आया भी तो हम निपट लेंगे!