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आर्यन खान की गिरफ्तार पर शिवसेना नेता का बड़ा बयान, कहा-बदले की भावना से की कार्रवाई

शिवसेना के नेता किशोर तिवारी ने मादक पदार्थों की कथित जब्ती के मामले में अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम काेर्ट का रुख किया है. उन्हाेंने एनसीबी की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए गंभीर आराेप लगाए हैं.

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Published : Oct 19, 2021, 3:31 PM IST

मुंबई : शिवसेना नेता किशोर तिवारी ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा दर्ज मामले को लेकर शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है और इसके लिए जिम्मेदार एनसीबी अधिकारी की भूमिका की न्यायिक जांच की भी मांग की है.

मंत्री ने कहा है कि एनसीबी अधिकारी की पत्नी भी मराठी उद्योग में काम करने वाली एक कलाकार हैं. वह भी मॉडल और सेलिब्रिटी है. यह कार्रवाई पत्नी के साथ हुए व्यवहार का बदला लेने के लिए फिल्म उद्योग के खिलाफ प्रतिशोध पर जान पड़ता है.

उन्होंने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि एनसीबी पिछले दो वर्षों से बदले की भावना से कुछ चुनिंदा हस्तियों और मॉडलों को निशाना बना रहा है, जिसकी जांच की जानी चाहिए. उनका कहना है कि एनसीबी अधिकारी जिनकी पत्नी भी सेलिब्रिटी हैं. उनका फिल्मी हस्तियों से सीधा मुकाबला है और इसलिए उनके पति एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई कर रहे हैं.

पिछले 15-18 महीनों में सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले से शुरू होकर केवल शीर्ष फिल्मी हस्तियों, उनके परिवारों, राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मॉडल, निर्माता-निर्देशक आदि को निशाना बनाने का क्या मकसद है.

एक शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देते हुए जिसमें कहा गया था कि जमानत आदर्श है, जेल अपवाद है, तिवारी का तर्क है कि विशेष अदालत आर्यन खान को जमानत से इनकार करके एससी द्वारा तय किए गए कानून का उचित सम्मान करने में विफल रही है.

यह जानना बहुत प्रासंगिक और अविश्वसनीय है कि कोई ड्रग्स या किसी अन्य सबूत की जब्ती के बिना इतने दिनों तक (जेल) के अंदर रहता है.

याचिका में कहा गया है, एनसीबी की बरामदी डीआरआई की तुलना में एक मजाक जान पड़ता है, जिसने पिछले महीने गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह से 3000 किलोग्राम ड्रग्स जब्त किया था. तिवारी का कहना है कि यह सही समय है कि एनसीबी की जांच सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश द्वारा रैकेट और सच्चाई को उजागर करने के लिए की जाए.

उन्होंने अदालत से आर्यन खान की गिरफ्तारी पर स्वत: संज्ञान लेने की प्रार्थना की है क्योंकि यह मानव जीवन की सुरक्षा का मामला है और निर्दोष लोगों को जेल में रखना अन्याय है.

इसे भी पढ़ें : मुंबई में शिवसेना नेता ने एनसीबी की कार्यशैली की न्यायिक जांच के लिए SC में दायर की याचिका

मुंबई : शिवसेना नेता किशोर तिवारी ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा दर्ज मामले को लेकर शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है और इसके लिए जिम्मेदार एनसीबी अधिकारी की भूमिका की न्यायिक जांच की भी मांग की है.

मंत्री ने कहा है कि एनसीबी अधिकारी की पत्नी भी मराठी उद्योग में काम करने वाली एक कलाकार हैं. वह भी मॉडल और सेलिब्रिटी है. यह कार्रवाई पत्नी के साथ हुए व्यवहार का बदला लेने के लिए फिल्म उद्योग के खिलाफ प्रतिशोध पर जान पड़ता है.

उन्होंने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि एनसीबी पिछले दो वर्षों से बदले की भावना से कुछ चुनिंदा हस्तियों और मॉडलों को निशाना बना रहा है, जिसकी जांच की जानी चाहिए. उनका कहना है कि एनसीबी अधिकारी जिनकी पत्नी भी सेलिब्रिटी हैं. उनका फिल्मी हस्तियों से सीधा मुकाबला है और इसलिए उनके पति एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई कर रहे हैं.

पिछले 15-18 महीनों में सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले से शुरू होकर केवल शीर्ष फिल्मी हस्तियों, उनके परिवारों, राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मॉडल, निर्माता-निर्देशक आदि को निशाना बनाने का क्या मकसद है.

एक शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देते हुए जिसमें कहा गया था कि जमानत आदर्श है, जेल अपवाद है, तिवारी का तर्क है कि विशेष अदालत आर्यन खान को जमानत से इनकार करके एससी द्वारा तय किए गए कानून का उचित सम्मान करने में विफल रही है.

यह जानना बहुत प्रासंगिक और अविश्वसनीय है कि कोई ड्रग्स या किसी अन्य सबूत की जब्ती के बिना इतने दिनों तक (जेल) के अंदर रहता है.

याचिका में कहा गया है, एनसीबी की बरामदी डीआरआई की तुलना में एक मजाक जान पड़ता है, जिसने पिछले महीने गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह से 3000 किलोग्राम ड्रग्स जब्त किया था. तिवारी का कहना है कि यह सही समय है कि एनसीबी की जांच सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश द्वारा रैकेट और सच्चाई को उजागर करने के लिए की जाए.

उन्होंने अदालत से आर्यन खान की गिरफ्तारी पर स्वत: संज्ञान लेने की प्रार्थना की है क्योंकि यह मानव जीवन की सुरक्षा का मामला है और निर्दोष लोगों को जेल में रखना अन्याय है.

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