मुंबई: बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिया है. जिसके जवाब में शिवसेना नेता दीपाली सैयद ने बागी विधायकों पर निशाना साधा. दीपाली ने कहा कि किरीट सोमैया बोलेंगे और तुम सुनोगे. क्या आप सत्ता के लिए मरी हुई मां का दूध पीना चाहते हैं? शिवसेना नेता सैयद ने ऐसा सीधा सवाल शिंदे गुट के विधायकों से पूछा है. एमवीए सरकार के सत्ता में रहने के दौरान भाजपा नेता किरीट सोमैया पर लगातार आरोप लगते रहे थे.
अब एमवीए सरकार के गिरने के बाद सोमैया पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे पर निशाना साध रहे हैं. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुरुवार को पदभार संभालने के बाद सोमैया ने मंत्रालय में मुख्यमंत्री शिंदे से मुलाकात की. किरीट सोमैया ने ट्विटर पर कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात की, उन्हें शुभकामनाएं दीं, माफिया मुख्यमंत्री को हटाने पर बधाई दी. सोमैया ने यह भी कहा कि उद्धव ठाकरे, अनिल परब, संजय राउत और पुलिस आयुक्त संजय पांडे द्वारा की गई कार्रवाई को माफिया राज कहा जाएगा. इस बयान के बाद शिवसेना नेता दीपाली सैयद ने सीधे बागी विधायकों पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि आप कहते हैं शिवसेना आपके खून में है? बागी विधायक मरी मां का दूध पीकर सत्ता में आए? किरीट सोमैया उद्धव साहब के खिलाफ बोलेंगे और आप सुनेंगे. और आप कहते हैं कि शिवसेना आपके खून में क्यों है?
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मीडिया से बात करते हुए बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने कहा कि सबसे पहले उद्धव ठाकरे, संजय राउत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ईडी से माफी मांगनी चाहिए. फरवरी में संजय राउत ने 15 पेज का पत्र लिखा था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप था कि ईडी के चार अधिकारी और किरीट सोमैया नवलानी के जरिए स्थानीय कारोबारियों को धमकाकर जबरन वसूली कर रहे थे. हालांकि तब उद्धव ने कहा ठाकरे ने मुंबई पुलिस की अपराध शाखा की एसआईटी विशेष जांच टीम का गठन किया और जांच शुरू की, जिसके बाद मामला अदालत में चला गया.
दीपाली सैयद ने पहले उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को पुणे के देहू में मंदिर के उद्घाटन समारोह को संबोधित करने की अनुमति नहीं देने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की थी. सांसद सुप्रिया सुले, विधायक रोहित पवार ने बीजेपी पर निशाना साधा था. शिवसेना नेता दीपाली सैयद ने भी ट्विटर पर नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि देवेंद्र जी ने सीधे तौर पर देश के प्रधानमंत्री का प्रोटोकॉल तोड़ा. स्थानीय विधायकों, सांसदों, महापौरों के बाद उपमुख्यमंत्री का नाम वक्ताओं की सूची से हटा दिया गया.