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पेगासस जासूसी कांड: शिवसेना ने जांच आयोग गठित करने के ममता के फैसले की सराहना की

'सामना' के सम्पादकीय में ममता बनर्जी के इस कदम की सराहना करते हुए कहा गया कि देश के लोग 'पेगासस' को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, आयकर की एक और संबद्ध शाखा के रूप में देखेंगे. बनर्जी का कदम साहसिक है. उन्होंने एक न्यायिक आयोग का गठन किया और जासूसी मामले की जांच शुरू की. उन्होंने वह किया जो केन्द्र को करना चाहिए था.

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Published : Jul 29, 2021, 3:25 PM IST

Updated : Jul 29, 2021, 5:38 PM IST

पेगासस जासूसी कांड
पेगासस जासूसी कांड

मुंबई : शिवसेना ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री (West Bengal CM) ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के पेगासस जासूस कांड (Pegasus Spyware) की पड़ताल के लिए जांच आयोग गठित करने के फैसले की गुरुवार को सराहना की. उन्होंने कहा कि बनर्जी ने जो किया वह दरअसल केन्द्र सरकार को करना चाहिए था.

शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के सम्पादकीय में जासूसी कांड की विस्तृत जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की विपक्ष की मांग पर ध्यान नहीं देने पर केन्द्र की आलोचना की.

मराठी समाचार पत्र में कहा गया कि यह काफी रहस्यपूर्ण बात है कि दो केन्द्रीय मंत्रियों, कुछ सांसदों, उच्चतम न्यायालय और सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारियों तथा पत्रकारों की कथित फोन टैपिंग के मामले को केन्द्र उतनी गंभीरता से नहीं ले रहा, जितना यह वास्तव में है.

बनर्जी ने सोमवार को कहा था कि उनकी सरकार ने इजराइल के स्पाईवेयर 'पेगासस' से राजनेताओं, अधिकारियों और पत्रकारों की जासूसी के आरोपों की जांच के लिए दो सदस्यीय आयोग का गठन किया है.

'बनर्जी के फैसले से केंद्र को झटका'

'सामना' के सम्पादकीय में ममता बनर्जी के इस कदम की सराहना करते हुए कहा गया कि देश के लोग 'पेगासस' को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation-CBI), प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate-ED), आयकर की एक और संबद्ध शाखा के रूप में देखेंगे. बनर्जी का कदम साहसिक है. उन्होंने एक न्यायिक आयोग का गठन किया और जासूसी मामले की जांच शुरू की. उन्होंने वह किया जो केन्द्र को करना चाहिए था.

इसमें कहा गया कि मुख्यमंत्रियों को अपने राज्यों के नागरिकों के अधिकारों और लोगों की स्वतंत्रता की रक्षा करनी चाहिए और बनर्जी ने इस संबंध में सभी को जागरूक करने का काम किया है. सम्पादकीय में कहा गया कि जासूसी कांड के लिए जांच आयोग का गठन कर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने केन्द्र को एक झटका दिया है.

शिवसेना ने उल्लेख किया कि फ्रांसीसी सरकार ने फ्रांस में वरिष्ठ अधिकारियों की 'पेगासस' द्वारा जासूसी के आरोपों की जांच शुरू कर दी है. उन्होंने पूछा कि अगर फ्रांस कर सकता है, जो भारत सरकार क्यों नहीं?

ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा था कि हमें उम्मीद थी कि केन्द्र हैकिंग मामले में एक जांच आयोग का गठन करेगा या अदालत की निगरानी में जांच का आदेश दिया जाएगा. लेकिन केन्द्र सरकार बेकार बैठी है. इसलिए हमने इस मामले की जांच के लिए एक जांच आयोग बनाने का फैसला किया. पश्चिम बंगाल इस मामले में कदम उठाने वाला पहला राज्य है.

गौरतलब है कि पिछले सप्ताह कुछ मीडिया संगठनों के अंतरराष्ट्रीय समूह ने कहा था कि भारत में पेगासस स्पाइवेयर के जरिए 300 से अधिक मोबाइल नंबरों की कथित निगरानी की गयी. इसमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, केन्द्रीय मंत्रियों प्रह्लाद पटेल तथा अश्विनी वैष्णव और 40 से अधिक पत्रकारों, तीन विपक्षी नेताओं के अलावा अनेक कार्यकर्ताओं के नंबर भी थे. सरकार हालांकि इस मामले में विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज करती रही है.

बता दें कि संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन गत 19 जुलाई को सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेगासस सॉफ्टवेयर (Ashwini Vaishnaw Pegasus) के जरिए भारतीयों की जासूसी करने संबंधी खबरों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले लगाये गए ये आरोप भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास हैं. लोकसभा में स्वत: संज्ञान के आधार पर दिए गए अपने बयान में वैष्णव ने कहा कि जब देश में नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था पहले से है तब अनधिकृत व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से निगरानी संभव नहीं है.

Pegasus Snooping से जुड़ी अन्य खबरें-

  1. Pegasus Report Congress : प्रियंका बोलीं, निजता पर हमले की आशंका, पार्टी ने जेपीसी जांच की मांग की
  2. Pegasus Snooping : भाजपा बोली- कांग्रेस के आरोप शर्मनाक, मानसून सत्र से ठीक पहले ही क्यों आई रिपोर्ट ?
  3. Pegasus Case पर बोली मोदी सरकार, 'फोन टैपिंग की रिपोर्ट गलत, लीक डेटा में तथ्य सही नहीं'

क्या है पेगासस स्पाईवेयर ?
पेगासस एक पावरफुल स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर है, जो मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियां चुरा लेता है और उसे हैकर्स तक पहुंचाता है. इसे स्पाईवेयर कहा जाता है यानी यह सॉफ्टवेयर आपके फोन के जरिये आपकी जासूसी करता है. इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का दावा है कि वह इसे दुनिया भर की सरकारों को ही मुहैया कराती है. इससे आईओएस या एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाले फोन को हैक किया जा सकता है. फिर यह फोन का डेटा, ई-मेल, कैमरा, कॉल रिकॉर्ड और फोटो समेत हर एक्टिविटी को ट्रेस करता है.

संभल कर, जानिए कैसे होती है जासूसी ?
अगर यह पेगासस स्पाईवेयर आपके फोन में आ गया तो आप 24 घंटे हैकर्स की निगरानी में हो जाएंगे. यह आपको भेजे गए मैसेज को कॉपी कर लेगा. यह आपकी तस्वीरों और कॉल रिकॉर्ड तत्काल हैकर्स से साझा करेगा. आपकी बातचीत रिकॉर्ड किया जा सकता है. आपको पता भी नहीं चलेगा और पेगासस आपके फोन से ही आपका विडियो बनता रहेगा. इस स्पाईवेयर में माइक्रोफोन को एक्टिव करने की क्षमता है. इसलिए किसी अनजान लिंक पर क्लिक करने से पहले चेक जरूर कर लें.

क्या है पेगासस स्पाईवेयर, जिसने भारत की राजनीति में तहलका मचा रखा है ?

कैसे फोन में आता है यह जासूस पेगासस ?
जैसे अन्य वायरस और सॉफ्टवेयर आपके फोन में आते हैं, वैसे ही पेगागस भी किसी मोबाइल फोन में एंट्री लेता है. इंटरनेट लिंक के सहारे. यह लिंक मेसेज, ई-मेल, वॉट्सऐप मेसेज के सहारे भेजे जाते हैं. 2016 में पेगासस की जासूसी के बारे में पहली बार पता चला. यूएई के मानवाधिकार कार्यकर्ता ने दावा किया कि उनके फोन में कई एसएमएस आए, जिसमें लिंक दिए गए थे. उन्होंने इसकी जांच कराई तो पता चला कि स्पाईवेयर का लिंक है. एक्सपर्टस के मुताबिक, यह पेगागस का सबसे पुराना संस्करण था. अब इसकी टेक्नॉलजी और विकसित हो गई है. अब यह 'जीरो क्लिक' के जरिये यानी वॉइस कॉलिंग के जरिये भी फोन में एंट्री ले सकता है .

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई : शिवसेना ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री (West Bengal CM) ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के पेगासस जासूस कांड (Pegasus Spyware) की पड़ताल के लिए जांच आयोग गठित करने के फैसले की गुरुवार को सराहना की. उन्होंने कहा कि बनर्जी ने जो किया वह दरअसल केन्द्र सरकार को करना चाहिए था.

शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के सम्पादकीय में जासूसी कांड की विस्तृत जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की विपक्ष की मांग पर ध्यान नहीं देने पर केन्द्र की आलोचना की.

मराठी समाचार पत्र में कहा गया कि यह काफी रहस्यपूर्ण बात है कि दो केन्द्रीय मंत्रियों, कुछ सांसदों, उच्चतम न्यायालय और सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारियों तथा पत्रकारों की कथित फोन टैपिंग के मामले को केन्द्र उतनी गंभीरता से नहीं ले रहा, जितना यह वास्तव में है.

बनर्जी ने सोमवार को कहा था कि उनकी सरकार ने इजराइल के स्पाईवेयर 'पेगासस' से राजनेताओं, अधिकारियों और पत्रकारों की जासूसी के आरोपों की जांच के लिए दो सदस्यीय आयोग का गठन किया है.

'बनर्जी के फैसले से केंद्र को झटका'

'सामना' के सम्पादकीय में ममता बनर्जी के इस कदम की सराहना करते हुए कहा गया कि देश के लोग 'पेगासस' को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation-CBI), प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate-ED), आयकर की एक और संबद्ध शाखा के रूप में देखेंगे. बनर्जी का कदम साहसिक है. उन्होंने एक न्यायिक आयोग का गठन किया और जासूसी मामले की जांच शुरू की. उन्होंने वह किया जो केन्द्र को करना चाहिए था.

इसमें कहा गया कि मुख्यमंत्रियों को अपने राज्यों के नागरिकों के अधिकारों और लोगों की स्वतंत्रता की रक्षा करनी चाहिए और बनर्जी ने इस संबंध में सभी को जागरूक करने का काम किया है. सम्पादकीय में कहा गया कि जासूसी कांड के लिए जांच आयोग का गठन कर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने केन्द्र को एक झटका दिया है.

शिवसेना ने उल्लेख किया कि फ्रांसीसी सरकार ने फ्रांस में वरिष्ठ अधिकारियों की 'पेगासस' द्वारा जासूसी के आरोपों की जांच शुरू कर दी है. उन्होंने पूछा कि अगर फ्रांस कर सकता है, जो भारत सरकार क्यों नहीं?

ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा था कि हमें उम्मीद थी कि केन्द्र हैकिंग मामले में एक जांच आयोग का गठन करेगा या अदालत की निगरानी में जांच का आदेश दिया जाएगा. लेकिन केन्द्र सरकार बेकार बैठी है. इसलिए हमने इस मामले की जांच के लिए एक जांच आयोग बनाने का फैसला किया. पश्चिम बंगाल इस मामले में कदम उठाने वाला पहला राज्य है.

गौरतलब है कि पिछले सप्ताह कुछ मीडिया संगठनों के अंतरराष्ट्रीय समूह ने कहा था कि भारत में पेगासस स्पाइवेयर के जरिए 300 से अधिक मोबाइल नंबरों की कथित निगरानी की गयी. इसमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, केन्द्रीय मंत्रियों प्रह्लाद पटेल तथा अश्विनी वैष्णव और 40 से अधिक पत्रकारों, तीन विपक्षी नेताओं के अलावा अनेक कार्यकर्ताओं के नंबर भी थे. सरकार हालांकि इस मामले में विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज करती रही है.

बता दें कि संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन गत 19 जुलाई को सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेगासस सॉफ्टवेयर (Ashwini Vaishnaw Pegasus) के जरिए भारतीयों की जासूसी करने संबंधी खबरों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले लगाये गए ये आरोप भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास हैं. लोकसभा में स्वत: संज्ञान के आधार पर दिए गए अपने बयान में वैष्णव ने कहा कि जब देश में नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था पहले से है तब अनधिकृत व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से निगरानी संभव नहीं है.

Pegasus Snooping से जुड़ी अन्य खबरें-

  1. Pegasus Report Congress : प्रियंका बोलीं, निजता पर हमले की आशंका, पार्टी ने जेपीसी जांच की मांग की
  2. Pegasus Snooping : भाजपा बोली- कांग्रेस के आरोप शर्मनाक, मानसून सत्र से ठीक पहले ही क्यों आई रिपोर्ट ?
  3. Pegasus Case पर बोली मोदी सरकार, 'फोन टैपिंग की रिपोर्ट गलत, लीक डेटा में तथ्य सही नहीं'

क्या है पेगासस स्पाईवेयर ?
पेगासस एक पावरफुल स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर है, जो मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियां चुरा लेता है और उसे हैकर्स तक पहुंचाता है. इसे स्पाईवेयर कहा जाता है यानी यह सॉफ्टवेयर आपके फोन के जरिये आपकी जासूसी करता है. इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का दावा है कि वह इसे दुनिया भर की सरकारों को ही मुहैया कराती है. इससे आईओएस या एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाले फोन को हैक किया जा सकता है. फिर यह फोन का डेटा, ई-मेल, कैमरा, कॉल रिकॉर्ड और फोटो समेत हर एक्टिविटी को ट्रेस करता है.

संभल कर, जानिए कैसे होती है जासूसी ?
अगर यह पेगासस स्पाईवेयर आपके फोन में आ गया तो आप 24 घंटे हैकर्स की निगरानी में हो जाएंगे. यह आपको भेजे गए मैसेज को कॉपी कर लेगा. यह आपकी तस्वीरों और कॉल रिकॉर्ड तत्काल हैकर्स से साझा करेगा. आपकी बातचीत रिकॉर्ड किया जा सकता है. आपको पता भी नहीं चलेगा और पेगासस आपके फोन से ही आपका विडियो बनता रहेगा. इस स्पाईवेयर में माइक्रोफोन को एक्टिव करने की क्षमता है. इसलिए किसी अनजान लिंक पर क्लिक करने से पहले चेक जरूर कर लें.

क्या है पेगासस स्पाईवेयर, जिसने भारत की राजनीति में तहलका मचा रखा है ?

कैसे फोन में आता है यह जासूस पेगासस ?
जैसे अन्य वायरस और सॉफ्टवेयर आपके फोन में आते हैं, वैसे ही पेगागस भी किसी मोबाइल फोन में एंट्री लेता है. इंटरनेट लिंक के सहारे. यह लिंक मेसेज, ई-मेल, वॉट्सऐप मेसेज के सहारे भेजे जाते हैं. 2016 में पेगासस की जासूसी के बारे में पहली बार पता चला. यूएई के मानवाधिकार कार्यकर्ता ने दावा किया कि उनके फोन में कई एसएमएस आए, जिसमें लिंक दिए गए थे. उन्होंने इसकी जांच कराई तो पता चला कि स्पाईवेयर का लिंक है. एक्सपर्टस के मुताबिक, यह पेगागस का सबसे पुराना संस्करण था. अब इसकी टेक्नॉलजी और विकसित हो गई है. अब यह 'जीरो क्लिक' के जरिये यानी वॉइस कॉलिंग के जरिये भी फोन में एंट्री ले सकता है .

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Jul 29, 2021, 5:38 PM IST
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