ग्वालियर/श्योपुर। मध्य प्रदेश के कूनो अभ्यारण में लगातार चीतों की हो रही मौतों को लेकर केंद्र सरकार से लेकर मध्य प्रदेश सरकार गंभीर है, लेकिन इसके बावजूद मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसी बीच कूनो अभ्यारण में पूर्व में पदस्थ एक वाहन चालक ने ऐसा खुलासा किया है, जिसने सबको चौका दिया है. दरअसल सुनील ओझा जो खुद को कूनो नेशनल पार्क की पश्चिम रेंज में चीता ट्रैकिंग टीम में वाहन का पूर्व ड्राइवर होने का दावा कर रहे हैं, वे कहते हैं कि "चीतों की मौत किसी बीमारी या दूसरी अन्य वजह से नहीं हुई बल्कि उन्हें भूखा रखा जा रहा है, खिलाया भी जाता है तो सड़ा-गला मांस.. इससे उनकी मौत हो रही है."
कैसे पता चला चीतों की मौत का कारण: चीतों की मौत का कारण बताने वाले सुनील ओझा, शिवपुरी जिले के पोहरी के निवासी हैं. उन्होंने दावा किया है कि वह 3-4 महीने पहले तक कूनो नेशनल पार्क में पालपुर के पश्चिम रेंज में चीता ट्रैकिंग टीम वाहन के ड्राइवर थे. चीतों के लिए मीट लाने, ले जाने का काम उसी वाहन से होता था जिसे वे खुद चलाते थे, यही कारण है कि उन्होंने सारी गड़बड़ी को बारीकी से देखा है. सुनील का दावा तो ये भी है कि चीतों को मीट खिलाने के नाम पर लाखों रुपए का गड़बड़झाला कूनो नेशनल पार्क में किया जा रहा है.
सारी कमी इंतजामों की: इतना ही नहीं सुनील ने ये भी कहा है कि "2 भैस या पाड़े का एक से डेढ़ क्विंटल मीट फ्रिज में रख दिया जाता था, फ्रिज में मीट इतना ज्यादा टाइट हो जाता था कि उसे चीते ठीक से खा नहीं पाते थे. यह मीट कई दिनों तक फ्रिज में रखा रहता था, जब वह सड़ने गलने की हालत में आ जाता तो उसे चीतों के लिए डाल दिया जाता था. जितना मीट चीतों के लिए डाला जाता था वह बहुत कम था, उनका पेट भी ठीक से नहीं भर पाता था. यही कारण है कि भूख और सड़ा गला मीट खाने की वजह से उनकी मौत हुई है, जिस तरह की बीमारी और दूसरे दावे अधिकारियों के द्वारा किए जा रहे हैं, वह गलत हैं. चीतों को कोई बीमारी नहीं है, वे सभी पूरी तरह से स्वस्थ हैं. अगर कोई कमी है तो अच्छे इंतजामों की है." इसके अलावा सुनील ओझा ने कूनो नेशनल पार्क के डीएफओ से लेकर सीसीएफ पर इस गड़बड़ झाले में लिप्त होने के आरोप लगाए हैं.
कूनो नेशनल पार्क प्रवंधन कर रहा मामले की जांच: इस बारे में कूनो नेशनल पार्क के डीएफओ प्रकाश वर्मा से जब ईटीवी भारत ने बातचीत की तो उन्होंने कहा कि "सुनील ओझा नाम के ड्राइवर को 2-3 महीने पहले निकाला गया है." इसके साथ ही जब डीएफओ से पूछा गया कि चीतों की मौत का कारण को लेकर सुनील ओझा ने बड़ा दांवा किया है, इसमें कितनी सच्चाई है तो उन्होंने कहा कि "इस मामले की अभी जांच की जा रही है."
पूर्व वाहन ड्राइवर सुनील ओझा के दावों में कितनी सच्चाई है, इसको लेकर ईटीवी भारत कोई पुष्टि नहीं करता.