नई दिल्ली : कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे शशि थरूर ने शुक्रवार को कहा कि वह खुद को 'अंडरडॉग' का तमगा दिए जाने और कुछ हलकों में एक 'आधिकारिक उम्मीदवार' के संबंध में चर्चा किए जाने की बात से वाकिफ हैं, लेकिन गांधी परिवार ने उनसे बार-बार कहा है कि वह न तो प्रत्यक्ष और न ही अप्रत्यक्ष रूप से किसी का समर्थन कर रहा है. shashi tharoor manifesto.कौन बनेगा King Of Cong
अपने मेनिफेस्टो में शशि थरूर ने एक ऐसा मैप प्रकाशित कर दिया, जिसे लेकर विवाद हो गया. उस मैप से जम्मू कश्मीर का एक हिस्सा गायब था. विवाद बढ़ते ही उनकी टीम ने इस मैप को ठीक कर लिया.
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Congress presidential candidate Shashi Tharoor's office makes correction to their manifesto for the election which earlier showed a distorted map of India. Parts of J&K, Ladakh were omitted in the earlier version pic.twitter.com/aI8zoXqMrY
— ANI (@ANI) September 30, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) September 30, 2022
दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के मुख्यालय में कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने वाले थरूर ने यह भी कहा कि स्पष्ट तौर पर चुनावी प्रक्रिया पूरी तरह से आदर्श नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि अब इसमें (चुनाव प्रक्रिया में) सुधार की मांग करने का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि अगर कोई मैच खेलना चाहता है तो उसे उपलब्ध पिच पर ही बल्लेबाजी करनी होगी.
तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर ने हालांकि जोर देकर कहा कि वह यह सुनिश्चित करने की पार्टी की प्रतिबद्धता को लेकर आश्वस्त हैं कि अध्यक्ष पद का चुनाव स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से हो. थरूर ने कहा कि उनका मानना है कि एक नया नेता, जिस पर 'मौजूदा तंत्र में बहुत लंबे समय से उलझे रहने के कारण थकान हावी नहीं हुई है', पार्टी में नयी ऊर्जा भर सकता है. ऐसा नेता कांग्रेस द्वारा पिछले कुछ चुनावों में जुटाए गए जनसमर्थन से कहीं अधिक मतदाताओं को आकर्षित कर सकता है.
66 वर्षीय नेता ने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि गांधी परिवार इस तथ्य को मान्यता देगा कि वह कांग्रेस का आधार स्तंभ है और बना रहेगा, वह 'हमारी नैतिक अंतरात्मा और अंतिम मार्गदर्शक' है और बना रहेगा. उन्होंने कहा कि गांधी परिवार के सदस्य इस भूमिका से पीछे नहीं हट सकते और उन्हें हटना भी नहीं चाहिए, फिर चाहे वे जो भी औपचारिक पद अपने पास रखें.
थरूर ने कहा, 'मेरे विचार से, पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव भले ही एक आंतरिक अभ्यास है, लेकिन यह कांग्रेस में व्यापक स्तर पर लोगों की रुचि को जगाने और पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने के अवसर का भी प्रतिनिधित्व करता है.' उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने जब 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी, तब वह (थरूर) उन नेताओं में से एक थे, जिन्होंने उन्हें (राहुल को) ऐसा कदम न उठाने के लिए मनाने की कोशिश की थी.
पूर्व केंद्रीय मंत्री थरूर ने कहा, 'अंत में वह अपने फैसले पर कायम रहे और हमें इसका सम्मान करना चाहिए. इसने यह भी साबित किया कि कांग्रेस सब कुछ ठीक करने में जितना ज्यादा समय लेगी, हमारे पारंपरिक वोट बैंक के लगातार खिसकने और उसके हमारे राजनीतिक प्रतिस्पर्धियों के प्रति आकर्षित होने का जोखिम उतना ही अधिक रहेगा.'
उन्होंने कहा, 'यही कारण है कि मैं लंबे समय से पार्टी के भीतर निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव कराने का मुखर समर्थक रहा हूं, जिसमें अध्यक्ष पद का चुनाव भी शामिल है. दरअसल, कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा चुने गए नेता को संगठनात्मक चुनौतियों को हल करने के साथ-साथ पार्टी के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया को अंजाम देने में अधिक मदद मिलेगी, जो संगठन को आंतरिक रूप से मजबूत बनाने के लिए अहम है.'
थरूर ने तर्क दिया कि ऐसे अध्यक्ष के पास जनता का समर्थन जुटाने के लिए उस तक पहुंच बनाने की अतिरिक्त मान्यता होगी. उन्होंने कहा कि 'पुराने ढर्रे पर काम करना' हमें कहीं नहीं ले जाएगा. थरूर ने कहा कि जो भी व्यक्ति अध्यक्ष चुना जाता है, उसे एक ऐसा रोडमैप तैयार और लागू करना चाहिए, जिससे कांग्रेस को 2014 और 2019 में पार्टी के पक्ष में मतदान करने वाले 19 प्रतिशत मतदाताओं से कहीं अधिक मतदाताओं को आकर्षित करने का रास्ता खोजने में मदद मिले.
उन्होंने कहा, 'पार्टी को उन लोगों से अपील करनी होगी, जिन्होंने उन दो चुनावों में उसे वोट नहीं दिया और भाजपा के पक्ष में चले गए. इनमें से अधिकांश ने हिंदुत्व से इतर अन्य कारणों से ऐसा किया.' थरूर ने कहा कि इसके लिए एक ऐसे नेता की जरूरत होगी, जो पार्टी के इतिहास से जुड़े रहते हुए युवा भारत की आकांक्षाओं को संबोधित करने के लिए अतीत से परे देखता हो, एक ऐसा व्यक्ति, जो दृढ़ता से मानता हो कि पार्टी देश को एक बेहतर समाज बनने की दिशा में आगे ले जा सकती है, एक ऐसा व्यक्ति, जो 21वीं सदी की दुनिया में उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाने के लिए तैयार हो.
उन्होंने कहा, 'इसलिए कांग्रेस के लिए चुनौती दोहरी है : हमें राष्ट्र के लिए सकारात्मक और आकांक्षात्मक दृष्टिकोण स्पष्ट करने के साथ-साथ संगठनात्मक और संरचनात्मक कमियों को दूर करने की दिशा में काम करने की जरूरत है, जिनके चलते हमारे हालिया प्रयास बाधित हुए हैं.' थरूर ने कहा, 'मेरे विचार से समस्या का समाधान प्रभावी नेतृत्व और संगठनात्मक सुधार के संयोजन में छिपा हुआ है.'
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सत्ता के विकेंद्रीकरण और जमीनी पदाधिकारियों को सही मायने में सशक्त बनाने के लिए पार्टी में संगठनात्मक संस्कृति की नए सिरे से कल्पना करने का आह्वान किया. उन्होंने तर्क दिया कि राज्य के नेताओं को अधिक शक्तियां प्रदान करने और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को सशक्त बनाने से न केवल नए नेता पर प्रशासनिक कार्यों का बोझ कम होगा, बल्कि राज्य स्तर पर मजबूत नेतृत्व तैयार करने में भी मदद मिलेगी, जो अतीत में राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की लोकप्रियता बढ़ाने में अहम भूमिका निभा चुका है.
थरूर ने कहा कि उन्होंने अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने का फैसला इसलिए लिया, क्योंकि इससे कांग्रेस को मजबूती मिलेगी और हाल के चुनावी झटकों के बाद पार्टी में सुधार लाने और उसे फिर से सक्रिय करने के लिए उनके पास कई विचार हैं, जैसे कि सत्ता का विकेंद्रीकरण, सलाहकार तंत्र को मजबूत बनाना और ‘कार्यकर्ताओं’ को सभी स्तरों पर नेतृत्व तक अधिक पहुंच प्रदान करना.
चुनावों की निष्पक्षता और पारदर्शिता को लेकर उनके और कुछ अन्य सांसदों द्वारा जाहिर की गई चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा कि उन्होंने पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष के समक्ष आगामी चुनावों के संबंध में कुछ व्यावहारिक और प्रक्रिया संबंधी प्रश्न उठाए हैं.
थरूर ने कहा कि मधुसूदन मिस्त्री ने इन प्रश्नों को लिया है और वह उस रचनात्मक तरीके की सराहना करते हैं, जिसके तहत पार्टी के चुनाव पैनल के प्रमुख ने इन मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करने के लिए उनसे व्यक्तिगत रूप से संपर्क किया.
उन्होंने कहा, 'यह स्पष्ट है कि प्रक्रिया पूरी तरह से आदर्श नहीं रही है, लेकिन यह मत भूलिए कि हमारे यहां बीते दो दशकों में चुनाव नहीं हुए हैं. ऐसे में सुधार की मांग करने का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि अगर आप मैच खेलना चाहते हैं तो आपको 'उपलब्ध पिच पर ही बल्लेबाजी' करनी होगी.'
थरूर ने कहा, 'कुछ हलकों में चर्चा है कि पार्टी नेतृत्व द्वारा समर्थित एक 'आधिकारिक उम्मीदवार' होगा, लेकिन इसके विपरीत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने बीते दो हफ्तों में मेरे साथ हुई बातचीत में बार-बार जोर देकर कहा है कि नेहरू-गांधी परिवार इन चुनावों का स्वागत करता है, वह विविध उम्मीदवारों को चुनाव लड़ते देखना चाहता है और वह न तो प्रत्यक्ष और न ही अप्रत्यक्ष रूप से किसी प्रत्याशी का समर्थन कर रहा है.'
उन्होंने कहा कि वह गांधी परिवार के आश्वासन को स्वीकार करके खुश हैं और यह सुनिश्चित करने की पार्टी की प्रतिबद्धता के प्रति आश्वस्त हैं कि ये चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से हों. थरूर ने कहा, 'कई अन्य कांग्रेस कार्यकर्ताओं की तरह ही मुझे भी चुनाव प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ने में खुशी हो रही है, क्योंकि मेरी राय में इससे पार्टी को ही मजबूती मिलेगी.' चुनाव में अपनी जीत की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर थरूर ने कहा कि उन्होंने कभी भी जीत की संभावना के बिना चुनाव नहीं लड़ा है.
कांग्रेस सांसद ने कहा, 'तिरवनंतपुरम में जीत की हैट्रिक, जहां मेरे आने से पहले हुए दो चुनावों में वामदल विजयी रहे थे, बताती है कि मेरे परिणामों ने अब तक उस दृष्टिकोण को सही ठहराया है.' उन्होंने कहा कि मैं इस बात की कद्र करता हूं कि मुझे इस दौड़ में व्यापक रूप से 'अंडरडॉग' के तौर पर देखा जा रहा है और इस बात की कि बहुत से लोग मानते हैं कि यथास्थिति में अपने निहित स्वार्थों की रक्षा के लिए संगठन एकजुट होगा.' थरूर ने कहा, 'लेकिन कभी-कभी संभावित परिणाम की परवाह किए बगैर व्यक्ति को सही काम करने के अपने दृढ़ संकल्प पर अमल करने का साहस दिखाना चाहिए.'