पुणे : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने रविवार को यहां कहा कि पूरे इतिहास में महाराष्ट्र में कभी भी ऐसा राज्यपाल नहीं हुआ जो लोकतंत्र और संविधान की जिम्मेदारियों को पूरा नहीं करता है. यह एक 'दुर्भाग्यपूर्ण चमत्कार' है.
बिना नाम लिए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की आलोचना करते हुए, पवार ने कहा कि यह उनकी (राज्यपाल की) जिम्मेदारी है कि वे राज्य सरकार और कैबिनेट में निहित शक्तियों के अनुसार संविधान की सिफारिशों को लागू करें.
राकांपा सुप्रीमो की तीखी टिप्पणी तब आई, जब उनसे विधान परिषद के 12 नामित सदस्यों की सूची को मंजूरी देने में 4 महीने की देरी के बारे में सवाल पूछा गया था. ये सूची पिछले साल 6 नवंबर के आसपास कोश्यारी को सौंपी गई थी. शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस की सत्तारूढ़ महा विकास अघाड़ी सरकार ने एमएलसी की सूची भेजी थी जिसमें बॉलीवुड अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर, एकनाथ खडसे और नसीम खान जैसी हस्तियों के नाम शामिल थे.
पवार ने कहा कि नरेंद्र मोदी - जब गुजरात के सीएम थे - को भी अपने ही राज्य में इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा था, जब उन्होंने राज्यपाल द्वारा बाधाएं पैदा करने की शिकायत की थी.
पवार ने कहा, 'यह चिंताजनक बात है कि महाराष्ट्र जैसे राज्य में राज्यपाल इस तरह से काम कर रहे हैं, जबकि केंद्र सरकार चुपचाप तमाशा देख रही है.'
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पहले भी पवार ने 25 जनवरी को राज्यपाल पर निशाना साधा था, जब उन्होंने कहा था कि कोश्यारी के पास कंगना (रनौत) से मिलने का समय है, लेकिन किसानों के लिए नहीं है. किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल का राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात नहीं हो सकी थी.
इससे पहले अक्टूबर में शरद पवार ने राज्यपाल पर उस समय निशाना साधा था जब एक बुक लॉन्च के दौरान उन्होंने देवेन्द्र पडणवीस और अजीत पवार को शपथ दिलाने के मसले का उल्लेख नहीं किया था. करीब 80 घंटे में वो सरकार गिर गई थी.