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शिक्षक दिवस विशेष: दोस्तों की अनूठी पहल, 'अपनी पाठशाला' से नौनिहालों का भविष्य कर रहे उज्जवल - काशी हिंदू विश्वविद्यालय

प्रदेश के वाराणसी जिले में सात दोस्तों ने नई मुहिम शुरू की है और उन्होंने इसको अपनी पाठशाला नाम दिया है. दरअसल आज शिक्षक दिवस पर शिक्षा और शिक्षकों की बातें चारों तरफ हो रही हैं. सरकार भी देश में शिक्षा को बढ़ावा मिल सके इसके लिए नई नीतियां भी बनाती रहती है, मगर देश का कुछ तबका है जो शिक्षा से वंचित रह जाता है. ऐसे ही लोगों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया है इस अपनी पाठशाला ने.

शिक्षक
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Published : Sep 5, 2021, 11:45 AM IST

वाराणसी: डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पूरे देश में आज शिक्षक दिवस के रूप में मनाई जाती है. इसको लेकर आज हम आपको ऐसे मित्रों की टोली बारे में बताएगें जो समाज के भविष्य काे नई राेशनी दे रहे हैं. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व और वर्तमान छात्र अन्य विश्वविद्यालयों के छात्रों के साथ मिलकर अपनी पॉकेट मनी से देश के भविष्य को संवारने का कार्य कर रहे हैं.

अपनी पाठशाला
अपनी पाठशाला

मजदूरी करने वाले हाथ में दी किताब और कलम
सात मित्रों का यह समूह अपनी पाठशाला बनाकर करसड़ा के मलिन बस्ती और करौंदी में गरीब बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं. इस टोली ने साल 2017 से यह कार्य प्रारंभ किया और बनवासी क्षेत्र के बच्चे जो मजदूरी करने को मजबूर थे. उनके हाथों में कलम और कॉपी दी है. साथ ही प्राथमिक विद्यालय में उनका नाम दर्ज कराया. शिक्षकों की टोली लगभग 40 बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रही हैं.

अपनी पाठशाला में पढ़ाई करते बच्चे
अपनी पाठशाला में पढ़ाई करते बच्चे

यह है पढ़ाने का ट्रिक : इनका पढ़ाने का भी तरीका थोड़ा अलग है. दरअसल, अपनी पाठशाला के सदस्य अलग-अलग विषय पढ़ाते हैं. अंग्रेजी, हिंदी के साथ ही कंप्यूटर और खेलकूद के बारे में भी बताते हैं.

यही नहीं पहले बच्चों को पढ़ाते हैं फिर उन्हीं में से किसी एक बच्चे को तैयार करते हैं, जिसके बाद बच्चा फिर अपने क्लास के लोगों को पढ़ाता है. इस तरह बच्चे खेल-खेल में पढ़ते भी हैं और एक दूसरे के प्रति उनका लगाव भी बढ़ता है.

'अपनी पाठशाला' से नौनिहालों का भविष्य कर रहे उज्जवल

'मैं अकेला ही चला था जानिब-ए- मंजिले मगर लोग आते गए और कारवां बनता गया'

यह लाइनें बीरभद्र सिंह पर सटीक बैठती हैं. गरीब परिवार होने के कारण मदद से पढ़े वीर ने अब अपने दोस्तों संग निर्धन बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया है. इनके साथ विनीत सिंह, रश्मि सिंह, परेश सिंह, रुद्र सिंह, शुभम मिश्रा, अभिषेक कृष्णा प्रमुख है. इन लोगों के साथ प्रिया राय और धर्मेंद्र भी सहयोग कर रहे हैं.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्र अपनी पाठशाला में मौजूद हैं. जिसमें कुछ लोग तो सिविल की तैयारी कर रहे हैं और घरों में जाकर ट्यूशन भी पढ़ाते हैं. इस पैसों से वह छात्रों को शिक्षा दे रहे हैं. उसके साथी कुछ ऐसे मित्र भी हैं जो सरकारी नौकरी में है, वह भी इनकी मदद करते हैं. बाकी जल्द ही एनजीओ बनाकर अपने कार्य को और आगे बढ़ाना चाहते हैं.

विनीत ने बताया कि पहले हम लोगों ने सर्वे किया. फिर हम लोग शहर से 15-20 किलोमीटर दूर अंदर करसड़ा गांव में अपनी पाठशाला का शुभारंभ किया. हम बीएचयू के पीछे करौंदी में भी छात्रों को पढ़ाते हैं. यह लोग बहुत ही ज्यादा पिछड़े हैं. उनके परिवार के 40 बच्चों को हम लोग फ्री में शिक्षा दे रहे हैं. हम लोगों ने मिलकर अपनी पाठशाला का निर्माण किया है.

हमने समाज में देखा कि बहुत से बच्चे पढ़ना चाहते लेकिन वह पढ़ नहीं पा रहे हैं. उस कष्ट को हमने भी महसूस किया है इसलिए हम लोगों ने मिलकर ठाना है कि हम लोग जितना हो सके अपना समय बच्चों को देंगे और उन्हें शिक्षित करेंगे.

बच्चों को शिक्षित करना संकल्प

रश्मि सिंह एमएसडब्ल्यू की छात्रा रही हैं और इस समय हाउसवाइफ हैं. अपने सारे कार्य को करने के बाद वह बच्चों को पढ़ाती हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने बताया कि शिक्षक दिवस पर बच्चों को भारत रत्न डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में बता रहे हैं. सरकार शिक्षा देने का बहुत प्रयास कर रही है. लेकिन इन बनवासी बच्चों तक नहीं पहुंच पा रही. उनका लाभ यह नहीं उठा पा रहे हैं, इसलिए हम गांव में जाकर इन शिक्षित कर रहे हैं.

वहीं, एलएलबी की तैयारी करने वाले रूद्र ने बताया कि हमने बच्चों को सबसे पहले पढ़ाना शुरू किया, जिसमें एबीसीडी, कखग, गिनती में दो वर्ष का समय बीत गया. हमें बहुत ही अच्छा लग रहा है कि हम इन बच्चों के लिए कुछ कर पा रहे हैं.

इसे भी पढ़ें : Teachers’ Day 2021 : जानिए क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस, क्या है इसके पीछे इतिहास

अपनी पाठशाला में पिछले दो वर्षों से पढ़ रहे सनी ने बताया मुझे यहां पढ़कर बहुत ही अच्छा लगता है. पिछले दो वर्षों से मैं पढ़ रहा हूं. आगे और पढ़ना चाहता हूं. पढ़लिख कर मैं डॉक्टर बनना चाहता हूं.

वाराणसी: डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पूरे देश में आज शिक्षक दिवस के रूप में मनाई जाती है. इसको लेकर आज हम आपको ऐसे मित्रों की टोली बारे में बताएगें जो समाज के भविष्य काे नई राेशनी दे रहे हैं. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व और वर्तमान छात्र अन्य विश्वविद्यालयों के छात्रों के साथ मिलकर अपनी पॉकेट मनी से देश के भविष्य को संवारने का कार्य कर रहे हैं.

अपनी पाठशाला
अपनी पाठशाला

मजदूरी करने वाले हाथ में दी किताब और कलम
सात मित्रों का यह समूह अपनी पाठशाला बनाकर करसड़ा के मलिन बस्ती और करौंदी में गरीब बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं. इस टोली ने साल 2017 से यह कार्य प्रारंभ किया और बनवासी क्षेत्र के बच्चे जो मजदूरी करने को मजबूर थे. उनके हाथों में कलम और कॉपी दी है. साथ ही प्राथमिक विद्यालय में उनका नाम दर्ज कराया. शिक्षकों की टोली लगभग 40 बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रही हैं.

अपनी पाठशाला में पढ़ाई करते बच्चे
अपनी पाठशाला में पढ़ाई करते बच्चे

यह है पढ़ाने का ट्रिक : इनका पढ़ाने का भी तरीका थोड़ा अलग है. दरअसल, अपनी पाठशाला के सदस्य अलग-अलग विषय पढ़ाते हैं. अंग्रेजी, हिंदी के साथ ही कंप्यूटर और खेलकूद के बारे में भी बताते हैं.

यही नहीं पहले बच्चों को पढ़ाते हैं फिर उन्हीं में से किसी एक बच्चे को तैयार करते हैं, जिसके बाद बच्चा फिर अपने क्लास के लोगों को पढ़ाता है. इस तरह बच्चे खेल-खेल में पढ़ते भी हैं और एक दूसरे के प्रति उनका लगाव भी बढ़ता है.

'अपनी पाठशाला' से नौनिहालों का भविष्य कर रहे उज्जवल

'मैं अकेला ही चला था जानिब-ए- मंजिले मगर लोग आते गए और कारवां बनता गया'

यह लाइनें बीरभद्र सिंह पर सटीक बैठती हैं. गरीब परिवार होने के कारण मदद से पढ़े वीर ने अब अपने दोस्तों संग निर्धन बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया है. इनके साथ विनीत सिंह, रश्मि सिंह, परेश सिंह, रुद्र सिंह, शुभम मिश्रा, अभिषेक कृष्णा प्रमुख है. इन लोगों के साथ प्रिया राय और धर्मेंद्र भी सहयोग कर रहे हैं.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्र अपनी पाठशाला में मौजूद हैं. जिसमें कुछ लोग तो सिविल की तैयारी कर रहे हैं और घरों में जाकर ट्यूशन भी पढ़ाते हैं. इस पैसों से वह छात्रों को शिक्षा दे रहे हैं. उसके साथी कुछ ऐसे मित्र भी हैं जो सरकारी नौकरी में है, वह भी इनकी मदद करते हैं. बाकी जल्द ही एनजीओ बनाकर अपने कार्य को और आगे बढ़ाना चाहते हैं.

विनीत ने बताया कि पहले हम लोगों ने सर्वे किया. फिर हम लोग शहर से 15-20 किलोमीटर दूर अंदर करसड़ा गांव में अपनी पाठशाला का शुभारंभ किया. हम बीएचयू के पीछे करौंदी में भी छात्रों को पढ़ाते हैं. यह लोग बहुत ही ज्यादा पिछड़े हैं. उनके परिवार के 40 बच्चों को हम लोग फ्री में शिक्षा दे रहे हैं. हम लोगों ने मिलकर अपनी पाठशाला का निर्माण किया है.

हमने समाज में देखा कि बहुत से बच्चे पढ़ना चाहते लेकिन वह पढ़ नहीं पा रहे हैं. उस कष्ट को हमने भी महसूस किया है इसलिए हम लोगों ने मिलकर ठाना है कि हम लोग जितना हो सके अपना समय बच्चों को देंगे और उन्हें शिक्षित करेंगे.

बच्चों को शिक्षित करना संकल्प

रश्मि सिंह एमएसडब्ल्यू की छात्रा रही हैं और इस समय हाउसवाइफ हैं. अपने सारे कार्य को करने के बाद वह बच्चों को पढ़ाती हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने बताया कि शिक्षक दिवस पर बच्चों को भारत रत्न डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में बता रहे हैं. सरकार शिक्षा देने का बहुत प्रयास कर रही है. लेकिन इन बनवासी बच्चों तक नहीं पहुंच पा रही. उनका लाभ यह नहीं उठा पा रहे हैं, इसलिए हम गांव में जाकर इन शिक्षित कर रहे हैं.

वहीं, एलएलबी की तैयारी करने वाले रूद्र ने बताया कि हमने बच्चों को सबसे पहले पढ़ाना शुरू किया, जिसमें एबीसीडी, कखग, गिनती में दो वर्ष का समय बीत गया. हमें बहुत ही अच्छा लग रहा है कि हम इन बच्चों के लिए कुछ कर पा रहे हैं.

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अपनी पाठशाला में पिछले दो वर्षों से पढ़ रहे सनी ने बताया मुझे यहां पढ़कर बहुत ही अच्छा लगता है. पिछले दो वर्षों से मैं पढ़ रहा हूं. आगे और पढ़ना चाहता हूं. पढ़लिख कर मैं डॉक्टर बनना चाहता हूं.

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