टिहरी: विश्व प्रसिद्ध भगवान बदरीनाथ के अभिषेक के लिए चढ़ाने वाले तिल के तेल को नरेंद्रनगर राज दरबार में पिरोया गया. टिहरी सांसद व महारानी राज्य लक्ष्मी शाह की अगुवाई में सुहागिन महिलाओं के द्वारा पीला वस्त्र धारण कर तिल का तेल पिरोया गया.
करोड़ों हिंदुओं के आस्था का प्रतीक व धरती पर बैकुंठ धाम कहे जाने वाले बदरीनाथ धाम में स्थित भगवान बदरी विशाल के महाभिषेक के लिए नरेंद्रनगर स्थित राज दरबार में तिल का तेल पिरोया गया. मूसल व सिलबट्टे से पिरोये गए तेल को एक खास बर्तन में विशेष जड़ी-बूटी डालकर आंच में पकाया गया. ताकि तेल में पानी की मात्रा न रहे. तेल पिरोने के बाद आंच में पकाकर विशुद्ध तेल को चांदी के गाडू घड़ा तेल कलश में पूजा अर्चना और मंत्रोच्चार के साथ भरा गया.
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गाडू घड़ा तेल कलश डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत प्रतिनिधियों को सौंपा गया, जो तेल कलश यात्रा के साथ 17 मई को बदरीनाथ धाम पहुंचेंगे. बता दें कि परंपरा के मुताबिक हर साल बसंत पंचमी के पावन पर्व पर टिहरी के महाराजा की जन्म कुंडली और ग्रह नक्षत्रों की गणना करके तेल पिरोने और बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि और समय निर्धारित किया जाता है.
16 फरवरी को हुई थी कपाट खोलने के तिथि की घोषणा
तेल पिरोने और बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि व समय विगत 16 फरवरी को नरेंद्रनगर स्थित राज दरबार में महाराजा मनुजेंद्र शाह की कुंडली और ग्रह नक्षत्रों की गणना करके तीर्थ पुरोहित संपूर्णानंद जोशी और आचार्य कृष्ण प्रसाद उनियाल द्वारा निकाली गई थी. प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा वैश्विक महामारी कोरोना के चलते चारधाम यात्रा स्थगित करने की घोषणा का डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के अध्यक्ष पंकज डिमरी ने स्वागत किया है.
बता दें कि गाडू घड़ा कलश यात्रा के लिए डिम्मर धार्मिक केंद्रीय पंचायत के पंकज डिमरी, नरेश डिमरी, ज्योतिष डिमरी, अंकित डिमरी व अनू डिमरी नरेंद्रनगर राज दरबार पहुंचे थे.
तीर्थयात्रियों को चारधाम जाने की अनुमति नहीं
कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने आगामी चारधाम यात्रा को स्थगित कर दिया है. वहीं निर्धारित तिथि पर चारों धामों के कपाट खेलने के बाद केवल मंदिर के पुजारी को ही मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी. इस बात की जानकारी खुद सीएम तीरथ सिंह रावत ने दी.