हैदराबाद : मुंबई के दलाल स्ट्रीट में अगर जश्न का माहौल है. 146 साल के इतिहास में पहली बार सेंसेक्स BSE ने 58,100 अंक के स्तर को छू लिया. 21 जनवरी को बीएसई के सूचकांक ने 50 हजार के स्तर को पार किया था. फरवरी में इसने 2000 अंकों की छलांग लगाई थी. कोरोना की दूसरी लहर के कारण सेंसेक्स में इतनी तेजी की उम्मीद नहीं थी. मगर सितंबर के पहले सप्ताह में ही इतिहास बन गया. 31 अगस्त को सेंसेक्स 57 हजार के पार गया था. उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल 60 हजार के पार जाएगा. साथ ही इससे ऊपर भी नए कीर्तीमान बनेंगे.
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ( BSE) के प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स ने सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को रेकॉर्ड स्तर पर धमाकेदार ओपनिंग की . शुक्रवार सुबह 9.19 बजे ही 217.58 पॉइंट्स की मजबूती के साथ 58100 का रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. हालांकि कुछ देर बाद यह नए लैंडमार्क से थोड़ा नीचे आ गया. इसके साथ ही बाजार की लगातार तेजी से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का मार्केट कैप गुरुवार को 252.68 लाख करोड़ रुपये हो गया. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ( NSE) का निफ्टी 61.80 अंकों की बढ़त के साथ 17296 के स्तर पर खुला. गुरुवार को बीएसई पहली बार 57,852 अंक पर बंद हुआ था. अब देश में ऐसी 7 कंपनियां हो गईं, जिसका मार्केट कैप 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का है. इनका कुल बाजार पूंजीकरण 61.28 लाख करोड़ रुपये है.
2021-22 की पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर 20.1 फीसदी रही. इसके अलावा अगस्त महीने में सेंसेक्स ने 57 हजार के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार किया. इन दो संकेतों से यह संकेत मिल रहा है कि कोरोना वायरस महामारी की दो लहरों का सामना करने के बाद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ पटरी पर लौट रही है.
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सेंसेक्स क्या है : सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) से जुड़ा इंडेक्स है, इसकी शुरुआत साल 1986 में हुई थी. सेंसेक्स शब्द सेंसेटिव और इंडेक्स को मिलाकर बना है. हिंदी में कुछ लोग इसे संवेदी सूचकांक भी कहते हैं. इसे सबसे पहले 1986 में अपनाया गया था. इस इंडेक्स का आधार वर्ष 1978-79 है, जब इसकी बेस वैल्यू 100 मानी गई थी. यह 13 विभिन्न क्षेत्रों की 30 कंपनियों के शेयरों में होने वाले उतार-चढ़ाव को दिखाता है. इन शेयरों में बदलाव से सेंसेक्स में उतार-चढ़ाव आता है. सेंसेक्स का कैलकुलेशन फ्री फ्लोट मेथड से किया जाता है.
10 हजार तक पहुंचने में 16 साल लगे : बीएसई के सेंसेक्स ने 16 साल में एक हजार से 10 हजार तक सफर तय किया. 1986 से सेंसेक्स निवेशकों के लिए मानक बना. 25 जुलाई 1990 को सेंसेक्स पहली बार 1000 तक पहुंचा. दो साल बाद पहली बार 2000 के पार गया था. 30 मार्च 1992 को इसने 4000 का स्तर छुआ. 2000 से मई 2004 तक सेंसेक्स 6000 के नीचे झूलता रहा. फरवरी 2006 को सूचकांक 10,000 के पार पहुंचा. इसके बाद 20 हजार के मानक तक पहुंचने में सिर्फ एक साल लगा. दिसंबर 2017 में सेंसेक्स 20 हजार तक पहुंच गया था.
नौ महीने में 8 हजार की छलांग : 2014 को सेंसेक्स ने पहली बार 25,000 का स्तर पार किया था. 2018 में यह 35,000 तक पहुंचा. सेंसेक्स ने 2021 में ही 8000 अंकों की छलांग लगाई. अगस्त में ही इसमें 2000 की बढ़ोतरी हुई और 57 हजार पर पहुंचा. 21 जनवरी 2021 को इसने 50,000 का आंकड़ा छुआ था. 4 दिसंबर 2020 में जब सेसेंक्स ने 45,000 को पार किया था, तभी इसमें तेजी की उम्मीद जताई गई थी.
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को जान लें : बंबई स्टॉक एक्सचेंज देश का ही नहीं, बल्कि एशिया का पहले शेयर बाजार है. 9 जुलाई 1875 नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर असोसिएशन के तौर पर इसकी स्थापना हुई थी. इससे पहले भी1840 से शेयर दलाल यहां शेयर की खरीद- बिक्री करते थे. मगर आज बीएसई है, वहां 1874 से दलालों ने काम करना शुरू किया. धीरे-धीरे इसकी ख्याति दलाल स्ट्रीट के तौर पर हो गई. 1887 में बंबई स्टॉक एक्सचेंज की नींव रखी गई. 1899 में ब्रिटिश अधिकारी जे. एम. मेक्लिन ने 1875 नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर असोसिएशन के दलालों के कारोबार के लिए इसमें व्यवस्था की. तब यहां निवेशक यहां आने लगे.
आजादी के बाद 1956 में सिक्योरिटी कॉन्ट्रैक्ट रेग्युलेशन एक्ट के जरिए बीएसई को भारत सरकार ने स्टॉक एक्सचेंज के तौर पर अधिकृत किया. बीएसई सेंसेक्स यानि सूचकांक का विकास 1986 में हुआ, इसलिए उससे पहले बीएसई के जरिये हुए निवेश के सटीक आंकड़े सार्वजनिक तौर से उपलब्ध नहीं है. 1990 के दशक में कम्प्यूटर का युग आया, तब इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सिस्टम को अपनाया गया. सूचकांक में सबसे पहले सर्विस इंडस्ट्री, यानी बैंकिंग, टेलीकॉम और आईटी सेक्टर्स की कंपनियों को शामिल किया गया.1995 में ऑनलाइन ट्रेडिंग की शुरुआत हुई.
अभी आगे क्या होगा..
उम्मीद जताई जा रही है कि अक्टूबर के अंत तक यह 60 हजार के मैजिक फिगर को छू सकता है. एक्सपर्ट मानते हैं कि अगले कुछ दिनों के लिए सेंसेक्स की रफ्तार एक जैसी रहेगी. मगर यह अभी और बढ़ेगा.शर्त यही है कि कोरोना या अन्य किसी कारण से आर्थिक गतिविधियां नहीं रुके. इसके अलावा केंद्र सरकार मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2021-22 के अंत तक आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है. इसके अलावा सरकार ने केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश और निजीकरण के जरिये 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया है. अगर मार्केट मे निवेशकों के लिए पॉजिटिव खबरें आती रहीं तो नया रिकॉर्ड बन सकता है.