हैदराबाद: बीते दिन ही टाटा संस (Tata Sons) के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) की एक कार हादसे में मौत हो गई. उनकी कार में चार लोग सवार थे और साइरस मिस्त्री कार की रियर सीट पर बैठे थे. कार की पिछली सीट पर बैठे हुए उन्होंने सीट बेल्ट भी नहीं लगाई थी, जिसके चलते इस हादसे में उनकी मौत हो गई. लेकिन साइरस मिस्त्री की मौत (Cyrus Mistry Car Accident) ने एक बार फिर इस बात की पुष्टि कर दी है कि कार में रियर सीट पर भी बैठने पर सीट बेल्ट लगाना कितना जरूरी है. भारत में किसी भी कार में आगे और पीछे दोनों सीटों पर सीट बेल्ट्स देना अनिवार्य है, लेकिन सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि लोग कार की पिछली सीट पर बैठकर सीट बेल्ट का इस्तेमाल नहीं करते हैं. rear seat belt importance.
क्यों जरूरी है रियर सीट बेल्ट लगाना: भारत में बिकने वाली हर कार में रियर सीट बेल्ट दी जाती है, लेकिन दुर्भाग्यवश पुलिस और चालान से बचने के लिए लोग अगली सीट बेल्ट्स का ही इस्तेमाल करते हैं. पीछे बैठे यात्री रियर सीट बेल्ट (Rear Seat Belt) का इस्तेमाल करना जरूरी नहीं समझते हैं. लेकिन रियर पैसेंजर्स को भी सीट बेल्ट लगाना बेहद जरूरी होता है, क्योंकि डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक जहां फ्रंट सीट बेल्ट ड्राइवर और को-पैसेंजर की मौत के खतरे को 45-50 प्रतिशत तक कम कर देती है, वहीं रियर पैसेंजर्ज को मौत और गभीर चोटों से बचाने के लिए यह 25 प्रतिशत तक कारगर होती है.
रियर सीट बेल्ट न लगे होने पर दुर्घटना में कैसा होता है असर: मान लीजिए कि एक कार में चार लोग सवार हैं, जिनमें एक ड्राइवर, एक को-पैसेंजर और दो रियर पैसेंजर शामिल हैं. आगे बैठे दोनों पैसेंजर्स ने सीट बेल्ट लगाई है, लेकिन रियर सीट पर बैठे पैसेंजर्स ने सीट बेल्ट नहीं लगाई है. ऐसे में जब किसी कार की दुर्घटना होती है, तो उसके डैशबोर्ड पर लगे एयरबैग्स खुल जाते हैं और ड्राइवर व को-पैसेंजर को सुरक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन वहीं रियर सीट पर बैठे पैसेंजर की सीट बेल्ट न लगे होने के कारण वे इस टक्कर को सहन नहीं कर पाते हैं और एक गोली की अगली सीट से टकरा जाते हैं.
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टक्कर के बाद रियर पैसेंजर बन जाता है हाथी: कार की टक्कर के दौरान अगर पिछली सीट पर बैठे पैसेंजर्स ने सीट बेल्ट नहीं लगाई होती है, तो इसका बेहद खतरनाक असर पड़ता है. कार हादसों के दौरान एक तेज रफ्तार कार अचानक ही रुक जाती है, जिसके चलते पिछले यात्रियों पर 40जी यानी चालीस गुना गुरुत्वाकर्षण बल काम करता है. मान लीजिए आपका वजन 80 किलोग्राम है, तो जब कार की टक्कर होगी और अगर आपने सीट बेल्ट नहीं पहनी है, तो अगले पैसेंजर्स से टकराने पर उसे आपका वजन करीब 3,200 किलोग्राम महसूस होगा.
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Almost all I know don’t fasten seat belt while sitting in the car’s rear. #CyrusMistry was sitting in the rear seat minus the seat belt during collision. This simulation shows what happens to an unbelted rear seat passenger in case of a collision. Please #WearSeatBelt ALWAYS! pic.twitter.com/HjS9weMOT0
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फ्रंट एयरबैग भी नहीं आता है काम: ऐसे में जब रियर पैसेंजर्स अगली सीटों से टकराते हैं, तो फ्रंट एयरबैग भी एक साथ दो व्यक्तियों का भार नहीं झेल पाते हैं और फ्रंट पैसेंजर्स की सुरक्षा करने में भी नाकाम हो जाते हैं. भारत में सड़क दुर्घटनाएं आम हैं और ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि इन दुर्घटनाओं में या तो लोगों की मौत हो जाती है या वे गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं. कई बार देखा गया है कि रियर सीट बेल्ट न लगे होने के कारण रियर पैसेंजर्स कार की अगली विंडशील्ड से टकरा जाते हैं और उन्हें गंभीर चोटें आती हैं या उनकी मौत हो जाती है.
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केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की भी ऐसे ही हुई थी मौत: साइरस मिस्त्री की मौत के बाद ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि रियर सीट बेल्ट के इस्तेमाल को तवज्जो दी जा रही है. इससे पहले साल 2014 में केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की मौत भी ऐसी ही एक कार दुर्घटना में हुई थी. गोपीनाथ मुंडे भी हादसे के दौरान कार की पिछली सीट पर बैठे थे और उन्होंने भी सीट बेल्ट नहीं पहनी हुई थी. जहां साइरस मिस्त्री की कार 120 किमी/घंटा की रफ्तार पर थी, वहीं गोपीनाथ मुंडे की कार भी बहुत तेज रफ्तार पर थी.
भारत में सीट बेल्ट लगाने का नियम: केंद्रीय मोटर अधिनियम की धारा 138 (3) के तहत कार की पिछली सीट पर बैठे यात्रियों को सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य है. यदि कार की पिछली सीट पर बैठा व्यक्ति सीट बेल्ट नहीं लगाता है तो कार मालिक पर 1,000 रुपये का जुर्माना किया जाता है. लेकिन जागरूकता की कमी के चलते 90 प्रतिशत लोग कार की पिछली सीट पर बैठकर सीट बेल्ट नहीं लगाते हैं.