नई दिल्ली: प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की राजनीतिक शाखा (PFI political wing SDPI) माने जाने वाले 'सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया' (SDPI) को 2018-19 से 11 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा मिला है. निर्वाचन आयोग के पास उपलब्ध आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. दिल्ली में एक गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के रूप में एसडीपीआई का गठन जून 2009 में किया गया था और अप्रैल 2010 में निर्वाचन आयोग के पास इसे पंजीकृत कराया गया.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी, दिल्ली की वेबसाइट पर उपलब्ध विवरण के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2018-19 में पार्टी ने चंदे के रूप में 5.17 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2019-20 में 3.74 करोड़ रुपये प्राप्त किए. पार्टी को वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 2.86 करोड़ रुपये चंदा मिला. एसडीपीआई को मिले चंदे का हवाला देते हुए अधिकारियों ने कहा कि इसका अधिकतर हिस्सा पार्टी को तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक से प्राप्त हुआ है.
एसडीपीआई ने बुधवार को एक बयान में पीएफआई और उससे सम्बद्ध संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंध को 'लोकतंत्र पर सीधा हमला' करार दिया. पार्टी अध्यक्ष एमके फैजी ने एक बयान में कहा कि जो कोई भी भाजपा सरकार की गलत और जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध बोलता है तो उसे गिरफ्तारी और छापेमारी के खतरे का सामना करना पड़ता है.
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भारत सरकार ने पीएफआई व उससे संबद्ध कई अन्य संगठनों पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया है. सरकार ने आतंकवाद रोधी कानून (यूएपीए) के तहत जिन संगठनों पर प्रतिबंध लगाया उनमें पीएफआई के अलावा 'रिहैब इंडिया फाउंडेशन' (आरआईएफ), 'कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया' (सीएफ), 'ऑल इंडिया इमाम काउंसिल' (एआईआईसी), 'नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन' (एनसीएचआरओ), 'नेशनल विमेंस फ्रंट', 'जूनियर फ्रंट', 'एम्पॉवर इंडिया फाउंडेशन' और 'रिहैब फाउंडेशन (केरल)' के नाम भी शामिल हैं.
(एजेंसी इनपुट)