हैदराबाद : हैदराबाद स्थित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) के वैज्ञानिकों ने कोरोन के खिलाफ कारगर एमआरएनए वैक्सीन बनाने का दावा किया. सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस प्रकार विकसित एमआरएनए वैक्सीन तकनीक स्वदेशी है और इसमें किसी और का कोई तकनीकी योगदान नहीं है. अटल इनक्यूबेशन सेंटर-सीसीएमबी (एआईसी-सीसीएमबी) की टीम के नेतृत्व में वैक्सीन बनाई गई है.
CSIR-CCMB देश में MRNA वैक्सीन प्रौद्योगिकी के विकास का नेतृत्व कर रहा है. MRNA टीके आज अग्रणी टीका प्रौद्योगिकियों में से एक है. पहले भी दुनिया ने कोविड-19 महामारी के दौरान एमआरएनए टीकों की शक्ति देखी है. MRNA टीके की खासियत ये है कि यह रोग पैदा करने वाले सूक्ष्म जीवों की पहचान करता है, फिर उसका सामना कर उसे जल्दी से खत्म करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है.
इस प्रोजेक्ट में शामिल वैज्ञानिक राजेश अय्यर ने कहा, 'हमने MRNA की दो खुराक देने पर चूहों में कोविड स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया देखी. इससे उत्पन्न एंटी-स्पाइक एंटीबॉडी मानव के एंजियोटेंसिन-परिवर्तित एंजाइम2 (ACE2) रिसेप्टर को कोरोना संक्रमण को रोकने में 90 प्रतिशत से अधिक सक्षम बनाते हैं. विज्ञप्ति में कहा गया है कि वर्तमान में, MRNA वैक्सीन वायरस संक्रमण से बचाने के लिए इसकी प्रभावकारिता का मूल्यांकन करने के लिए प्री क्लीनिकल टॉयल से गुजर रहा है.
एआईसी-सीसीएमबी के सीईओ और इस प्रोजेक्ट के प्रमुख वैज्ञानिक मधुसूदन राव ने कहा, 'हमारे इस वैक्सीन कार्यक्रम की तारीफ की गई है. कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए अमेरिका और यूरोप में मॉडर्ना या फाइजर / बायोएनटेक ने एमआरएनए वैक्सीन की तकनीक विकसित की है. उन्होंने कहा कि हमने जो एमआरएनए वैक्सीन विकसित किया है वह स्व-प्रतिकृति आरएनए पर आधारित है और जेनोवा बायो द्वारा विकसित किए जा रहे MRNA वैक्सीन से अलग है.'
घरेलू MRNA वैक्सीन अन्य संक्रामक रोगों जैसे टीबी, डेंगू, मलेरिया चिकनगुनिया, दुर्लभ आनुवंशिक रोगों और अन्य से निपटने में भी सक्षम होगा. सीसीएमबी के निदेशक ने कहा, 'समय के साथ तेजी से तकनीक बदल रही है, जिसका अर्थ है कि अन्य बीमारियों के लिए भी टीके विकसित किए जा सकते हैं या विभिन्न रूपों को कवर करने वाला एक पैन-कोविड वैक्सीन विकसित किया जा सकता है.'
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(PTI)