लखनऊ : सभी महिलाएं अपने इंटिमेट हाइजीन और हेल्थ को सुरक्षित रखने के लिए तमाम तरीके के प्रोडक्ट का इस्तेमाल करते हैं. कुछ महिलाओं को पता होता है कि साबुन, केमिकल वॉशिंग क्रीम और सुगंधित सेनेटरी नैपकिन(perfumed sanitary pads) इंटिमेट एरिया को नुकसान पहुंचा सकते हैं और कुछ इस बात से अनजान होती हैं, लेकिन जाने अनजाने में महिलाएं इस तरीके के केमिकल युक्त प्रोडक्ट का अपने दैनिक जीवन में इस्तेमाल करती हैं.
इसी क्रम में ज्यादातर महिलाएं महावारी के वक्त भी सुगंधित सैनिटरी पैड (perfumed sanitary pads) का इस्तेमाल करती हैं. इससे उन्हें लगता है कि महावारी के वक्त निकलने वाली दुर्गंध से वह बच जाएंगी, लेकिन यह रसायन युक्त वस्तु इस दुर्गंध को और बढ़ा देते है. इसके साथ ही महिलाओं के अंदर अनेक तरीके की बीमारियों के भी पनपने लगते हैं.
रसायन युक्त सेनेटरी पैड के प्रयोग से महिलाओं में फंगस, यूटीआई के साथ-साथ अन्य तमाम तरीके की बीमारियां घर करने लगती है ऐसे में महिलाओं को किस तरीके के नैपकिन का प्रयोग करना चाहिए.
पढ़ें-Reality Check: महिला सुरक्षा की यह है हकीकत, सुविधा के नाम पर मात्र कोरम पूरा
पनपने लगते हैं खराब बैक्टीरिया
राजकीय महिला चिकित्सालय की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अल्का सिंह ने बताया कि आजकल लड़कियां और महिलाएं विज्ञापन देखकर अलग-अलग तरीके के केमिकल युक्त प्रोडक्ट का प्रयोग आसानी से करने लगती हैं. जिससे उनका इंटिमेट एरिया और भी ज्यादा साफ रहे, लेकिन वास्तव में इंटिमेट एरिया को किसी भी प्रकार की सफाई की जरूरत नहीं होती हैं. शरीर का पीएच स्तर, ब्लड सरकुलेशन और हारमोंस को बैलेंस करके इसकी देखभाल की जा सकती है. उन्होंने बताया कि महिलाएं अपना खानपान सही रखकर ज्यादातर मात्रा में पानी पीकर के अपने शरीर के साथ-साथ अपने इंटिमेट एरिया को भी स्वस्थ रख सकती हैं.
डॉक्टर से लें सलाह
उन्होंने बताया कि सामान्यता देखा जाता है महावारी के दौरान महिलाओं को एक विशेष प्रकार की दुर्गंध महसूस होती है और इससे बचने के लिए महिलाएं सेंटेड सेनेटरी नैपकिन का प्रयोग आसानी से करने लगती हैं. जबकि यह सामान्य दुर्गंध होती है और यदि यह दुर्गंध लगातार बढ़ रही हो या अन्य किसी प्रकार का कोई बदलाव महसूस हो तो जरूरी है कि डॉक्टर से सलाह ली जा सकती हैं. लेकिन सामान्य तरीके की निकलने वाली दुर्गंध से बचने के लिए किसी भी सेंटेड सेनेटरी पैड का इस्तेमाल करना काफी हानिकारक है. क्योंकि यह नैपकिन कुछ दिनों तक समस्या का समाधान जरूर कर देती हैं, लेकिन यह महिलाओं के अंदर केमिकल रिएक्शन को भी बढ़ाती हैं जिसकी वजह से इंटिमेट एरिया को काफी नुकसान होता है.
पीएच स्तर में हो जाता है फेरबदल
डॉ. सिंह ने बताया कि इंटिमेट एरिया इतना सेंसटिव होता है कि वहां किसी भी तरह की सुगंध और अन्य केमिकल युक्त उत्पादों का प्रयोग बैक्टीरियल संतुलन बिगाड़ देता है. इससे गुड वेजाइनल बैक्टीरिया कमजोर हो जाती है और खराब बैक्टीरिया मजबूत हो जाती है. जिसकी वजह से जलन, खुजली, संक्रमण एलर्जी, यूटीआई, पीसीओडी जैसी समस्याएं बढ़ने लगती हैं. इतना ही नहीं बाहरी तत्वों के इस्तेमाल से वजाइनल इन्फेक्शन बढ़ता है और इससे पीएच स्तर भी असंतुलित हो जाता है. जिसकी वजह से जलन की समस्या बढ़ जाती है. उन्होंने बताया कि बाजार में कई तरीके के पीएच बैलेंस करने वाले उत्पाद उपलब्ध हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि ये उत्पाद महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए ठीक हों. इसके लिए जरूरी है कि महिलाएं अपने डॉक्टर से सलाह लेकर ही इस तरीके के उत्पादों का इस्तेमाल करें.
बढ़ता है केमिकल रिएक्शन का खतरा
डॉ. अल्का सिंह ने बताया कि महावारी के दौरान आने वाला ब्लड जब सुगंधित सेनेटरी पैड के रसायनिक इत्र के साथ मिलता है तो यह और दुर्गंध पैदा करता है. यह दुर्गंध और भी खराब होती है. इसलिए महिलाओं और लड़कियों को यह सलाह दी जाती है कि वह अपने पैड को हर 4 से 6 घंटे में बदलें, जिससे उनका पीरियड फ्लो बना रहे और किसी भी तरीके की बदबू ना आए. उन्होंने बताया कि यदि पीरियड फ्लो हल्का भी हो तो भी 4 से 6 घंटे के अंतराल के बाद महिलाओं को पैड बदलने की आवश्यकता होती है. इससे फंगल इन्फेक्शन नहीं होता है.
उन्होंने बताया कि सुगंधित पैड के ऊपर मौजूद रसायन सीधे वजाइना की त्वचा से संपर्क में रहते हैं और फंगल इन्फेक्शन को बढ़ा देते हैं. इस तरीके की इन्फेक्शन से बचने के लिए महिलाएं गैर बायोडिग्रेडेबल और प्लेन पैड का इस्तेमाल कर सकती हैं. इससे उन्हें किसी प्रकार का कोई इंफेक्शन भी नहीं होगा और उनका इंटिमेट एरिया हेल्दी रहेगा. इसके साथ ही यदि उन्हें किसी और प्रकार की दिक्कत होती है तो वह अपने चिकित्सक से परामर्श ले सकती हैं.