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भीमा कोरेगांव केस: उच्चतम न्यायालय बुधवार को करेगा नवलखा की जमानत अर्जी पर सुनवाई - नवलखा की जमानत अर्जी

उच्चतम न्यायालय कथित एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा की जमानत अर्जी पर बुधवार को सुनवाई करेगा.

उच्चतम न्यायालय
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Published : Mar 1, 2021, 4:44 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय कथित एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा की जमानत अर्जी पर बुधवार को सुनवाई करेगा. गौतम नवलखा ने बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के विरूद्ध 19 फरवरी को शीर्ष अदालत में अपील दायर की थी.

उच्च न्यायालय ने आठ फरवरी को उनकी जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा था, 'उसे विशेष अदालत के आदेश में दखल देने का कोई कारण नजर नहीं आता. विशेष अदालत ने उनकी (नवलखा की) जमानत याचिका खारिज कर दी थी.'

न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ उच्च न्यायालय के आदेश के विरूद्ध नवलखा की अपील पर सुनवाई करेगी.

पुलिस के अनुसार कुछ कार्यकर्ताओं ने 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में एल्गार परिषद की बैठक में कथित रूप से उत्तेजक और भड़काऊ भाषण दिया था जिससे अगले दिन जिले के कोरेगांव भीमा में हिंसा भड़की थी.

पुलिस ने यह आरोप लगाया कि इस कार्यक्रम को कुछ माओवादी संगठनों का समर्थन प्राप्त था. राष्ट्रीय जांच एजेंसी इस मामले की जांच कर रही है.

पढ़ें - जमानत पर चल रहे कैदियों को आत्मसमर्पण करने के लिए सुप्रीम आदेश जारी

नवलखा ने विशेष एनआईए अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती थी. विशेष एनआईए अदालत ने 12 जुलाई, 2020 को सांवधिक जमानत की उनकी अर्जी खारिज कर दी थी.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय कथित एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा की जमानत अर्जी पर बुधवार को सुनवाई करेगा. गौतम नवलखा ने बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के विरूद्ध 19 फरवरी को शीर्ष अदालत में अपील दायर की थी.

उच्च न्यायालय ने आठ फरवरी को उनकी जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा था, 'उसे विशेष अदालत के आदेश में दखल देने का कोई कारण नजर नहीं आता. विशेष अदालत ने उनकी (नवलखा की) जमानत याचिका खारिज कर दी थी.'

न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ उच्च न्यायालय के आदेश के विरूद्ध नवलखा की अपील पर सुनवाई करेगी.

पुलिस के अनुसार कुछ कार्यकर्ताओं ने 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में एल्गार परिषद की बैठक में कथित रूप से उत्तेजक और भड़काऊ भाषण दिया था जिससे अगले दिन जिले के कोरेगांव भीमा में हिंसा भड़की थी.

पुलिस ने यह आरोप लगाया कि इस कार्यक्रम को कुछ माओवादी संगठनों का समर्थन प्राप्त था. राष्ट्रीय जांच एजेंसी इस मामले की जांच कर रही है.

पढ़ें - जमानत पर चल रहे कैदियों को आत्मसमर्पण करने के लिए सुप्रीम आदेश जारी

नवलखा ने विशेष एनआईए अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती थी. विशेष एनआईए अदालत ने 12 जुलाई, 2020 को सांवधिक जमानत की उनकी अर्जी खारिज कर दी थी.

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