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सुप्रीम कोर्ट ने नजरबंदी के लिए तलोजा जेल से गौतम नवलखा की रिहाई की अड़चन हटाई

मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा (Gautam Navlakha) एल्गार-परिषद माओवादी संबंध मामले में न्यायिक हिरासत में हैं. सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा के खराब स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें नजरबंद रखे जाने की 10 नवंबर को अनुमति दी थी.

Gautam Navlakha
गौतम नवलखा
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Published : Nov 15, 2022, 8:13 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने नजरबंदी के लिए जरूरी एक प्रमाणपत्र की आवश्यकता से छूट प्रदान करते हुए मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा (Gautam Navlakha) की नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल से रिहाई की अड़चन मंगलवार को दूर कर दी. नवलखा एल्गार-परिषद माओवादी संबंध मामले में न्यायिक हिरासत में हैं. शीर्ष अदालत ने नवलखा के खराब स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें नजरबंद रखे जाने की 10 नवंबर को अनुमति दी थी. अदालत ने कहा था कि नजरबंदी की सुविधा हासिल करने के लिए नवलखा (70) को 14 नवंबर तक दो लाख रुपये का स्थानीय जमानतदार पेश करना होगा.

मंगलवार को नवलखा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन और अधिवक्ता शादान फरासत ने न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ को बताया कि 'सॉलवेंसी सर्टिफिकेट' (व्यक्ति की वित्तीय स्थिरता प्रमाणपत्र) हासिल करने के लिए कम से कम छह हफ्तों का समय लगेगा. अधिवक्ताओं ने कहा कि नवलखा की नजरबंदी के लिए लगाई गई शर्तों के कारण जमानतदार पेश करने के सिलसिले में इस प्रमाणपत्र की आवश्यकता है.

यह भी पढ़ें- क्या जनप्रतिनिधियों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है? न्यायालय ने सुरक्षित रखा आदेश

पीठ ने कहा, 'दलील और परिस्थितियों पर विचार करते हुए, हमारे 10 नवंबर 2022 के आदेश का लाभ हासिल करने के लिए हम याचिकाकर्ता (नवलखा) को इस प्रमाणपत्र की आवश्यकता से छूट प्रदान करना उचित समझते हैं.' शीर्ष अदालत ने कहा कि पासपोर्ट, आधार कार्ड और स्थायी खाता संख्या (पैन) कार्ड जैसे अन्य सुरक्षा सबूत उपलब्ध कराये गये हैं तथा निचली अदालत शीर्ष न्यायालय के आदेश को प्रभावी होने देने के लिए अतिरिक्त सबूत के तौर पर राशन कार्ड के लिए दबाव नहीं डाले. (पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने नजरबंदी के लिए जरूरी एक प्रमाणपत्र की आवश्यकता से छूट प्रदान करते हुए मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा (Gautam Navlakha) की नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल से रिहाई की अड़चन मंगलवार को दूर कर दी. नवलखा एल्गार-परिषद माओवादी संबंध मामले में न्यायिक हिरासत में हैं. शीर्ष अदालत ने नवलखा के खराब स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें नजरबंद रखे जाने की 10 नवंबर को अनुमति दी थी. अदालत ने कहा था कि नजरबंदी की सुविधा हासिल करने के लिए नवलखा (70) को 14 नवंबर तक दो लाख रुपये का स्थानीय जमानतदार पेश करना होगा.

मंगलवार को नवलखा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन और अधिवक्ता शादान फरासत ने न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ को बताया कि 'सॉलवेंसी सर्टिफिकेट' (व्यक्ति की वित्तीय स्थिरता प्रमाणपत्र) हासिल करने के लिए कम से कम छह हफ्तों का समय लगेगा. अधिवक्ताओं ने कहा कि नवलखा की नजरबंदी के लिए लगाई गई शर्तों के कारण जमानतदार पेश करने के सिलसिले में इस प्रमाणपत्र की आवश्यकता है.

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पीठ ने कहा, 'दलील और परिस्थितियों पर विचार करते हुए, हमारे 10 नवंबर 2022 के आदेश का लाभ हासिल करने के लिए हम याचिकाकर्ता (नवलखा) को इस प्रमाणपत्र की आवश्यकता से छूट प्रदान करना उचित समझते हैं.' शीर्ष अदालत ने कहा कि पासपोर्ट, आधार कार्ड और स्थायी खाता संख्या (पैन) कार्ड जैसे अन्य सुरक्षा सबूत उपलब्ध कराये गये हैं तथा निचली अदालत शीर्ष न्यायालय के आदेश को प्रभावी होने देने के लिए अतिरिक्त सबूत के तौर पर राशन कार्ड के लिए दबाव नहीं डाले. (पीटीआई-भाषा)

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