नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार करने वाले राज्य के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए एक पीठ का गठन करेगा और कहा कि न्यायाधीशों में से एक अस्वस्थ हैं, जिससे देरी हुई. प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन वी रमण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने एक अपीलकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा की इस दलील पर गौर किया कि उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मार्च में अपील दायर की गई थीं और वे अभी तक सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं हुई हैं. सीजेआई ने कहा, 'मैं एक पीठ का गठन करूंगा. न्यायाधीशों में से एक की तबीयत ठीक नहीं है. अगर न्यायाधीश स्वस्थ होते, तो मामला अब तक सुनवाई के लिए आ गया होता.'
शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 13 जुलाई को सहमति जताई थी. तब अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने इसका उल्लेख किया था और कहा था कि 'लड़कियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है और वे कठिनाइयों का सामना कर रही हैं.' इससे पहले, उच्च न्यायालय के 15 मार्च के फैसले के खिलाफ अपील का तत्काल सुनवाई के लिए 26 अप्रैल को भी उल्लेख किया गया था. उच्च न्यायालय ने कक्षा के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति देने के अनुरोध वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था.
उडुपी के स्कूल की छात्राओं की याचिका खारिज हुई थी : कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसमें कहा गया है कि हिजाब पहनना आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित किया जा सकता है. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध करने वाली उडुपी स्थित 'गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज' की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग की याचिकाएं खारिज कर दी थीं और कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है. अदालत ने कहा था कि स्कूल की वर्दी का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकतीं.
अदालत ने यह भी कहा था कि सरकार के पास पांच फरवरी, 2022 के सरकारी आदेश को जारी करने का अधिकार है और इसे अवैध ठहराने का कोई मामला नहीं बनता. इस आदेश में राज्य सरकार ने उन वस्त्रों को पहनने पर रोक लगा दी है, जिससे स्कूल और कॉलेज में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था बाधित होती है. मुस्लिम लड़कियों ने इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी.
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(पीटीआई-भाषा)