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नारदा स्टिंग केस : ममता की याचिका पर 25 जून को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

नारदा स्टिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा याचिका पर 25 जून को सुनवाई करेगा. ममता बनर्जी ने याचिका में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पर 'झूठे आरोप' लगाने का आरोप लगाया है.

ममता बनर्जी
ममता बनर्जी
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Published : Jun 22, 2021, 3:10 PM IST

Updated : Jun 22, 2021, 6:11 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने नारदा स्टिंग मामले (Narada Sting Case) में कलकत्ता हाई कोर्ट के नौ जून के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और राज्य के कानून मंत्री मलय घटक की अपीलों पर 25 जून को सुनवाई करने का फैसला किया. हाई कोर्ट ने नौ जून को नारदा स्टिंग टेप मामले को स्थानांतरित करने की सीबीआई की अर्जी पर सुनवाई के दौरान ममता और मलय घटक के हलफनामे रिकॉर्ड पर लेने से इनकार कर दिया था.

प्रारंभ में ये अपीलें न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता (Justice Hemant Gupta) और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस (Justice Aniruddha Bose) की अवकाशकालीन पीठ के सामने सूचीबद्ध थीं. लेकिन न्यायमूर्ति बोस ने बिना कोई कारण बताए इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (Chief Justice N. V. Ramana) ने इस मामले को दूसरी पीठ को सौंप दिया.

न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वर की पीठ ने अपराह्न इस विषय पर सुनवाई शुरू की. न्यायमूर्ति सरन ने प्रारंभ में ही कह दिया कि चूंकि यह मामला इस पीठ के लिए नया है, इसलिए उसे सुनवाई करने से पहले फाइलों पर नजर दौड़ाने की जरूरत है.

इस पीठ को जब यह बताया गया कि शीर्ष अदालत ने पहले उच्च न्यायालय से अनुरोध किया था कि जब तक वह इन अपीलों पर फैसला नहीं कर लेती है तब तक वह (उच्च न्यायालय) अपनी सुनवाई टाल दे, इस पर उसने (न्यायमूर्ति सरन एवं न्यायमूर्ति माहेश्वरी की पीठ ने) कहा कि वह भी यही आदेश देगी. पीठ ने कहा कि वह भी उच्च न्यायालय में इस मामले की 23 जून को निर्धारित सुनवाई दो दिन के लिये और स्थगित करने का अनुरोध करेगी.

नई पीठ ने तब सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता तथा वरिष्ठ वकीलों- राकेश द्विवेदी और विकास सिंह से सवाल किया कि क्या वे शुक्रवार को अपनी दलीलें पूरी कर लेंगे तब वकीलों ने 'हां' में जवाब दिया.

पीठ ने अपने आदेश में कहा, पहले उच्चतम न्यायालय ने 18 जून को कहा था कि उच्च न्यायालय 21 और 22 को इस मामले पर सुनवाई नहीं कर सकता है. चूंकि इस मामले आज सुनवाई नहीं हो पाई, इसलिए हम आशा करते हैं कि उच्च न्यायालय ने 25 जून से पहले किसी भी तारीख पर इस मामले पर सुनवाई नहीं करेगा.

शीर्ष अदालत को राज्य सरकार की अपील समेत तीन अपीलों पर सुनवाई करनी थी, जिनमें सीबीआई द्वारा 17 मई को तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं की गिरफ्तारी के दिन अपनी भूमिका को लेकर बनर्जी एवं घटक को हलफनामा दाखिल करने की अनुमति देने से इनकार करने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है.

टीएमसी नेताओं पर सीबीआई के काम में बाधा डालने का आरोप
यह आरोप लगाया गया है कि राज्य के सत्तारूढ़ दल के इन नेताओं ने सीबीआई को इस मामले में चार नेताओं को गिरफ्तार करने के बाद अपना कानूनी दायित्व निभाने से रोकने में बड़ी भूमिका निभाई थी.

प्रारंभ में राज्य सरकार और कानून मंत्री ने शीर्ष अदालत में अपीलें दायर की थीं. बाद में मुख्यमंत्री ने भी उच्च न्यायालय के नौ जून के आदेश के खिलाफ अपील दायर की.

उच्चतम न्यायालय ने 18 जून को उच्च न्यायालय से अनुरोध किया था कि वह उसके आदेश के खिलाफ राज्य सरकार और घटक की याचिका पर शीर्ष अदालत द्वारा विचार करने के एक दिन बाद मामले की सुनवाई करे.

नारदा स्टिंग टेप मामले को विशेष सीबीआई अदालत से उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने के अनुरोध वाली एजेंसी की याचिका पर सुनवाई करने वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने नौ जून को कहा था कि इस मुद्दे पर बाद में विचार किया जाएगा. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पहले बनर्जी और घटक के हलफनामे पर बाद में विचार करने का फैसला किया था.

यह भी पढ़ें- नारदा घोटाला केसः SC के जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने खुद को बेंच से अलग किया

घटक और राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं- राकेश द्विवेदी और विकास सिंह ने कहा था कि हलफनामों को उच्च न्यायालय की जानकारी में लाना आवश्यक है क्योंकि 17 मई को व्यक्तियों की भूमिका के मामले को वह देख रहा है.

सीबीआई ने अपने आवेदन में मुख्यमंत्री और कानून मंत्री को पक्षकार बनाया है. एजेंसी ने दावा किया कि चारों आरोपियों की गिरफ्तारी के तुरंत बाद मुख्यमंत्री कोलकाता में सीबीआई कार्यालय में धरने पर बैठ गयी थीं, वहीं घटक 17 मई को विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष मामले की डिजिटल सुनवाई के दौरान अदालत परिसर में मौजूद थे.

चारों आरोपियों में मंत्री सुब्रत मुखर्जी और फिरहाद हकीम के अलावा तृणमूल कांग्रेस के विधायक मदन मित्रा और कोलकाता के पूर्व महापौर सोवन चटर्जी शामिल हैं.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने नारदा स्टिंग मामले (Narada Sting Case) में कलकत्ता हाई कोर्ट के नौ जून के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और राज्य के कानून मंत्री मलय घटक की अपीलों पर 25 जून को सुनवाई करने का फैसला किया. हाई कोर्ट ने नौ जून को नारदा स्टिंग टेप मामले को स्थानांतरित करने की सीबीआई की अर्जी पर सुनवाई के दौरान ममता और मलय घटक के हलफनामे रिकॉर्ड पर लेने से इनकार कर दिया था.

प्रारंभ में ये अपीलें न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता (Justice Hemant Gupta) और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस (Justice Aniruddha Bose) की अवकाशकालीन पीठ के सामने सूचीबद्ध थीं. लेकिन न्यायमूर्ति बोस ने बिना कोई कारण बताए इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (Chief Justice N. V. Ramana) ने इस मामले को दूसरी पीठ को सौंप दिया.

न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वर की पीठ ने अपराह्न इस विषय पर सुनवाई शुरू की. न्यायमूर्ति सरन ने प्रारंभ में ही कह दिया कि चूंकि यह मामला इस पीठ के लिए नया है, इसलिए उसे सुनवाई करने से पहले फाइलों पर नजर दौड़ाने की जरूरत है.

इस पीठ को जब यह बताया गया कि शीर्ष अदालत ने पहले उच्च न्यायालय से अनुरोध किया था कि जब तक वह इन अपीलों पर फैसला नहीं कर लेती है तब तक वह (उच्च न्यायालय) अपनी सुनवाई टाल दे, इस पर उसने (न्यायमूर्ति सरन एवं न्यायमूर्ति माहेश्वरी की पीठ ने) कहा कि वह भी यही आदेश देगी. पीठ ने कहा कि वह भी उच्च न्यायालय में इस मामले की 23 जून को निर्धारित सुनवाई दो दिन के लिये और स्थगित करने का अनुरोध करेगी.

नई पीठ ने तब सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता तथा वरिष्ठ वकीलों- राकेश द्विवेदी और विकास सिंह से सवाल किया कि क्या वे शुक्रवार को अपनी दलीलें पूरी कर लेंगे तब वकीलों ने 'हां' में जवाब दिया.

पीठ ने अपने आदेश में कहा, पहले उच्चतम न्यायालय ने 18 जून को कहा था कि उच्च न्यायालय 21 और 22 को इस मामले पर सुनवाई नहीं कर सकता है. चूंकि इस मामले आज सुनवाई नहीं हो पाई, इसलिए हम आशा करते हैं कि उच्च न्यायालय ने 25 जून से पहले किसी भी तारीख पर इस मामले पर सुनवाई नहीं करेगा.

शीर्ष अदालत को राज्य सरकार की अपील समेत तीन अपीलों पर सुनवाई करनी थी, जिनमें सीबीआई द्वारा 17 मई को तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं की गिरफ्तारी के दिन अपनी भूमिका को लेकर बनर्जी एवं घटक को हलफनामा दाखिल करने की अनुमति देने से इनकार करने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है.

टीएमसी नेताओं पर सीबीआई के काम में बाधा डालने का आरोप
यह आरोप लगाया गया है कि राज्य के सत्तारूढ़ दल के इन नेताओं ने सीबीआई को इस मामले में चार नेताओं को गिरफ्तार करने के बाद अपना कानूनी दायित्व निभाने से रोकने में बड़ी भूमिका निभाई थी.

प्रारंभ में राज्य सरकार और कानून मंत्री ने शीर्ष अदालत में अपीलें दायर की थीं. बाद में मुख्यमंत्री ने भी उच्च न्यायालय के नौ जून के आदेश के खिलाफ अपील दायर की.

उच्चतम न्यायालय ने 18 जून को उच्च न्यायालय से अनुरोध किया था कि वह उसके आदेश के खिलाफ राज्य सरकार और घटक की याचिका पर शीर्ष अदालत द्वारा विचार करने के एक दिन बाद मामले की सुनवाई करे.

नारदा स्टिंग टेप मामले को विशेष सीबीआई अदालत से उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने के अनुरोध वाली एजेंसी की याचिका पर सुनवाई करने वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने नौ जून को कहा था कि इस मुद्दे पर बाद में विचार किया जाएगा. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पहले बनर्जी और घटक के हलफनामे पर बाद में विचार करने का फैसला किया था.

यह भी पढ़ें- नारदा घोटाला केसः SC के जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने खुद को बेंच से अलग किया

घटक और राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं- राकेश द्विवेदी और विकास सिंह ने कहा था कि हलफनामों को उच्च न्यायालय की जानकारी में लाना आवश्यक है क्योंकि 17 मई को व्यक्तियों की भूमिका के मामले को वह देख रहा है.

सीबीआई ने अपने आवेदन में मुख्यमंत्री और कानून मंत्री को पक्षकार बनाया है. एजेंसी ने दावा किया कि चारों आरोपियों की गिरफ्तारी के तुरंत बाद मुख्यमंत्री कोलकाता में सीबीआई कार्यालय में धरने पर बैठ गयी थीं, वहीं घटक 17 मई को विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष मामले की डिजिटल सुनवाई के दौरान अदालत परिसर में मौजूद थे.

चारों आरोपियों में मंत्री सुब्रत मुखर्जी और फिरहाद हकीम के अलावा तृणमूल कांग्रेस के विधायक मदन मित्रा और कोलकाता के पूर्व महापौर सोवन चटर्जी शामिल हैं.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Jun 22, 2021, 6:11 PM IST
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