नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बहुविवाह और निकाह-हलाला से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई के लिए एक संविधान पीठ बनाने पर सहमति व्यक्त की. इस संविधान पीठ को मुस्लिम पर्सनल लॉ द्वारा अनुमति दी गई है. बहुविवाह और निकाह-हलाला की प्रथा को चुनौती देने वाली याचिकाओं का उल्लेख एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष किया था.
उन्होंने अदालत को बताया कि इस मामले को पहले जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ के समक्ष रखा गया था, लेकिन अब जब वे सेवानिवृत्त हो गए हैं, तो मामले को एक नई पीठ के समक्ष रखा जाना है. सीजेआई चंद्रचूड़ ने याचिकाओं को स्वीकार करते हुए आश्वासन दिया कि वे जल्द ही मामले की सुनवाई के लिए एक नई पीठ का गठन करेंगे. याचिका मुस्लिम महिलाओं के एक समूह, अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय और मोहसिन कोठारी द्वारा दायर की गई थी.
याचिकाकर्ताओं ने निकाह-हलाला और बहुविवाह पर रोक लगाने की मांग की थी, क्योंकि यह महिलाओं के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है. उन्होंने मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम की धारा 2 को असंवैधानिक और अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन घोषित करने की मांग की थी. इसे मार्च 2018 में पांच जजों की संविधान पीठ के पास भेजा गया था और तब से यह लंबित है.