नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ गुजरात में दायर आपराधिक मानहानि की शिकायत के संबंध में कार्यवाही पर सोमवार को रोक लगा दी. तेजस्वी के खिलाफ गुजरात में उनकी इस कथित टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज की गई थी कि केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं. न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ अहमदाबाद में एक मजिस्ट्रेटी अदालत के समक्ष लंबित मामले को गुजरात के बाहर, मुख्यत: दिल्ली में स्थानांतरित करने संबंधी तेजस्वी की याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गई.
पीठ ने नोटिस जारी किया और राजद नेता की याचिका पर गुजरात के उस व्यक्ति से जवाब मांगा, जिसने तेजस्वी के खिलाफ मानहानि की शिकायत दायर की है. तेजस्वी ने अपने वकील अजय विक्रम सिंह के माध्यम से मामले को स्थानांतरित करने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है. शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई जनवरी में करना तय किया है. गौरतलब है कि गुजरात की अदालत ने अगस्त में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 202 के तहत राजद नेता के खिलाफ प्रारंभिक जांच की थी.
स्थानीय व्यवसायी एवं कार्यकर्ता हरेश मेहता द्वारा दायर शिकायत पर उन्हें तलब करने का पर्याप्त आधार पाया था. शिकायत के अनुसार, तेजस्वी ने मार्च 2023 में पटना में मीडिया से बात करते हुए कहा था कि "वर्तमान स्थिति में केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं, और उनके फर्जीवाड़े को माफ कर दिया जाएगा." बिहार के उपमुख्यमंत्री ने कथित तौर पर कहा था कि अगर वे एलआईसी या बैंकों का पैसा लेकर भाग गए तो कौन जिम्मेदार होगा? मेहता ने अपनी शिकायत में दावा किया था कि इस टिप्पणी से सभी गुजरातियों की मानहानि हुई.
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