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कमलनाथ कांग्रेस के स्टार प्रचारक बने रहेंगे : सुप्रीम कोर्ट - Kamal Nath star campaigner status

पूर्व सीएम कमनलाथ के विवादित बयान के बाद चुनाव आयोग ने उनसे स्टार प्रचारक का दर्जा छीन लिया था. इसके बाद कांग्रेस ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए चुनाव आयोग के फैसले को पलट दिया है.

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Published : Nov 2, 2020, 1:47 PM IST

Updated : Nov 2, 2020, 3:43 PM IST

भोपाल : सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के स्टार प्रचारक के रूप से कमलनाथ का नाम हटाने के चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगा दी है. मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि किसी का नाम स्टार प्रचारक की सूची से हटाना चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं है. दरअसल, 30 अक्टूबर को चुनाव आयोग ने कमलनाथ से स्टार प्रचारक का दर्जा छीन लिया था. कमलनाथ पर की गई इस कार्रवाई पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए थे.

कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट जाने की कही थी बात

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने इलेक्शन कमीशन के फैसले पर सवाल खड़े किए थे. विवेक तन्खा ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि वे कोर्ट में फ्रीडम आफ स्पीच और एक्सप्रेशन को को रखेंगे. विवेक तन्खा के कहा था कि स्टार प्रचारक कौन होगा, ये पार्टी तय करती है और इलेक्शन कमिशन उसमें निर्णय नहीं ले सकता है.

पढ़ें:कमलनाथ को स्टार प्रचारक की लिस्ट से हटाने का मामला: सुप्रीम कोर्ट जाएगी कांग्रेस

बीजेपी ने किया था चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत

चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत करते हुए बीजेपी प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी ने कहा था कि मैं चुनाव आयोग का बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहता हूं. कमलनाथ का बयान काफी निंदनीय है.

पढ़ें:कैसे छीना गया कमलनाथ से स्टार प्रचारक का दर्जा, इस रणनीति से भाजपा ने कमलनाथ को घेरा

स्टार प्रचारक का दर्जा छीनने के बाद क्या बोले थे कमलनाथ

स्टार प्रचारक का दर्जा छीनने पर कमलनाथ ने कहा था कि 'न मैं स्टार प्रचारक हूं, न कोई कद है और न ही कोई पद है. मैं चुनाव आयोग पर टिप्पणी नहीं करना चाहता. 10 तारीख के बाद बात करेंगे, क्योंकि जनता सबसे ऊंची है.' इसके साथ ही कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा था कि सत्य को परेशान किया जा सकता है, लेकिन पराजित नहीं किया जा सकता.

इमरती देवी का कहा था 'आइटम'

बता दें विधानसभा उपचुनाव के प्रचार के दौरान 18 अक्टूबर को कमलनाथ ग्वालियर के डबरा में कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे के लिए चुनावी सभा करने गए थे. वहां पर उन्होंने इमरती देवी का नाम लिए बगैर कहा था कि मुझे आपको पहले ही सावधान कर देना चाहिए था कि यह क्या 'आइटम' है. कमलनाथ के इस बयान के बाद बीजेपी सक्रिय हुई और सड़क पर विरोध प्रदर्शन के अलावा चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया और राष्ट्रीय महिला आयोग में भी शिकायत की.

पढ़ें:यहां पर सब 'आइटम' हैं, सच-झूठ के बीच होने वाले चुनाव को गुमराह कर रही बीजेपी: कमलनाथ

क्या होती है स्टार प्रचारक की भूमिका

स्टार प्रचारकों पर सबकी नजरें होती हैं. ये ऐसे नेता और सिलेब्रिटी होते हैं, जिन्हें देखने और सुनने के लिए भारी भीड़ उमड़ती है. इनका लोगों पर खासा प्रभाव होता है. स्टार प्रचारक अपने दमदार भाषणों से अपनी पार्टी और उम्मीदवार के लिए वोट खींचने का काम करते हैं. इनकी सभाएं ऐसे इलाकों में रखी जाती हैं, जहां वोट मिलने की संभावना ज्यादा होती है. चुनाव कोई भी हो, इसे जीतने के लिए पार्टी ऐसे नेताओं और सिलेब्रिटी को प्रचार के लिए उतारती है, जिन्हें देखने सुनने भारी भीड़ उमड़े. स्टार प्रचारक को कोई भी दल अपनी स्वेच्छा से उसकी सहमति मिलने पर चुन सकता है.

पढ़ें : चुनाव आयोग ने कमलनाथ से स्टार प्रचार का तमगा छीना, कांग्रेस जाएगी कोर्ट

वरिष्ठ राजनेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की सरपरस्ती में कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के एक साथ इस्तीफा देकर भाजपा के पाले में चले जाने से कमलनाथ सरकार का 20 मार्च को पतन हो गया था. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में भाजपा 23 मार्च को सत्ता में लौट आई थी.

भोपाल : सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के स्टार प्रचारक के रूप से कमलनाथ का नाम हटाने के चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगा दी है. मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि किसी का नाम स्टार प्रचारक की सूची से हटाना चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं है. दरअसल, 30 अक्टूबर को चुनाव आयोग ने कमलनाथ से स्टार प्रचारक का दर्जा छीन लिया था. कमलनाथ पर की गई इस कार्रवाई पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए थे.

कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट जाने की कही थी बात

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने इलेक्शन कमीशन के फैसले पर सवाल खड़े किए थे. विवेक तन्खा ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि वे कोर्ट में फ्रीडम आफ स्पीच और एक्सप्रेशन को को रखेंगे. विवेक तन्खा के कहा था कि स्टार प्रचारक कौन होगा, ये पार्टी तय करती है और इलेक्शन कमिशन उसमें निर्णय नहीं ले सकता है.

पढ़ें:कमलनाथ को स्टार प्रचारक की लिस्ट से हटाने का मामला: सुप्रीम कोर्ट जाएगी कांग्रेस

बीजेपी ने किया था चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत

चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत करते हुए बीजेपी प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी ने कहा था कि मैं चुनाव आयोग का बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहता हूं. कमलनाथ का बयान काफी निंदनीय है.

पढ़ें:कैसे छीना गया कमलनाथ से स्टार प्रचारक का दर्जा, इस रणनीति से भाजपा ने कमलनाथ को घेरा

स्टार प्रचारक का दर्जा छीनने के बाद क्या बोले थे कमलनाथ

स्टार प्रचारक का दर्जा छीनने पर कमलनाथ ने कहा था कि 'न मैं स्टार प्रचारक हूं, न कोई कद है और न ही कोई पद है. मैं चुनाव आयोग पर टिप्पणी नहीं करना चाहता. 10 तारीख के बाद बात करेंगे, क्योंकि जनता सबसे ऊंची है.' इसके साथ ही कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा था कि सत्य को परेशान किया जा सकता है, लेकिन पराजित नहीं किया जा सकता.

इमरती देवी का कहा था 'आइटम'

बता दें विधानसभा उपचुनाव के प्रचार के दौरान 18 अक्टूबर को कमलनाथ ग्वालियर के डबरा में कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे के लिए चुनावी सभा करने गए थे. वहां पर उन्होंने इमरती देवी का नाम लिए बगैर कहा था कि मुझे आपको पहले ही सावधान कर देना चाहिए था कि यह क्या 'आइटम' है. कमलनाथ के इस बयान के बाद बीजेपी सक्रिय हुई और सड़क पर विरोध प्रदर्शन के अलावा चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया और राष्ट्रीय महिला आयोग में भी शिकायत की.

पढ़ें:यहां पर सब 'आइटम' हैं, सच-झूठ के बीच होने वाले चुनाव को गुमराह कर रही बीजेपी: कमलनाथ

क्या होती है स्टार प्रचारक की भूमिका

स्टार प्रचारकों पर सबकी नजरें होती हैं. ये ऐसे नेता और सिलेब्रिटी होते हैं, जिन्हें देखने और सुनने के लिए भारी भीड़ उमड़ती है. इनका लोगों पर खासा प्रभाव होता है. स्टार प्रचारक अपने दमदार भाषणों से अपनी पार्टी और उम्मीदवार के लिए वोट खींचने का काम करते हैं. इनकी सभाएं ऐसे इलाकों में रखी जाती हैं, जहां वोट मिलने की संभावना ज्यादा होती है. चुनाव कोई भी हो, इसे जीतने के लिए पार्टी ऐसे नेताओं और सिलेब्रिटी को प्रचार के लिए उतारती है, जिन्हें देखने सुनने भारी भीड़ उमड़े. स्टार प्रचारक को कोई भी दल अपनी स्वेच्छा से उसकी सहमति मिलने पर चुन सकता है.

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वरिष्ठ राजनेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की सरपरस्ती में कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के एक साथ इस्तीफा देकर भाजपा के पाले में चले जाने से कमलनाथ सरकार का 20 मार्च को पतन हो गया था. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में भाजपा 23 मार्च को सत्ता में लौट आई थी.

Last Updated : Nov 2, 2020, 3:43 PM IST
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