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सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में अवैध हथियारों की मौजूदगी को बताया गंभीर मामला, केंद्र और राज्य सरकारों से जवाब मांगा - STATES UTs ON UNLICENSED FIREARMS MENACE

देश भर में सुगमता से हथियारों की उपलब्धता को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गंभीर मसला बताया है. इसी के मद्देनजर कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस कर उनकी प्रतिक्रिया मांगी है. मामले में तीन सप्ताह बाद सुनवाई होगी.

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Published : Apr 13, 2023, 3:13 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पूरे देश में आसानी से उपलब्ध होने वाले हथियारों को गंभीर मामला बताचा है. इसी के मद्देनजर कोर्ट ने गुरुवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया और पिछले कुछ वर्षों में बिना लाइसेंस वाली आग्नेयास्त्रों की समस्या से निपटने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों और उनकी संख्या पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी है. साथ ही कोर्ट ने डीजीपी से मामले में हलफनामा दाखिल करने को कहा है.

कोर्ट ने गृह मंत्रालय के माध्यम से भारत सरकार को भी आर्म्स एक्ट लागू करने और कानून को मजबूत करने के लिए सुझाव देने के संबंध में नोटिस जारी किया है. मामले पर अब कोर्ट के द्वारा तीन सप्ताह बाद फिर से सुनवाई होगी. इस दौरान हलफनामा दाखिल कराया जा सकेगा. बता दें कि जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच उत्तर प्रदेश में बिना लाइसेंस के आग्नेयास्त्रों के मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई कर रही थी. इसी क्रम में अन्य राज्यों को भी शामिल करने के लिए स्वत: संज्ञान का विस्तार किया गया है. फरवरी, 2023 में, कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य में बिना लाइसेंस वाले आग्नेयास्त्रों का स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा था कि यह प्रवृत्ति परेशान करने वाली है और भारत में किसी को भी तब तक आग्नेयास्त्र ले जाने की अनुमति नहीं है जब तक कि वे अधिकृत न हों. अदालत ने कहा था कि अमेरिका के विपरीत जहां आग्नेयास्त्र रखने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, भारतीय नागरिकों को ऐसा कोई अधिकार नहीं दिया गया है.

कोर्ट ने कहा था कि सरकार अवैध हथियार रखने के मामले में आर्म्स एक्ट के अलावा दूसरे कानून के तहत तो कार्रवाई करती है, लेकिन इसके चलन को रोकने की दिशा में कोई व्यापक कार्रवाई नहीं की जाती है. अदालत ने कहा कि वह समस्या पर अंकुश लगाने के लिए जो भी आवश्यक होगा वह करेगी और उसने यूपी राज्य को शस्त्र अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की संख्या और बिना लाइसेंस वाले हथियारों के खतरे से निपटने के लिए राज्य द्वारा उठाए गए कदमों को बताते हुए मामले में एक हलफनामा दायर करने को कहा था. अदालत ने कहा, इसलिए, हमें यह उचित लगता है कि इस मामले का पता लगाने के लिए उपयोग किया जाए और जो भी आवश्यक हो किया जाए ताकि अधिकारियों द्वारा बिना लाइसेंस वाले हथियारों की समस्या से मजबूती से निपटा जा सके.

ये भी पढ़ें- Lalit Modi Apologize: SC ने ललित मोदी को माफी मांगने का दिया निर्देश

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पूरे देश में आसानी से उपलब्ध होने वाले हथियारों को गंभीर मामला बताचा है. इसी के मद्देनजर कोर्ट ने गुरुवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया और पिछले कुछ वर्षों में बिना लाइसेंस वाली आग्नेयास्त्रों की समस्या से निपटने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों और उनकी संख्या पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी है. साथ ही कोर्ट ने डीजीपी से मामले में हलफनामा दाखिल करने को कहा है.

कोर्ट ने गृह मंत्रालय के माध्यम से भारत सरकार को भी आर्म्स एक्ट लागू करने और कानून को मजबूत करने के लिए सुझाव देने के संबंध में नोटिस जारी किया है. मामले पर अब कोर्ट के द्वारा तीन सप्ताह बाद फिर से सुनवाई होगी. इस दौरान हलफनामा दाखिल कराया जा सकेगा. बता दें कि जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच उत्तर प्रदेश में बिना लाइसेंस के आग्नेयास्त्रों के मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई कर रही थी. इसी क्रम में अन्य राज्यों को भी शामिल करने के लिए स्वत: संज्ञान का विस्तार किया गया है. फरवरी, 2023 में, कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य में बिना लाइसेंस वाले आग्नेयास्त्रों का स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा था कि यह प्रवृत्ति परेशान करने वाली है और भारत में किसी को भी तब तक आग्नेयास्त्र ले जाने की अनुमति नहीं है जब तक कि वे अधिकृत न हों. अदालत ने कहा था कि अमेरिका के विपरीत जहां आग्नेयास्त्र रखने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, भारतीय नागरिकों को ऐसा कोई अधिकार नहीं दिया गया है.

कोर्ट ने कहा था कि सरकार अवैध हथियार रखने के मामले में आर्म्स एक्ट के अलावा दूसरे कानून के तहत तो कार्रवाई करती है, लेकिन इसके चलन को रोकने की दिशा में कोई व्यापक कार्रवाई नहीं की जाती है. अदालत ने कहा कि वह समस्या पर अंकुश लगाने के लिए जो भी आवश्यक होगा वह करेगी और उसने यूपी राज्य को शस्त्र अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की संख्या और बिना लाइसेंस वाले हथियारों के खतरे से निपटने के लिए राज्य द्वारा उठाए गए कदमों को बताते हुए मामले में एक हलफनामा दायर करने को कहा था. अदालत ने कहा, इसलिए, हमें यह उचित लगता है कि इस मामले का पता लगाने के लिए उपयोग किया जाए और जो भी आवश्यक हो किया जाए ताकि अधिकारियों द्वारा बिना लाइसेंस वाले हथियारों की समस्या से मजबूती से निपटा जा सके.

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