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SC ने द्वारका फ्लाईओवर का निर्माण रोकने की याचिका पर एनएचएआई से मांगा जवाब

उच्चतम न्यायालय ने द्वारका एक्सप्रेस-वे फ्लाईओवर का निर्माण कार्य रोकने संबंधी दो ग्रुप हाउसिंग सोसायटी और कुछ अन्य निवासियों की याचिका पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से जवाब मांगा है.

उच्चतम न्यायालय
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Published : Aug 23, 2021, 8:05 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने द्वारका एक्सप्रेस-वे फ्लाईओवर का निर्माण कार्य रोकने संबंधी दो ग्रुप हाउसिंग सोसायटी और कुछ अन्य निवासियों की याचिका पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से जवाब मांगा है.

अनिवार्य मंजूरी के बगैर ही रात-दिन फ्लाई ओवर का निर्माण कार्य जारी रहने की जानकारी दिए जाने पर न्यायमूर्ति डी. वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह की पीठ ने एनएचएआई और अन्य पक्षों को नोटिस जारी करके उन्हें शुक्रवार तक जवाब देने के निर्देश दिए हैं.

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि एनएचएआई पहले से बनी हुई छोटी सड़क का फिर से निर्माण कर रहा है जो बेहद भीड़-भाड़ वाले आवासीय क्षेत्र से होकर गुजरती है जहां छह स्कूल स्थित हैं. भूषण ने कहा इस मामले में जनता से कोई सलाह नहीं ली गई है. उनके पास पर्यावरण मंजूरी नहीं है और पेड़ काटने की मंजूरी अवधि समाप्त होने के बाद भी पेड़ काटे जा रहे हैं.

इसे भी पढ़ें-हाईकोर्ट ने पूछा, बिना शादी के मां बनी महिला, क्या पिता का नाम बताने के बाध्य है ?

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में चूक की है और निर्माण कार्य जारी रखने की अनुमति देते हुए कहा कि यह नई सड़क नहीं है, इसलिए किसी नई मंजूरी की आवश्यकता नहीं है. पीठ ने कहा कि वह मामले पर विचार करेगी और मामले की सुनवाई आगे टाल दी है. उच्च न्यायालय ने 30 जुलाई को इन आवास समितियों और निवासियों की याचिका खारिज कर दी थी.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने द्वारका एक्सप्रेस-वे फ्लाईओवर का निर्माण कार्य रोकने संबंधी दो ग्रुप हाउसिंग सोसायटी और कुछ अन्य निवासियों की याचिका पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से जवाब मांगा है.

अनिवार्य मंजूरी के बगैर ही रात-दिन फ्लाई ओवर का निर्माण कार्य जारी रहने की जानकारी दिए जाने पर न्यायमूर्ति डी. वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह की पीठ ने एनएचएआई और अन्य पक्षों को नोटिस जारी करके उन्हें शुक्रवार तक जवाब देने के निर्देश दिए हैं.

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि एनएचएआई पहले से बनी हुई छोटी सड़क का फिर से निर्माण कर रहा है जो बेहद भीड़-भाड़ वाले आवासीय क्षेत्र से होकर गुजरती है जहां छह स्कूल स्थित हैं. भूषण ने कहा इस मामले में जनता से कोई सलाह नहीं ली गई है. उनके पास पर्यावरण मंजूरी नहीं है और पेड़ काटने की मंजूरी अवधि समाप्त होने के बाद भी पेड़ काटे जा रहे हैं.

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में चूक की है और निर्माण कार्य जारी रखने की अनुमति देते हुए कहा कि यह नई सड़क नहीं है, इसलिए किसी नई मंजूरी की आवश्यकता नहीं है. पीठ ने कहा कि वह मामले पर विचार करेगी और मामले की सुनवाई आगे टाल दी है. उच्च न्यायालय ने 30 जुलाई को इन आवास समितियों और निवासियों की याचिका खारिज कर दी थी.

(पीटीआई-भाषा)

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