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चुनाव से पहले मुफ्त चीजें बांटने के वादे को लेकर SC ने केंद्र से मांगा जवाब - भारत चुनाव आयोग न्यूज़

सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के मुफ्त चीजें देने के वादे को लेकर केंद्र से जवाब मांगा है. शीर्ष कोर्ट ने इस संबंध में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से भी राय मांगी है.

Supreme court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jul 26, 2022, 4:54 PM IST

Updated : Jul 26, 2022, 5:23 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा, जिसमें उन राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है जो चुनाव से पहले मुफ्त चीजें देने की पेशकश करते हैं. सीजेआई एनवी रमना, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ भाजपा सदस्य, अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. उपाध्याय ने आज अदालत के समक्ष दलील दी कि चुनाव आयोग के पास इस मुद्दे को हल करने की शक्ति है और वह पार्टियों को इस तरह के वादे करने से रोक सकता है.

चुनाव आयोग के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि पार्टी का घोषणापत्र पार्टी के वादों का एक हिस्सा है. केंद्र इसके लिए कानून ला सकता है. CJI ने कहा 'हम मतदाताओं को रिश्वत देने के लिए मुफ्त चीजें दे रहे हैं. अब अगर आप कहते हैं कि यह आपके अधिकार क्षेत्र में नहीं है तो फिर भारत के चुनाव आयोग का उद्देश्य क्या है?.'

सिब्बल से मांगी राय : केंद्र सरकार के वकील एएसजी केएम नटराज ने कहा कि यह चुनाव आयोग का काम है. CJI की अगुवाई वाली बेंच ने इस मुद्दे पर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की राय मांगी क्योंकि वह खुद एक वरिष्ठ सांसद हैं. सिब्बल ने कहा, 'समाधान मुश्किल है लेकिन समस्या बहुत गंभीर है. जब वित्त आयोग विभिन्न राज्यों को आवंटन करता है, तो उन्हें इसे ध्यान में रखना चाहिए, यह राज्यों का मुफ्त का कर्ज है. केंद्र से निर्देश जारी करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है.'

अदालत ने तब एएसजी केएम नटराज को वित्त आयोग से मामले को देखने के लिए कहने का निर्देश दिया और मामले को 3 अगस्त को फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया. अदालत ने कहा कि 'कृपया देखें कि इस पर बहस कैसे शुरू की जा सकती है.'

पढ़ें- केजरीवाल ने गुजरात में सत्ता में आने पर प्रति माह 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का किया वादा

पढ़ें- चुनावों के दौरान मुफ्त सामान : SC ने याचिकाकर्ता से पूछा सिर्फ चुनिंदा दलों के नाम क्यों?

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा, जिसमें उन राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है जो चुनाव से पहले मुफ्त चीजें देने की पेशकश करते हैं. सीजेआई एनवी रमना, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ भाजपा सदस्य, अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. उपाध्याय ने आज अदालत के समक्ष दलील दी कि चुनाव आयोग के पास इस मुद्दे को हल करने की शक्ति है और वह पार्टियों को इस तरह के वादे करने से रोक सकता है.

चुनाव आयोग के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि पार्टी का घोषणापत्र पार्टी के वादों का एक हिस्सा है. केंद्र इसके लिए कानून ला सकता है. CJI ने कहा 'हम मतदाताओं को रिश्वत देने के लिए मुफ्त चीजें दे रहे हैं. अब अगर आप कहते हैं कि यह आपके अधिकार क्षेत्र में नहीं है तो फिर भारत के चुनाव आयोग का उद्देश्य क्या है?.'

सिब्बल से मांगी राय : केंद्र सरकार के वकील एएसजी केएम नटराज ने कहा कि यह चुनाव आयोग का काम है. CJI की अगुवाई वाली बेंच ने इस मुद्दे पर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की राय मांगी क्योंकि वह खुद एक वरिष्ठ सांसद हैं. सिब्बल ने कहा, 'समाधान मुश्किल है लेकिन समस्या बहुत गंभीर है. जब वित्त आयोग विभिन्न राज्यों को आवंटन करता है, तो उन्हें इसे ध्यान में रखना चाहिए, यह राज्यों का मुफ्त का कर्ज है. केंद्र से निर्देश जारी करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है.'

अदालत ने तब एएसजी केएम नटराज को वित्त आयोग से मामले को देखने के लिए कहने का निर्देश दिया और मामले को 3 अगस्त को फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया. अदालत ने कहा कि 'कृपया देखें कि इस पर बहस कैसे शुरू की जा सकती है.'

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Last Updated : Jul 26, 2022, 5:23 PM IST
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