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सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली सरकार को फटकार, कहा- 'आपके पास विज्ञापन के लिए पैसे हैं, प्रोजेक्ट के लिए नहीं' - Delhi government advertising budget

Supreme Court on Delhi Government : सुप्रीम कोर्ट ने रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम प्रोजेक्ट की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार पर सख्त टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि आपके पास विज्ञापन के लिए तो पैसे उपलब्ध हो जाते हैं, लेकिन प्रोजेक्ट पूरे करने के लिए पैसे नहीं होते हैं.

‘Will stay advertising budget & attach it,’ SC reprimands Delhi govt
सुप्रीम कोर्ट
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By IANS

Published : Nov 21, 2023, 2:27 PM IST

Updated : Nov 21, 2023, 2:49 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) परियोजना के दिल्ली-अलवर और दिल्ली-पानीपत कॉरिडोर के निर्माण के लिए दिल्ली सरकार के विज्ञापन फंड को उसके हिस्से की पूर्ति के लिए संलग्न किया जाए. न्यायमूर्ति एस.के.कौल और सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि यदि दिल्ली सरकार एक सप्ताह की अवधि के भीतर वित्तीय व्यवस्था करने में विफल रहती है तो उपरोक्त आदेश लागू हो जाएगा.

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा, "हम विज्ञापन बजट पर रोक लगाएंगे, इसे संलग्न करेंगे और इसे (आरआरटीएस परियोजना के लिए) यहां ले जाएंगे." अपने आवेदन में आरआरटीएस परियोजना को कार्यान्वित कर रहेे निगम ने कहा कि दिल्ली सरकार ने धन उपलब्ध न कराकर सुप्रीम कोर्ट को पहले दिए गए अपने वचन का उल्लंघन किया है.

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि रैपिड रेल परियोजना "प्रदूषण कम करने की प्रक्रिया का हिस्सा" है और इसका लोगों पर "व्यापक प्रभाव" पड़ता है. इसमें कहा गया कि विज्ञापन के लिए दिल्ली सरकार के बजटीय आवंटन को रैपिड रेल परियोजना में लगाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “आपने अपने वादे का उल्लंघन किया हैै, आप विस्तार मांगने भी नहीं आए.” कोर्ट ने अगली सुनवाई 28 नवंबर को सूचीबद्ध किया है.

इस साल जुलाई में, दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिघवी ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया था कि 415 करोड़ रुपये की बकाया राशि का भुगतान दो महीने के भीतर किया जाएगा. इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने आरआरटीएस परियोजना के निर्माण के लिए धन देने में असमर्थता व्यक्त करने के बाद अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप सरकार से पिछले तीन वित्तीय वर्षों में विज्ञापनों के लिए खर्च किए गए धन का विवरण देने के लिए हलफनामा मांगा था.

शीर्ष अदालत ने सवाल किया था,"यदि आपके पास विज्ञापनों के लिए पैसा है, तो आपके पास उस परियोजना के लिए पैसा क्यों नहीं है, जो सुचारू परिवहन सुनिश्चित करेगी?"दिल्ली सरकार के चालू वित्तीय वर्ष में विज्ञापन बजट 550 करोड़ रुपये है और पिछले तीन वित्तीय वर्षों मे उसने विज्ञापनों पर 1,100 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं.

ये भी पढ़ें : वायु प्रदूषण के लिए SC ने पंजाब को लगाई फटकार, कहा- हरियाणा से सीखें सरकार

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) परियोजना के दिल्ली-अलवर और दिल्ली-पानीपत कॉरिडोर के निर्माण के लिए दिल्ली सरकार के विज्ञापन फंड को उसके हिस्से की पूर्ति के लिए संलग्न किया जाए. न्यायमूर्ति एस.के.कौल और सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि यदि दिल्ली सरकार एक सप्ताह की अवधि के भीतर वित्तीय व्यवस्था करने में विफल रहती है तो उपरोक्त आदेश लागू हो जाएगा.

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा, "हम विज्ञापन बजट पर रोक लगाएंगे, इसे संलग्न करेंगे और इसे (आरआरटीएस परियोजना के लिए) यहां ले जाएंगे." अपने आवेदन में आरआरटीएस परियोजना को कार्यान्वित कर रहेे निगम ने कहा कि दिल्ली सरकार ने धन उपलब्ध न कराकर सुप्रीम कोर्ट को पहले दिए गए अपने वचन का उल्लंघन किया है.

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि रैपिड रेल परियोजना "प्रदूषण कम करने की प्रक्रिया का हिस्सा" है और इसका लोगों पर "व्यापक प्रभाव" पड़ता है. इसमें कहा गया कि विज्ञापन के लिए दिल्ली सरकार के बजटीय आवंटन को रैपिड रेल परियोजना में लगाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “आपने अपने वादे का उल्लंघन किया हैै, आप विस्तार मांगने भी नहीं आए.” कोर्ट ने अगली सुनवाई 28 नवंबर को सूचीबद्ध किया है.

इस साल जुलाई में, दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिघवी ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया था कि 415 करोड़ रुपये की बकाया राशि का भुगतान दो महीने के भीतर किया जाएगा. इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने आरआरटीएस परियोजना के निर्माण के लिए धन देने में असमर्थता व्यक्त करने के बाद अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप सरकार से पिछले तीन वित्तीय वर्षों में विज्ञापनों के लिए खर्च किए गए धन का विवरण देने के लिए हलफनामा मांगा था.

शीर्ष अदालत ने सवाल किया था,"यदि आपके पास विज्ञापनों के लिए पैसा है, तो आपके पास उस परियोजना के लिए पैसा क्यों नहीं है, जो सुचारू परिवहन सुनिश्चित करेगी?"दिल्ली सरकार के चालू वित्तीय वर्ष में विज्ञापन बजट 550 करोड़ रुपये है और पिछले तीन वित्तीय वर्षों मे उसने विज्ञापनों पर 1,100 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं.

ये भी पढ़ें : वायु प्रदूषण के लिए SC ने पंजाब को लगाई फटकार, कहा- हरियाणा से सीखें सरकार

Last Updated : Nov 21, 2023, 2:49 PM IST
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