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यूपीएससी परीक्षा : अतिरिक्त शपथपत्र दाखिल करने पर केंद्र को फटकार - यूपीएससी सिविल सेवा

सुप्रीम कोर्ट ने आज यूपीएससी सिविल सेवा के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए एक अतिरिक्त शपथपत्र दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि जो 2020 में अपने अवसर का उपयोग नहीं कर सके, अब परीक्षा देने के लिए योग्य नहीं हैं.

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Published : Jan 28, 2021, 5:24 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज यूपीएससी सिविल सेवा के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए एक अतिरिक्त शपथपत्र दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को फटकार लगाई, जो कोविड-19 महामारी के कारण 2020 में अपने अवसर का उपयोग नहीं कर सके और अब परीक्षा देने के लिए योग्य नहीं हैं.

न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर की अगुआई वाली पीठ ने आज केंद्र से कहा कि उन्होंने उच्च अधिकारी द्वारा दायर एक हलफनामे को प्राथमिकता दी, क्योंकि यह एक नीतिगत निर्णय है. शपथ पत्र अवर सचिव के माध्यम से दायर किया गया था.

पीठ ने कहा, क्या यह एक नियमित हलफनामा है. क्या आपको ऐसा करना है? आपको कुछ ऐसा पेश करना चाहिए, जो प्रस्तुत करने योग्य हो. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार अभ्यर्थियों के मामले में कोई स्पष्टता नहीं दी गई. जबकि पहले की सुनवाई में केंद्र ने पहले अदालत को सूचित किया था कि वे उम्मीदवारों के अनुरोध पर विचार कर रहे हैं, लेकिन बाद में कहा कि उम्मीदवारों को अतिरिक्त मौका नहीं दे सकते हैं.

पढ़ेंः सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी, केंद्र को कहा- आपने आंखें क्यों मूंद रखी हैं

गौरतलब है कि यूपीएससी सिविल सेवा के उम्मीदवारों का एक समूह अतिरिक्त मौके की राहत पाने के लिए शीर्ष अदालत में चला गया था. इनका कहना था कि कोविड-19 महामारी की वजह से वह 2020 में अच्छी तरह से तैयार नहीं थे. लेकिन उन्हें परीक्षा देने के लिए मजबूर किया गया, जबकि यह उनका आखिरी मौका था. परीक्षा के लिए आयु और परीक्षा देने के अवसर सीमित हैं. इसी को लेकर कुछ उम्मीदवारों ने राहत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज यूपीएससी सिविल सेवा के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए एक अतिरिक्त शपथपत्र दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार को फटकार लगाई, जो कोविड-19 महामारी के कारण 2020 में अपने अवसर का उपयोग नहीं कर सके और अब परीक्षा देने के लिए योग्य नहीं हैं.

न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर की अगुआई वाली पीठ ने आज केंद्र से कहा कि उन्होंने उच्च अधिकारी द्वारा दायर एक हलफनामे को प्राथमिकता दी, क्योंकि यह एक नीतिगत निर्णय है. शपथ पत्र अवर सचिव के माध्यम से दायर किया गया था.

पीठ ने कहा, क्या यह एक नियमित हलफनामा है. क्या आपको ऐसा करना है? आपको कुछ ऐसा पेश करना चाहिए, जो प्रस्तुत करने योग्य हो. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार अभ्यर्थियों के मामले में कोई स्पष्टता नहीं दी गई. जबकि पहले की सुनवाई में केंद्र ने पहले अदालत को सूचित किया था कि वे उम्मीदवारों के अनुरोध पर विचार कर रहे हैं, लेकिन बाद में कहा कि उम्मीदवारों को अतिरिक्त मौका नहीं दे सकते हैं.

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गौरतलब है कि यूपीएससी सिविल सेवा के उम्मीदवारों का एक समूह अतिरिक्त मौके की राहत पाने के लिए शीर्ष अदालत में चला गया था. इनका कहना था कि कोविड-19 महामारी की वजह से वह 2020 में अच्छी तरह से तैयार नहीं थे. लेकिन उन्हें परीक्षा देने के लिए मजबूर किया गया, जबकि यह उनका आखिरी मौका था. परीक्षा के लिए आयु और परीक्षा देने के अवसर सीमित हैं. इसी को लेकर कुछ उम्मीदवारों ने राहत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था.

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