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सुल्ली डील्स ऐप के मास्टरमाइंड की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तीन राज्यों को जारी किया नोटिस - सुल्ली डील्स ऐप के मास्टरमाइंड की याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने सुल्ली डील ऐप मामले के मास्टरमाइंड ओंकारेश्वर ठाकुर की याचिका पर तीन राज्यों को नोटिस जारी किया है. कोर्ट इस मामले में तीन सप्ताह के बाद सुनवाई करेगा.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Aug 12, 2022, 3:58 PM IST

Updated : Aug 12, 2022, 10:29 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में दर्ज प्राथमिकियों को दिल्ली में दर्ज पहली प्राथमिकी के साथ जोड़ने की मांग करने वाली सुल्ली डील्स ऐप के कथित निर्माता सह आरोपी की याचिका पर सुनवाई करने के लिए शुक्रवार को सहमत हो गया. जुलाई 2021 में दिल्ली पुलिस ने एक प्राथमिकी दर्ज की थी और यह आरोप लगाया था कि इंटरनेट के एक मंच 'गिटहब' पर 'सुल्ली डील ऑफ द डे' नाम का एक प्रोग्राम तैयार किया गया, जहां कई मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें उनकी सहमति के बगैर कथित तौर पर ऑनलाइन नीलामी के लिए अपलोड कर दी गईं. सुप्रीम कोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई तीन हफ्ते के बाद होगी.

बाद में इस साल जनवरी में, दिल्ली पुलिस ने 'बुल्लीबाई' ऐप के सिलसिले में एक और प्राथमिकी दर्ज की और आरोप लगाया गया कि ऐप की सामग्री का उद्देश्य मुस्लिम महिलाओं का अपमान करना था. शीर्ष न्यायालय ने ओमकारेश्वर ठाकुर नाम के व्यक्ति की याचिका पर दिल्ली, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से जवाब मांगा है. ठाकुर ने सुल्ली डील्स ऐप से संबंधित उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र में दर्ज प्राथमिकियां या इस संबंध में देश में दायर किसी अन्य शिकायत को रद्द करने की मांग की है.

इस मामले में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एसके कौल (Justice SK Kaul) और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश (Justice MM Sundresh) की पीठ ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि कई अपराध किए गए हैं, क्योंकि कई अपलोड किए गए थे तथा जिन लोगों की तस्वीरें अपलोड की गईं, वे पीड़ित पक्ष हैं. पीठ ने कहा कि वह इन प्राथमिकियों के संबंध में चल रही किसी भी जांच पर रोक नहीं लगाएगी. पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी किया और इसकी सुनवाई तीन हफ्ते बाद के लिए निर्धारित कर दी.

वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव शर्मा के जरिए दायर याचिका में ठाकुर ने कहा कि सुल्ली डील्स ऐप के सिलसिले में एक ही घटना को लेकर आरोपी के खिलाफ विभिन्न राज्यों में कई प्राथमिकियां और शिकायतें दर्ज की गई हैं. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में दर्ज की गई प्राथमिकियां दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 और 156 के दायरे से बाहर हैं तथा यह मामला विभिन्न जांच एजेंसियों की जांच की वैधानिक शक्तियों के दुरुपयोग को प्रदर्शित करता है.

ये भी पढ़ें - सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से कहा, दो हफ्ते में बताएं हज समितियों का गठन किया या नहीं

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में दर्ज प्राथमिकियों को दिल्ली में दर्ज पहली प्राथमिकी के साथ जोड़ने की मांग करने वाली सुल्ली डील्स ऐप के कथित निर्माता सह आरोपी की याचिका पर सुनवाई करने के लिए शुक्रवार को सहमत हो गया. जुलाई 2021 में दिल्ली पुलिस ने एक प्राथमिकी दर्ज की थी और यह आरोप लगाया था कि इंटरनेट के एक मंच 'गिटहब' पर 'सुल्ली डील ऑफ द डे' नाम का एक प्रोग्राम तैयार किया गया, जहां कई मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें उनकी सहमति के बगैर कथित तौर पर ऑनलाइन नीलामी के लिए अपलोड कर दी गईं. सुप्रीम कोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई तीन हफ्ते के बाद होगी.

बाद में इस साल जनवरी में, दिल्ली पुलिस ने 'बुल्लीबाई' ऐप के सिलसिले में एक और प्राथमिकी दर्ज की और आरोप लगाया गया कि ऐप की सामग्री का उद्देश्य मुस्लिम महिलाओं का अपमान करना था. शीर्ष न्यायालय ने ओमकारेश्वर ठाकुर नाम के व्यक्ति की याचिका पर दिल्ली, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से जवाब मांगा है. ठाकुर ने सुल्ली डील्स ऐप से संबंधित उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र में दर्ज प्राथमिकियां या इस संबंध में देश में दायर किसी अन्य शिकायत को रद्द करने की मांग की है.

इस मामले में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एसके कौल (Justice SK Kaul) और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश (Justice MM Sundresh) की पीठ ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि कई अपराध किए गए हैं, क्योंकि कई अपलोड किए गए थे तथा जिन लोगों की तस्वीरें अपलोड की गईं, वे पीड़ित पक्ष हैं. पीठ ने कहा कि वह इन प्राथमिकियों के संबंध में चल रही किसी भी जांच पर रोक नहीं लगाएगी. पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी किया और इसकी सुनवाई तीन हफ्ते बाद के लिए निर्धारित कर दी.

वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव शर्मा के जरिए दायर याचिका में ठाकुर ने कहा कि सुल्ली डील्स ऐप के सिलसिले में एक ही घटना को लेकर आरोपी के खिलाफ विभिन्न राज्यों में कई प्राथमिकियां और शिकायतें दर्ज की गई हैं. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में दर्ज की गई प्राथमिकियां दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 154 और 156 के दायरे से बाहर हैं तथा यह मामला विभिन्न जांच एजेंसियों की जांच की वैधानिक शक्तियों के दुरुपयोग को प्रदर्शित करता है.

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Last Updated : Aug 12, 2022, 10:29 PM IST
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