नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान कर्जदारों के सामने आईं वित्तीय मुश्किलों पर ध्यान देते हुए कुछ उपाय निकालने के अनुरोध वाली याचिका पर निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया और कहा कि यह नीतिगत फैसले के दायरे में आता है.
बता दें शीर्ष अदालत ने कहा, सरकार को कई काम करने होते हैं. उन्हें टीके पर धन खर्च करना है, उन्हें प्रवासी श्रमिकों पर धन खर्च करना है. हम ऐसे नहीं कर सकते. उसने कहा कि इस विषय पर विचार केंद्र और रिजर्व बैंक को करना है. न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने याचिका दायर करने वाले वकील विशाल तिवारी से कहा, यह सब नीतिगत निर्णय के दायरे में आता है. इन मुद्दों के आर्थिक प्रभाव होते हैं और हम इसके विशेषज्ञ नहीं हैं.
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शीर्ष अदालत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि महामारी की दूसरी लहर और लॉकडाउन के दौरान ऋण लेने वालों के सामने आई मुश्किलों और आर्थिक तनाव से उबारने के लिए प्रभावी उपाय किए जाएं जिनमें कर्ज में ताजा छूट देना शामिल है.