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SC ने ताज महल संबंधी याचिका खारिज करते हुए कहा, हम यहां इतिहास खंगालने के लिए नहीं हैं - mumtaz mahal

सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल का वास्तविक इतिहास जानने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया. दो न्यायधीशों की खंडपीठ ने कहा कि मामले को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सामने उठाने के लिए कहा.

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Published : Dec 5, 2022, 12:06 PM IST

Updated : Dec 5, 2022, 3:24 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने इतिहास की किताबों से ताज महल के निर्माण से संबंधित कथित गलत ऐतिहासिक तथ्यों को हटाने और स्मारक कितने साल पुराना है यह पता लगाने संबंधी याचिका पर सुनवाई करने से सोमवार को इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की एक पीठ ने याचिकाकर्ता से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के समक्ष यह मामला उठाने को कहा.

पीठ ने कहा, 'याचिका का मतलब लंबित जांच-पड़ताल पूरी करना नहीं है. हम यहां इतिहास खंगालने के लिए नहीं हैं. इतिहास को कायम रहने दें। रिट याचिका वापस ले ली गई है इसलिए उसे खारिज किया जाता है. याचिकाकर्ता चाहे तो एएसआई के समक्ष मामला उठा सकता है. हमने इसके गुण-दोष को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है.' शीर्ष अदालत सुरजीत सिंह यादव द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र को ताजमहल के निर्माण से संबंधित कथित गलत ऐतिहासिक तथ्यों को इतिहास की किताबों व पाठ्यपुस्तकों से हटाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

याचिका में एएसआई को ताजमहल कितने साल पुराना है यह पता लगाने का निर्देश देने का अनुरोध भी किया गया है. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि उनके शोध से पता चलता है कि उस जगह पर पहले से ही एक शानदार हवेली मौजूद थी जहां मुगल बादशाह शाहजहां की पत्नी मुमताज महल के शव को दफनाया गया.

याचिका में कहा गया 'यह बेहद अजीब है कि शाहजहां के सभी दरबारी इतिहासकारों ने इस शानदार मकबरे के वास्तुकार के नाम का उल्लेख क्यों नहीं किया. यह स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि राजा मान सिंह की हवेली को ध्वस्त नहीं किया गया था, बल्कि ताजमहल के वर्तमान स्वरूप को बनाने के लिए हवेली को केवल संशोधित और पुनर्निर्मित किया गया था. यही कारण है कि शाहजहाँ के दरबारी इतिहासकारों के खातों में किसी भी वास्तुकार का उल्लेख नहीं है.' ताज महल 17वीं शताब्दी का स्मारक है, जिसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है.

ये भी पढ़ें - जबरन धर्मांतरण पर रोक की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में नया आवेदन

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने इतिहास की किताबों से ताज महल के निर्माण से संबंधित कथित गलत ऐतिहासिक तथ्यों को हटाने और स्मारक कितने साल पुराना है यह पता लगाने संबंधी याचिका पर सुनवाई करने से सोमवार को इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की एक पीठ ने याचिकाकर्ता से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के समक्ष यह मामला उठाने को कहा.

पीठ ने कहा, 'याचिका का मतलब लंबित जांच-पड़ताल पूरी करना नहीं है. हम यहां इतिहास खंगालने के लिए नहीं हैं. इतिहास को कायम रहने दें। रिट याचिका वापस ले ली गई है इसलिए उसे खारिज किया जाता है. याचिकाकर्ता चाहे तो एएसआई के समक्ष मामला उठा सकता है. हमने इसके गुण-दोष को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है.' शीर्ष अदालत सुरजीत सिंह यादव द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्र को ताजमहल के निर्माण से संबंधित कथित गलत ऐतिहासिक तथ्यों को इतिहास की किताबों व पाठ्यपुस्तकों से हटाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

याचिका में एएसआई को ताजमहल कितने साल पुराना है यह पता लगाने का निर्देश देने का अनुरोध भी किया गया है. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि उनके शोध से पता चलता है कि उस जगह पर पहले से ही एक शानदार हवेली मौजूद थी जहां मुगल बादशाह शाहजहां की पत्नी मुमताज महल के शव को दफनाया गया.

याचिका में कहा गया 'यह बेहद अजीब है कि शाहजहां के सभी दरबारी इतिहासकारों ने इस शानदार मकबरे के वास्तुकार के नाम का उल्लेख क्यों नहीं किया. यह स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि राजा मान सिंह की हवेली को ध्वस्त नहीं किया गया था, बल्कि ताजमहल के वर्तमान स्वरूप को बनाने के लिए हवेली को केवल संशोधित और पुनर्निर्मित किया गया था. यही कारण है कि शाहजहाँ के दरबारी इतिहासकारों के खातों में किसी भी वास्तुकार का उल्लेख नहीं है.' ताज महल 17वीं शताब्दी का स्मारक है, जिसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है.

ये भी पढ़ें - जबरन धर्मांतरण पर रोक की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में नया आवेदन

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Dec 5, 2022, 3:24 PM IST
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