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वन्नियार आरक्षण संबंधी आदेश के खिलाफ अपील बड़ी पीठ को सौंपने से SC का इनकार - सुप्रीम कोर्ट मे वनियार आरक्षण का मामला

तमिलनाडु में सबसे पिछड़े समुदायों (एमबीसी) में से एक वन्नियार (Vanniyar community of Tamil Nadu) को नौकरी और दाखिले में आरक्षण का मामला बड़ी पीठ को सौंपने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है.

SC
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Feb 16, 2022, 4:53 PM IST

Updated : Feb 16, 2022, 7:58 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) के उस आदेश के खिलाफ विभिन्न अपीलों को एक बड़ी पीठ को सौंपने से इनकार कर दिया जिसमें तमिलनाडु में सबसे पिछड़े समुदायों (एमबीसी) में से एक वन्नियार को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के लिए दिए गए 10.5 प्रतिशत आरक्षण को रद्द कर दिया था.

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने कहा कि उसने सौंपे गए निर्णयों पर गौर किया है और उसका मानना है कि इस मुद्दे पर किसी बड़ी पीठ द्वारा विचार करने की आवश्यकता नहीं है. पीठ ने कहा, 'हम मामले को किसी बड़ी पीठ के पास भेजने की दलील के पक्ष में नहीं हैं, आप अपनी दलीलें शुरू कर सकते हैं.'

इससे पहले मंगलवार को, सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि वह मामले के गुण-दोष पर विचार किए बिना मामले को बड़ी पीठ को सौंपने के मुद्दे पर पहले फैसला करेगी.

तमिलनाडु की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने मंगलवार को कहा था कि इस मामले में संवैधानिक मुद्दे भी जुड़े हैं और इस पर किसी बड़ी पीठ द्वारा विचार किए जाने की जरूरत है.

सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश दिया था
सर्वोच्च न्यायालय ने पहले दलीलों पर गौर करने के लिए सहमति जताई थी और कहा था कि इस आरक्षण के तहत पहले से दिए गए प्रवेश या नियुक्तियों को बाधित नहीं किया जाएगा. न्यायालय ने आगे निर्देश दिया था कि मामले में सुनवाई की अगली तारीख 15 फरवरी तक राज्य सरकार की सेवाओं में कोई नई नियुक्ति या या शैक्षणिक संस्थानों में नया प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए.

न्यायालय तमिलनाडु राज्य, पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) और अन्य द्वारा दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था जिसमें वन्नियार समुदाय को दिए गए आरक्षण को रद्द करने के उच्च न्यायालय के एक नवंबर, 2021 के फैसले को चुनौती दी गई है.

पढ़ें- तमिलनाडु आरक्षण मामला : स्टालिन ने की पलानीस्वामी की खिंचाई

पढ़ें- तमिलनाडु मेडिकल कॉलेज दाखिला : EWS कोटा पर रोक, ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) के उस आदेश के खिलाफ विभिन्न अपीलों को एक बड़ी पीठ को सौंपने से इनकार कर दिया जिसमें तमिलनाडु में सबसे पिछड़े समुदायों (एमबीसी) में से एक वन्नियार को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के लिए दिए गए 10.5 प्रतिशत आरक्षण को रद्द कर दिया था.

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने कहा कि उसने सौंपे गए निर्णयों पर गौर किया है और उसका मानना है कि इस मुद्दे पर किसी बड़ी पीठ द्वारा विचार करने की आवश्यकता नहीं है. पीठ ने कहा, 'हम मामले को किसी बड़ी पीठ के पास भेजने की दलील के पक्ष में नहीं हैं, आप अपनी दलीलें शुरू कर सकते हैं.'

इससे पहले मंगलवार को, सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि वह मामले के गुण-दोष पर विचार किए बिना मामले को बड़ी पीठ को सौंपने के मुद्दे पर पहले फैसला करेगी.

तमिलनाडु की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने मंगलवार को कहा था कि इस मामले में संवैधानिक मुद्दे भी जुड़े हैं और इस पर किसी बड़ी पीठ द्वारा विचार किए जाने की जरूरत है.

सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश दिया था
सर्वोच्च न्यायालय ने पहले दलीलों पर गौर करने के लिए सहमति जताई थी और कहा था कि इस आरक्षण के तहत पहले से दिए गए प्रवेश या नियुक्तियों को बाधित नहीं किया जाएगा. न्यायालय ने आगे निर्देश दिया था कि मामले में सुनवाई की अगली तारीख 15 फरवरी तक राज्य सरकार की सेवाओं में कोई नई नियुक्ति या या शैक्षणिक संस्थानों में नया प्रवेश नहीं दिया जाना चाहिए.

न्यायालय तमिलनाडु राज्य, पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) और अन्य द्वारा दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था जिसमें वन्नियार समुदाय को दिए गए आरक्षण को रद्द करने के उच्च न्यायालय के एक नवंबर, 2021 के फैसले को चुनौती दी गई है.

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पढ़ें- तमिलनाडु मेडिकल कॉलेज दाखिला : EWS कोटा पर रोक, ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण

Last Updated : Feb 16, 2022, 7:58 PM IST
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