नई दिल्ली : कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि अडाणी मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रथम दृष्टया नियमों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है, यह 'अनुमानित' था और इसे क्लीन चिट करार देने का कोई भी प्रयास 'फर्जी' था.
कांग्रेस नेताओं के अनुसार, अडाणी मामले में सेबी की निगरानी की जांच में एससी पैनल की एक सीमित भूमिका थी एक पूर्ण पैमाने पर जांच केवल एक संयुक्त संसदीय समिति द्वारा की जा सकती थी.
AICC की सोशल मीडिया प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत (Supriya Shrinate) ने ईटीवी भारत को बताया, 'एससी समिति के संदर्भ की शर्तें बहुत संकीर्ण थीं और केवल नियामक ढांचे तक ही सीमित थीं. यही वजह है कि हम मांग करते रहे हैं कि केवल जेपीसी ही सभी मुद्दों पर गौर कर सकती है.'
उन्होंने कहा कि 'शीर्ष अदालत ने जो तीन-चार बातें कहीं हैं, वे बहुत महत्वपूर्ण हैं. पहला यह कि हमें नहीं पता कि एफपीआई के पास पैसा कहां से आ रहा है जो हमें इस सवाल पर लाता है कि अडाणी समूह में 20,000 करोड़ रुपये कहां से आए. हम इस मुद्दे को लंबे समय से उठा कर रहे हैं. दूसरा, अदालत ने पाया कि कुछ शेयरधारक पूरी तरह से शेयरधारक नहीं हैं और इस कंपनी के प्रवर्तक हो सकते हैं.'
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि तीसरा अडाणी समूह से जुड़े 13 विदेशी फंड हैं जो शेल कंपनियों का मुद्दा उठाते हैं. इसके अलावा, अदालत ने कहा कि एलआईसी अडाणी सिक्योरिटीज का सबसे बड़ा शुद्ध खरीदार था और उसने 1,031 रुपये से लेकर 3,859 रुपये की कीमत तक 4.8 करोड़ शेयर खरीदे. जब कीमतें बढ़ रही थीं तो भारतीय जीवन बीमा निगम अडाणी समूह के शेयर क्यों खरीद रहा था. हमारी रिसर्च कहती है कि एलआईसी इन शेयरों को एनटीपीसी और पावर ग्रिड को बेचकर खरीद रही थी. इसे किसने कमीशन किया.'
AICC के रिसर्चर अमिताभ दुबे के अनुसार, 'एससी पैनल की रिपोर्ट क्लीन चिट नहीं है बल्कि केवल नो चिट है. रिपोर्ट में कहा गया है कि हम कुछ भी साबित नहीं कर सके इसलिए हम यह नहीं कह सकते कि कोई गलती हुई थी या नहीं.'
दुबे ने कहा कि 'पीएम मोदी ने इससे पहले जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. लेकिन इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी ने 2018 में अपने ही नियमों में बदलाव किया, जिससे कंपनी के अंतिम लाभार्थी मालिकों का पता लगाना मुश्किल हो गया. जब जांच शुरू हुई तो सेबी का कहना है कि नियम बदल दिया गया था और अब जांच हो रही है इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग या राउंड ट्रिपिंग की सीमा का पता लगाना मुश्किल है.सेबी का कहना है कि जांच जारी है. इसलिए सरकार को बताना चाहिए कि सेबी के नियम क्यों बदले गए. सुप्रीम कोर्ट का पैनल यह नहीं बता सकता कि पीएम मोदी ने हवाईअड्डों, कोयला ब्लॉकों के आवंटन में अडाणी समूह को कैसे लाभ पहुंचाया.'
कांग्रेस के संचार प्रभारी जयराम रमेश के अनुसार, 'एससी समिति की रिपोर्ट के निष्कर्ष पूर्वाग्रह थे और पैनल की रिपोर्ट को स्पिन करने के लिए अपनी सभी सीमाओं के साथ अडाणी समूह को क्लीन चिट देना पूरी तरह से 'फर्जी' है.'
उन्होंने कहा कि 'सेबी खुद को इस बात से संतुष्ट नहीं कर पा रहा है कि एफपीआई को फंड देने वाले अडाणी से जुड़े नहीं हैं. मोदी सरकार के शेखी बघारने के विपरीत, समिति ने पाया है कि विनियम अपारदर्शिता की दिशा में चले गए हैं.'