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SC ने आजम की जमानत की शर्त से जुड़े HC के आदेश को किया दरकिनार

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जौहर विश्वविद्यालय परिसर से जुड़ी जमीन पर कब्जा करने का निर्देश देने वाली जमानत की शर्त को खारिज कर दिया.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jul 22, 2022, 9:09 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक आजम खान पर लगाई गई जमानत की शर्तों से संबंधित इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के एक हिस्से को शुक्रवार को दरकिनार कर दिया. आदेश में रामपुर के जिलाधिकारी को जौहर विश्वविद्यालय परिसर से जुड़ी जमीन को कब्जे में लेने के निर्देश दिए गए थे. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह 'इस प्रवृत्ति को लेकर परेशान' है, जहां उच्च न्यायालय ने एक ऐसे मामले का संदर्भ दिया जो जमानत के लिए प्रार्थना पर विचार करने से संबंधित नहीं है. न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने उच्च न्यायालय द्वारा जिलाधिकारी को जमीन को कब्जे में लेने का निर्देश देने वाली जमानत की शर्त को निरस्त करते हुए खान की जमानत से संबंधित अन्य शर्तों को बरकरार रखा.

खान जौहर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं. पीठ ने कहा, 'यह एक और मामला है, जहां हम पाते हैं कि उच्च न्यायालय ने उन मामलों का संदर्भ दिया जो संबंधित आरोपी के खिलाफ दर्ज अपराध से जुड़ी जमानत के लिए प्रार्थना पर विचार से संबंधित नहीं हैं.' पीठ ने कहा कि राज्य की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने अदालत से अतिरिक्त शर्तें लगाने का आग्रह किया है कि खान को जमानत अवधि के दौरान रामपुर जिले में प्रवेश करने से परहेज करने का निर्देश दिया जाए. पीठ ने कहा, 'हम इस दलील से संतुष्ट नहीं हैं.'

शीर्ष अदालत ने कहा कि अधिकारियों ने उच्च न्यायालय के फैसले में की गई टिप्पणियों पर कार्रवाई करते हुए कुछ परिसरों को सील करने सहित विभिन्न कार्रवाई शुरू की थी.' पीठ ने कहा, 'राजस्व अधिकारियों या राज्य के अधिकारियों द्वारा 10 मई, 2022 के जमानत आदेश में की गई टिप्पणियों के संदर्भ में की गई सभी कार्रवाइयों को रिकॉर्ड से हटाया हुआ माना जाए.'

हालांकि, पीठ ने कहा कि यह आदेश सक्षम प्राधिकारी को विश्वविद्यालय के प्रबंधन और संपत्तियों के संबंध में अन्य सामग्री, दस्तावेजों, या संबंधित कानून के तहत कार्रवाई शुरू करने के लिए उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर स्वतंत्र रूप से कार्रवाई शुरू करने से नहीं रोकेगा. पीठ ने कहा, 'हम 18 मई 2022 के आदेश के संबंध में संयुक्त मजिस्ट्रेट/उप जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश देते हैं कि संबंधित आदेश में संदर्भित संपत्ति को सील मुक्त करने के लिए तत्काल कदम उठाएं.'

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के 10 मई के आदेश के खिलाफ खान द्वारा दायर अपील सहित सभी अर्जियों का निपटारा कर दिया. शीर्ष अदालत की अवकाशकालीन पीठ ने 27 मई को खान पर लगाई गई जमानत की शर्त पर रोक लगा दी थी, जिसमें जिलाधिकारी को जौहर विश्वविद्यालय परिसर से जुड़ी जमीन पर कब्जा करने का निर्देश दिया गया था. पीठ ने कहा था कि प्रथमदृष्टया खान पर लगाई गई जमानत की शर्त असंगत थी और एक दीवानी अदालत के फरमान की तरह लगती है.

पढ़ें- Azam Khan Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट की जमानत शर्तों पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक आजम खान पर लगाई गई जमानत की शर्तों से संबंधित इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के एक हिस्से को शुक्रवार को दरकिनार कर दिया. आदेश में रामपुर के जिलाधिकारी को जौहर विश्वविद्यालय परिसर से जुड़ी जमीन को कब्जे में लेने के निर्देश दिए गए थे. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह 'इस प्रवृत्ति को लेकर परेशान' है, जहां उच्च न्यायालय ने एक ऐसे मामले का संदर्भ दिया जो जमानत के लिए प्रार्थना पर विचार करने से संबंधित नहीं है. न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने उच्च न्यायालय द्वारा जिलाधिकारी को जमीन को कब्जे में लेने का निर्देश देने वाली जमानत की शर्त को निरस्त करते हुए खान की जमानत से संबंधित अन्य शर्तों को बरकरार रखा.

खान जौहर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं. पीठ ने कहा, 'यह एक और मामला है, जहां हम पाते हैं कि उच्च न्यायालय ने उन मामलों का संदर्भ दिया जो संबंधित आरोपी के खिलाफ दर्ज अपराध से जुड़ी जमानत के लिए प्रार्थना पर विचार से संबंधित नहीं हैं.' पीठ ने कहा कि राज्य की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने अदालत से अतिरिक्त शर्तें लगाने का आग्रह किया है कि खान को जमानत अवधि के दौरान रामपुर जिले में प्रवेश करने से परहेज करने का निर्देश दिया जाए. पीठ ने कहा, 'हम इस दलील से संतुष्ट नहीं हैं.'

शीर्ष अदालत ने कहा कि अधिकारियों ने उच्च न्यायालय के फैसले में की गई टिप्पणियों पर कार्रवाई करते हुए कुछ परिसरों को सील करने सहित विभिन्न कार्रवाई शुरू की थी.' पीठ ने कहा, 'राजस्व अधिकारियों या राज्य के अधिकारियों द्वारा 10 मई, 2022 के जमानत आदेश में की गई टिप्पणियों के संदर्भ में की गई सभी कार्रवाइयों को रिकॉर्ड से हटाया हुआ माना जाए.'

हालांकि, पीठ ने कहा कि यह आदेश सक्षम प्राधिकारी को विश्वविद्यालय के प्रबंधन और संपत्तियों के संबंध में अन्य सामग्री, दस्तावेजों, या संबंधित कानून के तहत कार्रवाई शुरू करने के लिए उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर स्वतंत्र रूप से कार्रवाई शुरू करने से नहीं रोकेगा. पीठ ने कहा, 'हम 18 मई 2022 के आदेश के संबंध में संयुक्त मजिस्ट्रेट/उप जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश देते हैं कि संबंधित आदेश में संदर्भित संपत्ति को सील मुक्त करने के लिए तत्काल कदम उठाएं.'

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के 10 मई के आदेश के खिलाफ खान द्वारा दायर अपील सहित सभी अर्जियों का निपटारा कर दिया. शीर्ष अदालत की अवकाशकालीन पीठ ने 27 मई को खान पर लगाई गई जमानत की शर्त पर रोक लगा दी थी, जिसमें जिलाधिकारी को जौहर विश्वविद्यालय परिसर से जुड़ी जमीन पर कब्जा करने का निर्देश दिया गया था. पीठ ने कहा था कि प्रथमदृष्टया खान पर लगाई गई जमानत की शर्त असंगत थी और एक दीवानी अदालत के फरमान की तरह लगती है.

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