ETV Bharat / bharat

Gautam Adani ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा, 'सचाई की जीत होगी' - हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने आज हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडाणी ग्रुप पर लगाए गए आरोपों की जांच के निर्देश दिये और जांच समिति गठन का भी आदेश दिया. शीर्ष अदालत के इस फैसले का गौतम अडाणी ने स्वागत किया है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Mar 2, 2023, 4:52 PM IST

नई दिल्ली : संकट में फंसे उद्योगपति गौतम अडाणी ने उच्चतम न्यायालय के हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में समूह पर लगाए गए आरोपों की समयबद्ध जांच के आदेश का स्वागत किया है. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने समूह की कंपनियों के शेयरों में आई हालिया गिरावट की जांच के लिए समिति के गठन का भी आदेश दिया है. इसपर अपनी प्रतिक्रिया में अडाणी ने गुरुवार को कहा कि इससे चीजें स्पष्ट होंगी और 'सचाई की जीत' होगी. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के आदेश के बाद अडाणी ने ट्वीट किया, 'अडाणी समूह उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करता है. इससे चीजें समयबद्ध तरीके से अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचेंगी. सचाई की जीत होगी.'

बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने शेयर बाजारों के विभिन्न नियामकीय पहलुओं के साथ अडाणी कंपनीज के शेयरों में गिरावट की जांच के लिए समिति के गठन का निर्देश दिया है. शीर्ष अदालत ने गुरुवार को भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) को हिंडनबर्ग के अडाणी समूह पर आरोपों को लेकर दो माह में जांच पूरी करने का निर्देश दिया है. शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश ए एम सप्रे की अगुवाई में बनी जांच समिति में उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ओ पी भट और न्यायमूर्ति जे पी देवदत्त भी छह समिति के सदस्य होंगे. समिति के अन्य सदस्यों में नंदन नीलेकणि, के वी कामत, सोमशेखरन सुंदरसन शामिल हैं.

अडाणी मामले में जानें, कौन हैं SC द्वारा नियुक्ति समिति के सदस्य

अडाणी समूह के संबंध में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट और समूह के शेयरों में गिरावट के मामले में जांच के निगरानी के लिए गठित समिति के प्रमुख उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए एम सप्रे हैं. जस्टिस सप्रे मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं और 13 अगस्त, 2014 को उन्हें प्रोन्नत कर उच्चतम न्यायालय में भेजा गया था. वह 27 अगस्त, 2019 तक सेवा में थे. उच्चतम न्यायालय ने जांच के लिए बृहस्पतिवार को जस्टिस सप्रे की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति के गठन का फैसला किया और समिति से दो महीने के अंदर सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट जमा करने को कहा.

समिति के अन्य सदस्यों में भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व अध्यक्ष ओ पी भट्ट हैं. वह इस समय तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी), टाटा स्टील लिमिटेड और हिंदुस्तान यूनीलीवर के निदेशक मंडल में हैं. बंबई उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जे पी देवधर समिति के तीसरे सदस्य हैं. वह प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी रहे हैं. समिति के अन्य सदस्य के वी कामत ब्रिक्स देशों के न्यू डवलपमेंट बैंक के पूर्व प्रमुख हैं. वह इन्फोसिस के अध्यक्ष भी रहे हैं. समिति के पांचवें सदस्य नंदन नीलेकणी इन्फोसिस के सह-संस्थापक हैं. उन्होंने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) का नेतृत्व भी किया था.

पढ़ें : Adani-Hindenburg report : SC ने शेयरों में गिरावट की जांच के लिए समिति बनाई

समिति के छठे सदस्य वकील सोमाशेखरन सुंदरेशन हैं जो प्रतिभूति और नियामक विशेषज्ञ हैं. उनके नाम की सिफारिश हाल में बंबई उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाने के लिहाज से केंद्र को भेजी गयी थी. केंद्र की आपत्ति के बाद उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के लिए उनका नाम दोहराया था.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : संकट में फंसे उद्योगपति गौतम अडाणी ने उच्चतम न्यायालय के हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में समूह पर लगाए गए आरोपों की समयबद्ध जांच के आदेश का स्वागत किया है. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने समूह की कंपनियों के शेयरों में आई हालिया गिरावट की जांच के लिए समिति के गठन का भी आदेश दिया है. इसपर अपनी प्रतिक्रिया में अडाणी ने गुरुवार को कहा कि इससे चीजें स्पष्ट होंगी और 'सचाई की जीत' होगी. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ के आदेश के बाद अडाणी ने ट्वीट किया, 'अडाणी समूह उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करता है. इससे चीजें समयबद्ध तरीके से अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचेंगी. सचाई की जीत होगी.'

बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने शेयर बाजारों के विभिन्न नियामकीय पहलुओं के साथ अडाणी कंपनीज के शेयरों में गिरावट की जांच के लिए समिति के गठन का निर्देश दिया है. शीर्ष अदालत ने गुरुवार को भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) को हिंडनबर्ग के अडाणी समूह पर आरोपों को लेकर दो माह में जांच पूरी करने का निर्देश दिया है. शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश ए एम सप्रे की अगुवाई में बनी जांच समिति में उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ओ पी भट और न्यायमूर्ति जे पी देवदत्त भी छह समिति के सदस्य होंगे. समिति के अन्य सदस्यों में नंदन नीलेकणि, के वी कामत, सोमशेखरन सुंदरसन शामिल हैं.

अडाणी मामले में जानें, कौन हैं SC द्वारा नियुक्ति समिति के सदस्य

अडाणी समूह के संबंध में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट और समूह के शेयरों में गिरावट के मामले में जांच के निगरानी के लिए गठित समिति के प्रमुख उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए एम सप्रे हैं. जस्टिस सप्रे मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं और 13 अगस्त, 2014 को उन्हें प्रोन्नत कर उच्चतम न्यायालय में भेजा गया था. वह 27 अगस्त, 2019 तक सेवा में थे. उच्चतम न्यायालय ने जांच के लिए बृहस्पतिवार को जस्टिस सप्रे की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति के गठन का फैसला किया और समिति से दो महीने के अंदर सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट जमा करने को कहा.

समिति के अन्य सदस्यों में भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व अध्यक्ष ओ पी भट्ट हैं. वह इस समय तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी), टाटा स्टील लिमिटेड और हिंदुस्तान यूनीलीवर के निदेशक मंडल में हैं. बंबई उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जे पी देवधर समिति के तीसरे सदस्य हैं. वह प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी रहे हैं. समिति के अन्य सदस्य के वी कामत ब्रिक्स देशों के न्यू डवलपमेंट बैंक के पूर्व प्रमुख हैं. वह इन्फोसिस के अध्यक्ष भी रहे हैं. समिति के पांचवें सदस्य नंदन नीलेकणी इन्फोसिस के सह-संस्थापक हैं. उन्होंने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) का नेतृत्व भी किया था.

पढ़ें : Adani-Hindenburg report : SC ने शेयरों में गिरावट की जांच के लिए समिति बनाई

समिति के छठे सदस्य वकील सोमाशेखरन सुंदरेशन हैं जो प्रतिभूति और नियामक विशेषज्ञ हैं. उनके नाम की सिफारिश हाल में बंबई उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाने के लिहाज से केंद्र को भेजी गयी थी. केंद्र की आपत्ति के बाद उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के लिए उनका नाम दोहराया था.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.