नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सूचना आयोगों को निर्देश जारी कर कहा है कि वे यह सुनिश्चित करें कि सार्वजनिक अधिकारी आरटीआई के तहत मांगी गई सूचनाएं प्रदान की जाएं. सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों को आरटीआई अधिनियम की धारा 4 के अधिदेश के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी करने का निर्देश दिया.
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 में कहा गया है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण स्वत: संज्ञान लेकर सूचना का खुलासा करने के लिए निरंतर प्रयास करेंगे. जनता नियमित अंतराल पर इंटरनेट और अन्य माध्यमों का उपयोग कर रही है. इस तरह के प्रावधान को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जानकारी उपलब्ध हो. आरटीआई कार्यकर्ता व वकील केसी जैन ने जनहित याचिका को शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि पिछले चार वर्षों में किए गए पारदर्शिता ऑडिट से पता चलता है कि खुलासे कानून के अनुसार नहीं किए गए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शक्ति और जवाबदेही साथ-साथ चलती है और सार्वजनिक जवाबदेही एक महत्वपूर्ण विशेषता होती है जो 'कर्तव्य धारकों' और 'अधिकार धारकों' के बीच संबंधों को नियंत्रित करती है. शीर्ष अदालत ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) और राज्य सूचना आयोगों (एसआईसी) को सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा का उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा, "धारा 3 के तहत कानून द्वारा स्थापित सूचना का अधिकार, धारा 4 के तहत सार्वजनिक प्राधिकरणों के दायित्वों के संदर्भ में, हमारी राय है कि इसका उद्देश्य और कानून का उद्देश्य तभी पूरा होगा जब जवाबदेही का सिद्धांत 'अधिकार धारकों' और 'कर्तव्य धारकों' के बीच संबंधों को नियंत्रित करेगा."
(अतिरिक्त इनपुट-आईएएनएस)