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सेना में स्थाई कमीशन की याचिका पर सुनवाई टली - महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन

सुप्रीम कोर्ट ने इस साल के शुरुआत में सेना को महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने का निर्देश दिया था. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई टाल दी है. याचिका में कहा गया है कि 50 फीसदी महिला आवेदकों को सेना में स्थाई कमीशन नहीं दिया गया है.

स्थाई कमीशन
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Published : Nov 25, 2020, 6:09 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सेना अधिकारियों द्वारा दायर याचिक पर सुनवाई टाल दी है. याचिक में सेना अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि 50 फीसदी महिला आवदकों को सेना में स्थाई कमीशन नहीं दिया गया है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल की शुरुआत में सेना को महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने का निर्देश दिया था.

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने इस याचिक पर सुनवाई की. पीठ ने फैसला दिया कि अगली सुनवाई तक कोई प्रारंभिक कार्रवाई नहीं की जाएगी. कोर्ट ने इसके लिए जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है.

अदालत में याचिकाकर्ताओं के वकील ने आज तर्क दिया कि हमने जो सूची दी है उनमें जो अधिकारी हैं, वे ऑपरेशन रक्षक आदि का हिस्सा रहे हैं, जिन्हें अब स्थायी कमीशन दिया गया है. सरकार इस मुद्दे पर नहीं बैठ सकती है.

यह भी पढ़ें- आर्मी बोर्ड ने जारी किया परिणाम, 49 फीसदी महिला अधिकारी सेना में बनी रहेंगी

याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि रिपोर्टों से पता चलता है कि 615 अधिकारियों में से 422 को स्थायी कमीशन दिया गया था जो कि गलत है. अब तक केवल 193 महिला अधिकारियों को ही स्थाई कमीशन दिया गया है.

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने पाया कि वे इस मामले पर सरकार के हलफनामे को देखे बिना इस पर निर्णय नहीं सुना सकते हैं. इस वजह से उन्होंने सुनवाई दिसंबर तक टाल दी.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सेना अधिकारियों द्वारा दायर याचिक पर सुनवाई टाल दी है. याचिक में सेना अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि 50 फीसदी महिला आवदकों को सेना में स्थाई कमीशन नहीं दिया गया है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल की शुरुआत में सेना को महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने का निर्देश दिया था.

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने इस याचिक पर सुनवाई की. पीठ ने फैसला दिया कि अगली सुनवाई तक कोई प्रारंभिक कार्रवाई नहीं की जाएगी. कोर्ट ने इसके लिए जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है.

अदालत में याचिकाकर्ताओं के वकील ने आज तर्क दिया कि हमने जो सूची दी है उनमें जो अधिकारी हैं, वे ऑपरेशन रक्षक आदि का हिस्सा रहे हैं, जिन्हें अब स्थायी कमीशन दिया गया है. सरकार इस मुद्दे पर नहीं बैठ सकती है.

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याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि रिपोर्टों से पता चलता है कि 615 अधिकारियों में से 422 को स्थायी कमीशन दिया गया था जो कि गलत है. अब तक केवल 193 महिला अधिकारियों को ही स्थाई कमीशन दिया गया है.

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने पाया कि वे इस मामले पर सरकार के हलफनामे को देखे बिना इस पर निर्णय नहीं सुना सकते हैं. इस वजह से उन्होंने सुनवाई दिसंबर तक टाल दी.

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