नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने पटना उच्च न्यायालय द्वारा हत्या के मामले में (panchayat in Patna SC on bail plea) एक आरोपी को जमानत देने के आदेश को खारिज (Supreme Court set aside Patna High Court bail order) कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता एक अनमोल अधिकार (individual liberty invaluable right) है, लेकिन अदालतें जमानत याचिका पर विचार करते समय आरोपों की गंभीर प्रकृति की अनदेखी नहीं कर सकती (courts cannot lose sight of the serious nature of accusations) हैं.
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ (Justice L Nageswara Rao Justice B R Gavai and Justice B V Nagarathna) ने यह टिप्पणी की. शीर्ष अदालत ने पटना जिले की एक पंचायत के मुखिया पप्पू सिंह को जमानत देने के उच्च न्यायालय के फैसले की आलोचना की (SC on bail to panchayat head Pappu Singh).
सात माह से फरार
पीठ ने वकील समरहर सिंह की दलीलों का संज्ञान लिया कि आरोपी ने 2020 में रूपेश कुमार की हत्या करने से पहले 2017 में भी उन्हें मारने का प्रयास किया था और सात महीने से फरार था. पीठ ने कहा कि अदालतों को इस तरह की याचिकाओं का निपटारा करने के दौरान स्वतंत्रता के अधिकार और मामले की गंभीरता के बीच संतुलन बनाना होगा.
पीठ ने कहा कि जमानत याचिका पर विचार करते समय प्रथम दृष्टया निष्कर्ष कारणों से समर्थित होना चाहिए और रिकॉर्ड पर लाए गए मामले के महत्वपूर्ण तथ्यों को ध्यान में रखते हुए किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जाना चाहिए.
आरोपों की गंभीर प्रकृति नजरअंदाज नहीं कर सकते
पीठ ने फैसले में कहा है, 'हम इस तथ्य से अवगत हैं कि किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता एक अनमोल अधिकार है. साथ ही अदालतों द्वारा जमानत की याचिकाओं पर विचार करते समय किसी आरोपी के खिलाफ आरोपों की गंभीर प्रकृति और तथ्यों से संबंधित तथ्यों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.'
आरोपी ने हाईकोर्ट से छिपाए आपराधिक अतीत
मामले के तथ्यों पर गौर करते हुए हुए पीठ ने कहा कि आरोपी कई आपराधिक मामलों में मुकदमे का सामना कर रहा है. पीठ ने वकील की दलीलों पर भी ध्यान दिया कि आरोपी ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपने आपराधिक अतीत को छुपाया था.
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क्या है मामला
पुलिस के अनुसार पप्पू सिंह ने सह आरोपी दीपक कुमार के साथ मिलकर 19 फरवरी, 2020 की रात पटना जिले के नौबतपुर थाना क्षेत्र में रूपेश कुमार की उसके घर पर हत्या कर दी. घटना के समय रूपेश की मां भी घर में मौजूद थीं. पप्पू सिंह फरार था और उसे 30 सितंबर, 2020 को गिरफ्तार किया गया था. वकील ने कहा कि आरोपी उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने से पहले नौ महीने तक न्यायिक हिरासत में था.
हाईकोर्ट से मिली जमानत सुप्रीम कोर्ट में खारिज
गौरतलब है कि इससे पहले एक अन्य मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अग्रिम जमानत देने से पहले अदालतों को अपराध की गंभीरता देखनी चाहिए. गत अक्टूबर माह में न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने हत्या के दो आरोपियों को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा दी गई अग्रिम जमानत के आदेश को रद्द कर दिया था.
शीर्ष अदालत ने कहा कि उसे तय करना है कि इस स्तर पर उपलब्ध सामग्री के आधार पर उच्च न्यायालय ने अग्रिम जमानत देने के लिए सही सिद्धांतों का अनुपालन किया है या नहीं. पीठ ने कहा कि अदालतों को अग्रिम जमानत अर्जी को स्वीकार करने या उसे खारिज करते वक्त आम तौर पर अपराध की प्रकृति और गंभीरता, आवेदक की भूमिका और मामले के तथ्यों के आधार पर निर्देशित होना चाहिए.
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पीठ ने कहा कि अग्रिम जमानत देने का आदेश देते वक्त अपराध की प्रकृति और गंभीरता और आरोपी के खिलाफ विशेष आरोप सहित ठोस तथ्यों को नजरअंदाज किया गया. पीठ ने यह भी कहा कि मौजूदा स्तर पर तथ्यों का बारीकी से परीक्षण नहीं किया जा सकता जैसा कि फौजदारी मामले की सुनवाई में होता है. जरूरत यह तय करने की है कि एकल न्यायाधीश की पीठ द्वारा अग्रिम जमानत देने का फैसला करते वक्त उसके लिए तय मानकों का सही तरीके से अनुपालन किया गया या नहीं.
(पीटीआई-भाषा)