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वैक्सीन के मास वैक्स के खिलाफ SC में याचिका खारिज, कहा- टीकाकरण पर संदेह न करें - सुप्रीम कोर्ट

कोविशील्ड और कोवैक्सिन के माध्यम से सामूहिक टीकाकरण के खिलाफ एक याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खारिज करते हुए कहा कि लोगों को कोविड-19 से बचाने के लिए टीकाकरण अहम है.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Oct 25, 2021, 7:02 PM IST

Updated : Oct 25, 2021, 7:33 PM IST

नई दिल्ली : कोविशील्ड और कोवैक्सिन के माध्यम से सामूहिक टीकाकरण के खिलाफ एक याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खारिज करते हुए कहा कि लोगों को कोविड-19 से बचाने के लिए टीकाकरण अहम है. मामले में स्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, 'हम नहीं चाहते कि इस मामले पर बिल्कुल भी बहस हो. आइए हम टीकाकरण पर संदेह न करें.यह हमारी आबादी की रक्षा करने के लिए अहम है.'

शीर्ष अदालत कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने कोविशील्ड और कोवैक्सिन के सामूहिक टीकाकरण को रोकने के निर्देश देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया था. अदालत ने कोर्ट का कीमती समय बर्बाद करने के लिए याचिकाकर्ताओं पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था. सुनवाई के दौरान पीठ ने वकील को याद दिलाया कि, 'अगर हम इस प्रार्थना को मान लेते हैं और लोग संक्रमित हो जाएंगे तो क्या आप जिम्मेदारी लेंगे?'

ये भी पढ़ें -कुंभ कोरोना टेस्ट फर्जीवाड़ा मामले में उत्तराखंड सरकार से हाई कोर्ट ने मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि उसे इस मामले में हाई कोर्ट के फैसले में कोई त्रुटि नहीं दिखती और वह याचिका पर विचार नहीं करेगी.

बता दें कि इस साल मई में, उच्च न्यायालय ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि यह जनहित में दायर नहीं किया गया था और यह अनुकरणीय लागत लगाने के लिए एक उपयुक्त मामला था क्योंकि इसमें 45 मिनट की खपत होती है, जो कोविड-19 से बाहर उत्पन्न होने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटने के लिए समर्पित हो सकती थी. हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी थी कि यह स्पष्ट नहीं है कि किस कानून के तहत केंद्र ने बिना क्लीनिकल ट्रायल के टीकाकरण की अनुमति दी है.

नई दिल्ली : कोविशील्ड और कोवैक्सिन के माध्यम से सामूहिक टीकाकरण के खिलाफ एक याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खारिज करते हुए कहा कि लोगों को कोविड-19 से बचाने के लिए टीकाकरण अहम है. मामले में स्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, 'हम नहीं चाहते कि इस मामले पर बिल्कुल भी बहस हो. आइए हम टीकाकरण पर संदेह न करें.यह हमारी आबादी की रक्षा करने के लिए अहम है.'

शीर्ष अदालत कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने कोविशील्ड और कोवैक्सिन के सामूहिक टीकाकरण को रोकने के निर्देश देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया था. अदालत ने कोर्ट का कीमती समय बर्बाद करने के लिए याचिकाकर्ताओं पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था. सुनवाई के दौरान पीठ ने वकील को याद दिलाया कि, 'अगर हम इस प्रार्थना को मान लेते हैं और लोग संक्रमित हो जाएंगे तो क्या आप जिम्मेदारी लेंगे?'

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सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि उसे इस मामले में हाई कोर्ट के फैसले में कोई त्रुटि नहीं दिखती और वह याचिका पर विचार नहीं करेगी.

बता दें कि इस साल मई में, उच्च न्यायालय ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि यह जनहित में दायर नहीं किया गया था और यह अनुकरणीय लागत लगाने के लिए एक उपयुक्त मामला था क्योंकि इसमें 45 मिनट की खपत होती है, जो कोविड-19 से बाहर उत्पन्न होने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटने के लिए समर्पित हो सकती थी. हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी थी कि यह स्पष्ट नहीं है कि किस कानून के तहत केंद्र ने बिना क्लीनिकल ट्रायल के टीकाकरण की अनुमति दी है.

Last Updated : Oct 25, 2021, 7:33 PM IST
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